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दिल्ली : AIIMS में शुरू हुआ बच्चों को टीका देने का ट्रायल

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Published : Jun 7, 2021, 10:41 PM IST

दिल्ली एम्स (Delhi AIIMS) अस्पताल में चाइल्ड वैक्सीनेशन (child vaccination) का ट्रायल शुरू हो गया है. जिसको लेकर पब्लिक हेल्थ डिपार्टमेंट और वैक्सीनेशन कार्यक्रम के प्रमुख डॉ. संजय राय ने बताया कि एम्स अस्पताल (Delhi AIIMS) में यह ट्रायल 2 से 18 साल की उम्र के बच्चों पर शुरू होना था. लेकिन अभी 12 से 18 वर्ष की आयु के बच्चों पर ट्रायल शुरू किया गया है.

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नई दिल्ली :कोरोना की वैक्सीन बच्चों के लिए कितनी कारगर है इसको लेकर नई दिल्ली एम्स अस्पताल (Delhi AIIMS) में चाइल्ड ट्रायल (child vaccination) शुरू हो गया है. इस ट्रायल के अंतर्गत सोमवार से बच्चों को वैक्सीन लगाई गई. जिसके बाद उन बच्चों को ऑब्जर्वेशन में रखा जाएगा. दोनों डोज़ दिए जाने के बाद यह ट्रायल पूरा होगा.

12 से 18 वर्ष की आयु के बच्चों पर ट्रायल शुरू
पब्लिक हेल्थ डिपार्टमेंट ( public health department) और वैक्सीनेशन कार्यक्रम के प्रमुख डॉ संजय राय ने बताया कि एम्स अस्पताल में यह ट्रायल 2 से 18 साल की उम्र के बच्चों पर शुरू होना था. लेकिन अभी 12 से 18 वर्ष की आयु के बच्चों पर ट्रायल शुरू किया गया है. उन्होंने बताया कि इस ट्रायल में 18 बच्चों को शामिल किया गया है. इन 18 बच्चों का पहले ब्लड टेस्ट (blood test) किया गया. इसके बाद कोरोना टेस्ट (corona test) और दूसरे अन्य जरूरी टेस्ट किए गए. जिसमें देखा गया कि बच्चे फिजिकली फिट है या नहीं ? सभी मानकों पर सही उतरने के बाद ही बच्चों को वैक्सीन लगाई जा रही है.

एम्स में शुरू हुआ चाइल्ड वैक्सीनेशन का ट्रायल

पहले डोज़ में 6 एमजी का वायरल लोड दिया जाएगा

डॉ. संजय राय (Dr. Sanjay Rai) ने आगे बताया कि बच्चों को इस ट्रायल के दौरान दो तरीके का डोज दिया जाएगा. पहले डोज़ में 6 एमजी का वायरल लोड दिया जाएगा. उसके 28 दिनों के बाद एक बार फिर से 6 एमजी का वायरल लोड दिया जाएगा. इसके बाद पांच महीने तक बच्चे का टेस्ट किया जाएगा. साथ यह पता लगाने की कोशिश की जाएगी कि उसके शरीर में कितनी एंटीबॉडी (Antibodies) बनी है.

पहले डोज़ के लिए 15 साल की तरीफा पहुंची अस्पताल

वैक्सीन के ट्रायल (vaccine trials) में शामिल दिल्ली के माउंट कार्मेल स्कूल में पढ़ने वाली 15 साल की तरीफा अपने पिता के साथ अस्पताल पहुंची. वह वैक्सीन लगवाने को लेकर काफी उत्साहित नजर आईं. तरीफा ने कहा कि वैक्सीन ही एकमात्र उपाय है जो हमें आने वाले दिनों में कोरोना से बचा सकता है. इसीलिए वह इस ट्रायल में शामिल हुई है. उन्हें इस ट्रायल में शामिल होने को लेकर किसी प्रकार का कोई डर नहीं लग रहा है.

ऋषिका को डर था ट्रायल के बाद कोविड न हो जाए

वैक्सीन के ट्रायल (vaccine trials) में शामिल हुई ग्यारहवीं क्लास की छात्रा ऋषिका जैन ने बताया कि शुरुआत में वैक्सीन लगवाने को लेकर थोड़ा डर था. उन्हें लग रहा था कि वैक्सीन के ट्रायल में शामिल होने के बाद कहीं कोविड न हो जाए. लेकिन अब वह निश्चिंत है. साथ ही वह काफी अच्छा महसूस कर रही हैं. क्योंकि उन पर वैक्सीन का ट्रायल होने के बाद उन तमाम बच्चों के लिए भी वैक्सीन को मंजूरी मिल जाएगी.

वैक्सीनेशन को लेकर बच्चों के अभिभावक दिखे खुश
वैक्सीन ट्रायल में शामिल होने के लिए अस्पताल पहुंचे बच्चों के साथ उनके अभिभावक भी नजर आए ऋषिका जैन के पिता प्रशांत जैन ने कहा वह किसी प्रकार से चिंतित नहीं है. बल्कि वह खुश हैं कि बच्चों के लिए भी जल्द से जल्द वैक्सीनेशन शुरू हो जाएगा. उन्होंने कहा कि इसमें डरने की भी जरूरत नहीं है क्योंकि जब पहले से ही 18 साल से अधिक उम्र के लोगों को वैक्सीन लग रही है. जो साइंटिफिकली टेक्स्टेड है अप्रूव्ड है. कुछ महीनों के ट्रायल के बाद बच्चों के लिए भी शुरू हो जाएगी.


सुरक्षा को लेकर डॉक्टरों के पास डाटा मौजूद नहीं

इस पूरे वैक्सीनेशन कार्यक्रम के प्रमुख डॉ. संजय राय ने आगे बताया, वैक्सीन बच्चों के लिए कितनी सुरक्षित है? इसको लेकर कोई भी डाटा हमारे पास मौजूद नहीं है. इसलिए यह ट्रायल शुरू किया गया है. इस ट्रायल को लेकर खास सावधानियां भी बरती जा रही हैं. पूरे ट्रायल पर वीडियो रिकॉर्डिंग के जरिए नजर रखी जा रही है. साथ ही बच्चों और उनके माता-पिता से सहमति पत्र भी लिया गया है. उनको नर्सिंग स्टाफ का नंबर भी दिया गया है. किसी भी तरीके की यदि परेशानी वैक्सीन लगवाने के बाद होती है तो वह तुरंत उनसे संपर्क करेंगे. डॉ. संजय राय ने बताया कि इस पूरे प्रोसेस को 9 महीने का समय लगेगा.

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