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किसान महापंचायत : कूच कर रहे किसान नेता हिरासत में, राकेश टिकैत बोले- सरकार की मंशा टकराव की स्थिति पैदा करना

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Published : Sep 7, 2021, 4:26 PM IST

Updated : Sep 7, 2021, 6:46 PM IST

हरियाणा में किसान और सरकार में एक बार फिर टकराव के हालात बन रहे हैं. लाठीचार्ज के बाद किसान अपनी मांग पर अड़ गए हैं, तो सरकार भी सख्त है. इसी सिलसिले में करनाल में महापंचायत (Karnal Kisan Mahapanchayat) हो रही है.

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करनाल :हरियाणा के करनाल में जिला मुख्यालय तक प्रदर्शन के लिए किसान अनाज मंडी में इकट्ठे हुए हैं. वहां पर अभी तनाव की स्थिति बनी हुई है. करनाल में जिला मुख्यालय तक विरोध मार्च की अनुमति को लेकर किसानों और अधिकारियों के बीच बातचीत विफल हो गई है. बताया जा रहा है कि मिनी सचिवालय की तरफ कूच कर रहे किसानों को पुलिस ने हिरासत में ले लिया है.

प्रशासन के साथ दो दौर की बातचीत विफल होने के बाद किसान अब सचिवालय घेरने निकले हैं. करनाल में हुए लाठीचार्ज के विरोध में किसान ये प्रदर्शन कर रहे हैं. इससे पहले मामले को खत्म करने के लिए जिला प्रशासन ने संयुक्त किसान मोर्चा के नेताओं को बातचीत के लिए बुलाया था, लेकिन ये वार्ता विफल रही.

किसान नेताओं को सुरक्षा बल ने रोका.

इसके बाद प्रशासन ने दोबारा किसान नेताओं को बातचीत का न्योता दिया. किसानों का 11 सदस्यीय दल जिसमें 4 अन्य किसान नेता शामिल हुए और कुल 15 किसान नेताओं ने करनाल जिला प्रशासन के साथ दूसरी बार वार्ता की. लगभग 2 घंटे तक चली वार्ता आखिरकार एक बार विफल रही. इस बैठक के बाद किसान नेता योगेंद्र यादव ने बताया कि हमारी प्रशासन के साथ तीन राउंड बात हुई. जिसमें 15 सदस्य दल शामिल थे, जिसमें राष्ट्रीय नेतृत्व, राज्य नेतृत्व व स्थानीय नेता शामिल रहे.

उन्होंने कहा कि हमने करनाल प्रशासन से बिल्कुल न्यूनतम बात की है कि करनाल एसडीएम के खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए और उसे निलंबित किया जाए, लेकिन प्रशासन नहीं माना, जिस कारण वार्ता विफल रही. वहीं भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कहा कि सरकार की मंशा टकराव की स्थिति पैदा करना है. सरकार हल ही नहीं निकालना चाहती. अब अगला फैसला आनाज मंडी में इक्कठा हुए किसानों की महापंचायत में होगा.

राकेश टिकैत और योगेन्द्र यादव मंच पर

किसान महापंचायत और लघु सचिवालय घेराव को लेकर जिला प्रशासन हाई अलर्ट पर है. करनाल जिले में धारा-144 लागू है. सोमवार रात 12 बजे से करनाल जिले में इंटरनेट सेवाएं (karnal internet suspendedn) भी बंद कर दी गईं है. दिल्ली से चंडीगढ़ और अंबाला जाने वाला हाइवे का ट्रैफिक भी डायवर्ट (Delhi-Chandigarh Route Diversion) कर दिया गया है. पूरे जिले में प्रशासन ने पुलिस सुरक्षा बलों और पैरामिलिट्री फोर्स की तैनाती की है. सचिवालय के बाहर रैपिड एक्शन फोर्स (karnal rapid action force) तैनात है.

वहीं इस बार किसानों की महापंचायत (Karnal Kisan Mahapanchayat) में कुछ तस्वीर बदली हुई दिख रही है. प्रशासन की मानें तो महापंचायत में काफी लोग झंडे में लट्ठ लगाकर पहुंचे हैं. यही नहीं प्रशासन का कहना है कि महापंचायत में अराजक तत्व (Anti-social elements in Mahapanchayat) भी शामिल हैं. करनाल प्रशासन ने इस मामले में एडवायजरी जारी की है. प्रशासन के मुताबिक करनाल में किसान महापंचायत के संदर्भ में, आज 07 सितंबर 2021 को ग्राउंड इंटेलीजेंस रिपोर्टों से संकेत मिला है कि लाठी, जेली, लोहे की रॉड आदि से लैस कुछ तत्व रंभा से, कुछ निसिंग से और कुछ अन्य स्थानों से अनाज मंडी पहुंचे हैं. उनकी ओर से अच्छे इरादे नहीं दिखते हैं.

पैरा मिलिट्री तैनात.

पढ़ेंःकिसान महापंचायत : करनाल में लगाई गई धारा 144, इंटरनेट सेवाएं होंगी बंद

पुलिस और प्रशासन ने उन किसान नेताओं से बात की है, जिन्होंने ऐसे तत्वों को कार्यक्रम स्थल छोड़ने के लिए मनाने की कोशिश की लेकिन वे अपने नेताओं की एक नहीं सुन रहे हैं. करनाल जिला प्रशासन और पुलिस द्वारा ऐसे शरारती तत्वों को कानून हाथ में न लेने और सार्वजनिक व्यवस्था बनाए रखने की चेतावनी दी जा रही है. ऐसे सभी तत्वों से कानून के अनुसार सख्ती से निपटा जाएगा.

इस मामले में गृह मंत्री अनिल विज ने सख्ती दिखाते हुए कहा है कि प्रशासन किसी भी अव्यवस्था से निपटने के लिए तैयार है. किसी को भी कानून हाथ में नहीं लेने दिया जायेगा. अनिल विज ने किसानों से भी अपील की है कि वो अपना प्रदर्शन शांतिपूर्वक करें.

करनाल में भारी संख्या में जुटे किसान.

दरअसल 28 अगस्त को करनाल में पुलिस ने किसानों पर लाठीचार्ज किया था. किसान मुख्यमंत्री मनोहर लाल के कार्यक्रम का विरोध कर रहे थे. करनाल के बसताड़ा टोल पर किसानों ने बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष को रोकने की कोशिश की. जिसके बाद पुलिस ने लाठीचार्ज कर दिया. इस लाठीचार्ज में कई किसान घायल हो गए. एक दिन बाद एक किसान की मौत हो गई. किसान नेताओं का आरोप है कि लाठीचार्ज में घायल होने के चलते उसकी मौत हुई है.

इसी लाठीचार्ज के विरोध में किसानों ने तीन मांगें सरकार के सामने रखी थी. पहली मांग ये है कि एसडीएम सहित जिन सरकारी अधिकारियों ने लाठीचार्ज किया था उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज हो. दूसरी मांग ये है कि जिस किसान की मौत हुई है, उसके परिवार को 25 लाख का मुआवजा और परिवार के एक सदस्य को नौकरी दी जाए. तीसरी मांग ये है कि पुलिस की लाठीचार्ज से घायल हुए सभी किसानों को दो-दो लाख रुपये की सहायता राशि प्रदान की जाए. इन तीनों मांगों को मानने के लिए किसानों ने सरकार को 6 सितंबर तक का अल्टीमेटम दिया था. लेकिन सरकार ने इन मांगों को मांनने से साफ इनकार कर दिया.

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Last Updated :Sep 7, 2021, 6:46 PM IST

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