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'कन्वर्टेड क्रिश्चियन को रिजर्वेशन का लाभ नहीं मिलेगा', इसी आधार पर रद्द हुई सीपीएम विधायक की विधायकी

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Published : Mar 20, 2023, 12:44 PM IST

Updated : Mar 20, 2023, 1:04 PM IST

केरल हाईकोर्ट ने एक विधानसभा क्षेत्र का चुनाव इस आधार पर रद्द कर दिया, कि इसमें जिस व्यक्ति की जीत हुई थी, वह ईसाई समुदाय का है. केरल का देवीकुलम असेंबली अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है.

kerala high court
केरल हाईकोर्ट

तिरुवनंतपुरम : केरल हाईकोर्ट ने देवीकुलम विधानसभा चुनाव रद्द करने का फैसला सुनाया है. यूडीएफ उम्मीदवार डी कुमार ने चुनाव रद्द करने की अपील की थी. इस चुनाव में एलडीएफ उम्मीदवार ए राजा की जीत हुई थी. कुमार ने अपनी याचिका में कहा था कि राजा अनुसूचित जाति से नहीं आते हैं. अदालत ने उनकी दलील स्वीकार कर ली. विधानसभा की यह सीट आरक्षित है. इस पर कोई भी अनुसूचित जाति का व्यक्ति की चुनाव लड़ सकता है.

कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि ए राजा अनुसूचित जाति या फिर अनुसूचित जनजाति समुदाय से नहीं आते हैं. इसलिए वह इस सीट से चुनाव लड़ने की योग्यता नहीं रखते हैं. अदालत ने कहा कि उनकी जीत को रद्द घोषित किया जा रहा है. हालांकि, कोर्ट ने याचिकाकर्ता डी कुमार की उस दलील को नकार दिया, जिसमें उन्होंने ए राजा की जगह पर उनकी जीत घोषित करने का आग्रह किया था. अदालत ने कहा कि उनकी इस दलील को स्वीकार नहीं किया जा सकता है. कुमार ने कोर्ट से अनुरोध किया था कि राजा की जगह पर उन्हें विजेता घोषित किया जाए.

आपको बता दें कि ए राजा अनुसूचित जाति से थे, लेकिन बाद में उन्होंने ईसाई धर्म स्वीकार कर लिया था. अदालत ने उनके इस फैसले को ही अपना आधार बनाया. कोर्ट ने कहा कि वह कन्वर्टेड क्रिश्चियन समुदाय से आते हैं, लिहाजा उन्हें रिजर्वेशन का लाभ नहीं मिल सकता है. याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया था कि राजा ने फेक जाति प्रमाण पत्र सौंपा था, इसलिए तब उन्हें चुनाव लड़ने की इजाजत मिल गई थी. राजा ने 2021 में देवीकुलम विधानसभा चुनाव में जीत हासिल की थी. उन्होंने 7848 मतों से जीत हासिल की थी. अब विधानसभा में सीपीएम विधायकों की संख्या घटकर 98 हो गई है. सीपीएम के सूत्रों ने कहा है कि वह इस फैसले को चुनौती देंगे.

क्या कहता है संविधान - एससी आदेश 1950 के अनुसार हिंदू, सिख और बौद्ध धर्म को छोड़कर किसी भी अन्य धर्म मानने वालों को एससी का दर्जा नहीं मिल सकता है. शुरुआत में इसमें सिर्फ हिंदू ही शामिल थे, बाद में बौद्ध और सिख को भी इसमें जोड़ा गया है. इसी तरह की मांग मुस्लिम और ईसाई ग्रुप से हो रही है. बहुत सारे दलितों ने ईसाई धर्म या फिर मुस्लिम धर्म को अपनाया है, वे चाहते हैं कि उन्हें आरक्षण का लाभ मिलता रहे, लेकिन संविधान इसकी इजाजत नहीं देता है. सात दिसंबर 2022 को सुप्रीम कोर्ट में केंद्र सरकार ने अपनी एक राय रखी थी. इसके अनुसार सरकार ने साफ तौर पर कहा है कि जो भी व्यक्ति इस्लाम या फिर क्रश्चियन धर्म को स्वीकार करता है, उसे रिजर्वेशन का लाभ नहीं दिया जा सकता है. रंगनाथ मिश्रा कमीशन ने ऐसे लोगों को आरक्षण देने का अनुरोध किया था. सरकार उनकी दलील खारिज कर चुकी है.

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Last Updated :Mar 20, 2023, 1:04 PM IST

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