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MP के छोटे से गांव से निकले छात्र नेता ने 3 राज्यों में जमाई थी धाक, बिहार के बने किंग मेकर

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Published : Jan 13, 2023, 3:46 PM IST

JDU के पूर्व अध्यक्ष शरद यादव का गुरुवार को गुरुग्राम के एक निजी अस्पताल में निधन हो गया. उनके परिवार के लोगों ने यह जानकारी दी. यादव 75 वर्ष के थे. उनके निधन पर देश में शोक की लहर छा गई है. उनके निधन पर सीएम शिवराज, बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष वी डी शर्मा, पूर्व सीएम कमलनाथ सहित नेताओं ने श्रद्धांजलि दी है. शरद यादव मध्यप्रदेश के होशंगाबाद जिले में पैदा हुए थे. उन्होंने अपसी सियासी पारी की शुरुआत जबलपुर से की थी.

sharad yadav passes away
जेडीयू के पूर्व अध्यक्ष शरद यादव का निधन

भोपाल। जबलपुर में 1974 में उपचुनाव हुए जिसमें उपचुनाव में शरद यादव खड़े हुए, और वे जबलपुर सीट से चुनाव जीते. बता दें कि ये सीट सुप्रसिद्ध हिंदी सेवी सेठ गोविंददास के निधन से खाली हुई थी, यह उपचुनाव कई मायनों में अहम था. गोविंददास इस सीट पर कांग्रेस के टिकट से 1952 से लगातार जीतते आ रहे थे. जिस समय यह उपचुनाव हुआ उस समय जयप्रकाश नारायण के नेतृत्व में राष्ट्रव्यापी छात्र आंदोलन पूरे चरम पर था. शरद यादव उस समय जबलपुर विश्वविद्यालय छात्र संघ के अध्यक्ष थे और आंदोलन के सिलसिले में ही आंतरिक सुरक्षा कानून के तहत जेल में बंद थे. जयप्रकाश नारायण की पहल पर उन्हें सभी विपक्षी दलों की ओर से जनता उम्मीदवार बनाया गया, वे जेल में रहते हुए ही चुनाव लड़े और जीते. उन्होंने कांग्रेस के टिकट पर लड़े सेठ गोविंद दास के बेटे रविमोहन दास को हराया.

जेडीयू के पूर्व अध्यक्ष शरद यादव का निधन

थोड़े ही समय रहे लोकसभा सदस्य:आपातकाल के दौरान 1976 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने जब मनमाने तरीके से लोकसभा का कार्यकाल पांच से बढ़ाकर छह वर्ष कर दिया तो उनके इस कदम के विरोध में शरद यादव ने समाजवादी नेता मधु लिमये के साथ जेल में रहते हुए ही लोकसभा की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया था.

नीतीश कुमार के बेहद करीब रहे शरद यादव: शरद यादव भले ही मध्य प्रदेश के रहने वाले हों लेकिन उनकी पहचान बिहार से ही होती है. जनता दल यूनाइटेड के राष्ट्रीय अध्‍यक्ष, केंद्रीय मंत्री और सात बार सांसद रहे, वे नीतीश के बेहद करीबी रहे थे. बाद में वे लालू यादव के खेमे में चले गए.

होशंगाबाद में जन्मे, जबलपुर में पढाई करते हुए राजनीति से जुड़े: शरद यादव का जन्‍म 1 जुलाई 1947 को मध्‍यप्रदेश के होशंगाबाद के बंदाई गांव में किसान परिवार में हुआ. किसान के घर जन्मे शरद पढ़ने लिखने में काफी तेज थे. प्रारंभिक शिक्षा के बाद उन्‍होंने अपने ही प्रदेश के जबलपुर से इंजीनियरिंग में स्‍नातक की डिग्री ली. शरद पढ़ाई के दौरान ही राजनीति से प्रभावित थे. यही कारण था कि पढ़ाई के दौरान वो जबलपुर इंजीनियरिंग कॉलेज में छात्र संघ के अध्यक्ष चुने गए.

MP से सियासी सफर शुरू किया और केंद्र में मंत्री बने:मध्यप्रदेश के बाद शरद यादव ने 1989 में यूपी का रास्ता पकड़ा. तब वो यूपी की बदायूं लोकसभा सीट से चुनाव लड़े और जीतकर तीसरी बार संसद पहुंचे. साल 1989-1990 शरद के लिए काफी अहम था. ये वो दौर था जब शरद केंद्र में टेक्सटाइल और फूड प्रोसेसिंग मंत्रालय में केंद्रीय मंत्री रहे.

बिहार को बनाया कर्मक्षेत्र, सियासत में छाए रहे: 1990 में वो बिहार आ गए. इसके बाद लगातार 23 साल यानी 1991 से 2014 तक बिहार की मधेपुरा सीट से सांसद रहे. 23 साल के लंबे समय तक शरद का बिहार से लंबा संबध रहा जिसके कारण लोग उनको बिहारी ही समझते थे. शरद जनता दल के संस्थापकों में से एक थे.

शरद यादव के निधन पर MP में शोक:CM शिवराज सिंह ने शरद यादव के निधन पर उन्हें श्रद्धांजलि दी है. उन्होंने लिखा शरद यादव ने अपना संपूर्ण जीवन देश और समाज की सेवा में व्यतीत किया, वे अपने कार्यों एवं विचारों के रूप में सदैव आमजन के हृदय में जीवित रहेंगे. विनम्र श्रद्धांजलि!।। ॐ शांति ।।. बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष वी डी शर्मा ने शरद यादव के निधन पर दुख जताते हुए कहा-जेडीयू के पूर्व अध्यक्ष शरद यादव के निधन का दुखद समाचार मिला. उन्होंने संपूर्ण जीवन कमजोर वर्ग के हितों के लिये कार्य किया. ईश्वर उनकी आत्मा को शांति दें, शोकाकुल परिजनों और उनके समर्थकों के प्रति मेरी गहरी संवेदनायें. पूर्व मंत्री कमलनाथ ने श्रद्धांजलि देते हुए कहा- समाजवादी आंदोलन के पुरोधा, पूर्व केंद्रीय मंत्री और सार्वजनिक जीवन में मेरे साथी रहे शरद यादव का निधन सामाजिक न्याय के युद्ध की अपूरणीय क्षति है. उनके निधन पर गहरा शोक व्यक्त करता हूँ, ईश्वर उनकी आत्मा को अपने श्री चरणों में स्थान दें और उनके परिजनों को यह दुःख सहने की शक्ति प्रदान करें. गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने कहा होशंगाबाद में जन्मे व समाजवादी आंदोलन के आधार स्तंभ रहे श्रद्धेय शरद यादवजी का निधन भारतीय राजनीति के लिए अपूरणीय क्षति है. Pwd मंत्री गोपाल भार्गव, मंत्री विश्वास सारंग और पूर्व केंद्रीय मंत्री अरुण यादव ने भी शरद यादव को श्रद्धांजलि दी.

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