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#etvbharatdharma: मार्गशीर्ष मास का शुभारंभ, भगवान श्रीकृष्ण का है स्वरूप

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Published : Nov 20, 2021, 2:25 PM IST

Updated : Nov 20, 2021, 9:44 PM IST

आज से मार्गशीर्ष मास का शुभारंभ हो चुका है जो 19 दिसंबर 2021 को समाप्त होगा. इस माह में भगवान श्रीकृष्ण की उपासना का विशेष महत्व माना गया है. इस माह में भगवान विष्णु की पूजा करनी चाहिए और 'ओम नमो भगवते वासुदेवाय' मंत्र का जाप करना चाहिए. शास्त्रों में इस महीने को भगवान श्रीकृष्ण का स्वरूप कहा गया है.

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मार्गशीर्ष भगवान श्रीकृष्ण का है स्वरूप

नई दिल्ली:20 नबंवर से मार्गशीर्ष मास का आरंभ हो गया है, जिसका समापन 19 दिसंबर 2021 को होगा. भागवत के अनुसार भगवान श्रीकृष्ण ने भी कहा था कि सभी माह में मार्गशीर्ष या अगहन श्रीकृष्ण का ही स्वरूप है. मार्गशीर्ष मास में श्रद्धा और भक्ति से विशेष फल की प्राप्ति होती है. हिंदू पंचांग के अनुसार चंद्रमास में नए माह का आरंभ पूर्णिमा तिथि के अनुसार होता है. हर माह के पूर्णिमा तिथि के बाद अगले दिन प्रतिपदा से नए मास का आरंभ हो जाता है. इस बार 19 नबंवर 2021 को कार्तिक पूर्णिमा तिथि थी.

20 नवंबर यानी आज से मार्गशीर्ष मास की शुरुआत हो गई है, इसका समापन 19 दिसंबर 2021 को होगा. यह हिंदू वर्ष का नौवां माह होता है. प्रत्येक चंद्रमास का नाम उसके नक्षत्र के आधार पर रखा जाता है. मार्गशीर्ष माह में मृगशिरा नक्षत्र होता है इसलिए इसे मार्गशीर्ष कहा जाता है. आम बोलचाल की भाषा में इसे अगहन मास के नाम से भी जाना जाता है. इस माह में भगवान श्रीकृष्ण की उपासना करने का विशेष महत्व माना गया है.

मार्गशीर्ष भगवान श्रीकृष्ण का है स्वरूप

मार्गशीर्ष माह में करें ये काम

ज्योतिषाचार्य अनीष व्यास ने बताया कि यदि आपके कार्यों में कोई बाधा आ रही है, तो आपको 'ॐ दामोदराय नमः' मंत्र का जाप करना चाहिए और अपने गुरु को प्रणाम करना चाहिए. इससे आपका काम बनेगा. इस माह में आपको शंख की पूजा करनी चाहिए. ऐसा करने से घर से कलह दूर होता है और शांति आती है. अपने मनोकामनाओं की पूर्ति के इस माह में प्रत्येक दिनविष्णु सहस्रनाम, भगवत गीता और गजेन्द्रमोक्ष का पाठ करें. इससे सभी पाप भी मिट जाएंगे. मार्गशीर्ष माह में भगवान विष्णु को तुलसी का पत्र चढ़ाएं, फिर उसे प्रसाद स्वरूप ग्रहण करें. इस माह में भगवान विष्णु की पूजा करनी चाहिए और'ॐ नमो भगवते वासुदेवाय'मंत्र का जाप करना चाहिए. शास्त्रों में इस महीने को भगवान श्रीकृष्ण का स्वरूप कहा गया है.

इस महीने में शंख पूजन का विशेष महत्व है. साधारण शंख को श्रीकृष्ण के पंचजन्य शंख के समान समझकर उसकी पूजा करने से सभी मनोवांछित फल प्राप्त हो जाते हैं. अगहन मास में शंख की पूजा इस मंत्र से करनी चाहिए.

त्वं पुरा सागरोत्पन्न विष्णुना विधृत: करे।

निर्मित: सर्वदेवैश्च पाञ्चजन्य नमोऽस्तु ते।

तव नादेन जीमूता वित्रसन्ति सुरासुरा:।

शशांकायुतदीप्ताभ पाञ्चजन्य नमोऽस्तु ते॥

पुराणों के अनुसार विधि-विधान से अगहन मास में शंख की पूजा की जानी चाहिए. जिस प्रकार सभी देवी-देवताओं की पूजा की जाती है, वैसे ही शंख का भी पूजा करें. इस मास में साधारण शंख की पूजा भी पंचजन्य शंख की पूजा के समान फल देती है जो भगवान कृष्ण का अतिप्रिय है.

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भागवत में बताया गया है इस महीने का महत्व

भागवत के अनुसार, भगवान श्रीकृष्ण ने भी कहा था कि सभी माह में मार्गशीर्ष या अगहन श्रीकृष्ण का ही स्वरूप है. मार्गशीर्ष मास में श्रद्धा और भक्ति से विशेष फल की प्राप्ति होती है. इस माह में नदी स्नान और दान-पुण्य का विशेष महत्व है.

इसी माह में श्रीकृष्ण ने अर्जुन को दिया था उपदेश

मान्यता है कि मार्गशीर्ष मास भगवान श्रीकृष्ण को अत्यंत प्रिय है. भक्तवत्सल भगवान ने स्वयं अपनी वाणी से कहा है कि मार्गशीर्ष मास स्वयं मेरा ही स्वरूप है. इस पवित्र माह में तीर्थाटन और नदी स्नान से पापों का नाश होने के साथ मनोकामनाओं की पूर्ति होती है. मार्गशीर्ष की शुक्ल पक्ष की एकादशी को भगवान श्रीकृष्ण ने कुरुक्षेत्र के मैदान में धनुर्धारी अर्जुन को गीता का उपदेश सुनाया था. इस माह में भागवत गीता का दान भी शुभ माना जाता है. गीता के एक श्लोक में भगवान श्रीकृष्ण मार्गशीर्ष मास की महिमा बताते हुए कहते हैं.

बृहत्साम तथा साम्नां गायत्री छन्दसामहम्।

मासानां मार्गशीर्षोऽहमृतूनां कुसुमाकरः।।

इसका अर्थ है गायन करने योग्य श्रुतियों में "मैं बृहत्साम, छंदों में गायत्री तथा मास में मार्गशीर्ष और ऋतुओं में बसंत हूं". शास्त्रों में मार्गशीर्ष का महत्व बताते हुए कहा गया है कि हिन्दू पंचांग के इस पवित्र मास में गंगा, युमना जैसी पवित्र नदियों में स्नान करने से रोग, दोष और पीड़ाओं से मुक्ति मिलती है.

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आइए जानते हैं कि मार्गशीर्ष मास 2021 के प्रमुख व्रत और त्योहार-

21 नवंबर दिन शनिवार- रोहिणी व्रत

23 नवंबर दिन मंगलवार-गणाधिप संकष्टी गणेश चतुर्थी

27 नवंबर दिन शनिवार-मासिक कालाष्टमी, कालभैरव जयंती

30 नवंबर दिन मंगलवार-उत्पन्ना एकादशी

02 दिसंबर दिन गुरुवार-प्रदोष व्रत, मासिक शिवरात्रि

04 दिसंबर दिन शनिवार- अमावस्या तिथि, सूर्य ग्रहण

05 दिसंबर दिन रविवार-मार्गशीर्ष शुक्ल प्रतिपदा, हेमंत ऋतु, चंद्र दर्शन

07 दिसंबर दिन मंगलवार-मार्गशीर्ष शुक्ल चतुर्थी, विनायक चतुर्थी

08 दिसंबर दिन बुधवार- विवाह पंचमी

09 दिसंबर दिन गुरुवार-स्कंद षष्टी

11 दिसंबर दिन शनिवार-मासिक दुर्गाष्टमी व्रत

14 दिसंबर दिन मंगलवार-मोक्षदा एकादशी, गीता जयंती

15 दिसंबर दिन बुधवार-मतस्य द्वादशी

16 दिसंबर दिन गुरुवार-अनंग त्रयोदशी व्रत, प्रदोष व्रत, धनु संक्रांति

18 दिसंबर दिन शनिवार- सत्य व्रत, रोहिणी व्रत, पूर्णिमा व्रत, दत्तात्रेय जयंती

19 दिसंबर दिन रविवार-अन्नपूर्णा जयंती, मार्गशीर्ष पूर्णिमा, त्रिपुर भैरवी जयंती

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Last Updated :Nov 20, 2021, 9:44 PM IST

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