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काफी कठिन है नंबर 1 उत्पादक से टॉप निर्यातक बनने का सफर, ये हैं आंकड़े

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Published : Sep 12, 2022, 5:20 PM IST

डेयरी का देश की अर्थव्यवस्था में योगदान बड़ा है. भारत दुग्ध उत्पादन में पूरे विश्व में पहले स्थान पर है और वैश्विक दुग्ध उत्पादन में भारत का योगदान 23 फीसदी है. डेयरी से देश में 8 करोड़ से अधिक किसानों को इस क्षेत्र में प्रत्यक्ष रोजगार भी मिलता है. जानिए क्या हैं Dairy Sector Potentials and Challenges in India

Dairy Sector Potentials and Challenges in India
दूध उत्पादन में नंबर 1

नई दिल्ली :वर्ल्ड डेयरी समिट 2022 (World Dairy Summit 2022) का शुभारंभ सोमवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने करते हुए कहा कि दुनिया भर में डेयरी सेक्‍टर 2 फीसदी की रफ्तार से बढ़ रहा है, जबकि भारत में यह सेक्‍टर 6 प्रतिशत की रफ्तार से बढ़ रहा है. उन्‍होंने इस सेक्‍टर में महिलाओं की भूमिका के बारे में की जानकारी देते हुए कहा कि डेयरी सेक्‍टर में काम करने वाले कुल वर्कफोर्स में 74 फीसद महिलाएं हैं. इस कार्यक्रम में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, तीन राज्यों के मुख्यमंत्री, 40 देशों के प्रतिनिधियों के साथ साथ 156 विशेषज्ञ शामिल रहे. इस कार्यक्रम के दौरान देश के तेजी से बढ़ रहे इस उद्योग की चर्चा फिर से शुरू हो गयी है. तो जानने की कोशिश करते हैं कि देश की अर्थव्यवस्था में डेयरी का क्या रोल (Dairy Roles in Indian Economy) है और आने वाले समय में क्या चुनौतियां (Dairy Sector Potentials and Challenges) हैं.

ऐसे बढ़ता रहा रोल
भारतीय अर्थव्यवस्था तेजी से बढ़ रही है और इसमें कई क्षेत्रों का बड़ा योगदान है. कृषि क्षेत्र भी इनमें से एक है. इस अर्थव्यस्था में दुग्ध उत्पादों का बड़ा योगदान है. डेयरी का देश की राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था में 5% का योगदान करने वाली सबसे बड़ी कृषि वस्तु मानी जाती है. फिलहाल अगर आंकड़ों के हिसाब से देखा जाए तो भारत दुग्ध उत्पादन में पूरे विश्व में पहले स्थान पर है और वैश्विक दुग्ध उत्पादन में भारत का योगदान 23 फीसदी है. डेयरी से देश में 8 करोड़ से अधिक किसानों को इस क्षेत्र में प्रत्यक्ष रोजगार भी मिलता है. देश में दुग्ध उत्पादन लगभग 6.2% की चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर से बढ़कर 2020-21 में 209.96 मिलियन टन तक पहुंच गया है. जबकि यह 2014-15 में केवल 146.31 मिलियन टन था.

बढ़ता रहा दूध का ग्राफ

इतना ही देश के आर्थिक सर्वेक्षण के आंकड़ों में देखा जाय तो देश में प्रति व्यक्ति दूध की उपलब्धता भी बढ़ी है. 2014 में देखा जाए तो प्रति व्यक्ति दूध की उपलब्धता केवल 319 ग्राम थी, जो 2020-21 में बढ़कर 427 ग्राम प्रति दिन तक पहुंच गयी है.

प्रति व्यक्ति दूध की उपलब्धता

याद आते हैं लाल बहादुर शास्त्रीजी
इसके पहले के आंकड़ों को देखें तो पता चलता है कि 1950-51 दूध की प्रति व्यक्ति खपत सिर्फ 124 ग्राम रोजाना था. वहीं 1970 में प्रतिदिन प्रति व्यक्ति दूध की खपत घटकर मात्र 107 ग्राम रह गई थी. यह देश की इस जरुरत को तत्कालीन प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री ने 1964 में ही भांप लिया था. इसी साल शास्त्रीजी ने गुजरात के आणंद जिले की यात्रा की थी. उनकी आणंद यात्रा की ठीक बाद 1965 में नेशनल डेयरी डेवलपमेंट बोर्ड (एनडीडीबी) की स्थापना की गई. इसे देशभर में ऑपरेशन फ्लड कार्यक्रम के तहत 'आणंद पैटर्न' पर डेयरी कोऑपरेटिव बनाने के लिए तैयार किया गया. यह कार्यक्रम कई चरणों में लागू हुआ और देशभर में फैला. 'आणंद पैटर्न' पूरी तरह से एक सहकारी संरचना थी, जिसमें गांव-स्तरीय डेयरी सहकारी समितियां शामिल थीं, जिसके मध्यम से जिला-स्तरीय यूनियनों को बढ़ावा मिला, और फिर राज्य-स्तरीय मार्केटिंग फेडरेशन बने गए. आपको याद होगा कि 1970 में शुरू किए गए ऑपरेशन फ्लड ने भारत को सबसे बड़े दूध उत्पादकों में से एक बनाते हुए आज सर्वोच्च स्थान पर पहुंचा दिया है.

दूध का उत्पादन का बढ़ता दायरा

यह भी है उपलब्धि
देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इसी साल अप्रैल महीने में अपने एक संबोधन में कहा था कि भारत सालाना 8.5 लाख करोड़ रुपये के दूध का उत्पादन करता है. यह गेहूं और चावल के कारोबार से अधिक है. इसमें छोटे किसान डेयरी क्षेत्र के सबसे बड़े लाभार्थी हैं. भारत सालाना 8.5 लाख करोड़ रुपये के दूध का उत्पादन करता है और दुनिया में नंबर वन बना हुआ है. आर्थिक गतिविधियों में पुनरुद्धार, दूध और दुग्ध उत्पादों की प्रति व्यक्ति खपत में वृद्धि, आहार संबंधी प्राथमिकताओं में बदलाव और भारत में बढ़ते शहरीकरण ने डेयरी उद्योग को 2021-22 में 9-11% की वृद्धि के लिए प्रेरित किया है.

केंद्रीय योजनाओं में बढ़ा बजट
इसकी महत्ता को समझते हुए अबकी बार बजट में 2022-23 में राष्ट्रीय गोकुल मिशन और राष्ट्रीय डेयरी विकास कार्यक्रम के लिए आवंटन में 20% की वृद्धि की गई है. इससे देशी मवेशियों की उत्पादकता बढ़ाने और गुणवत्तापूर्ण दूध उत्पादन में मदद मिलने की उम्मीद है. 2022-23 के लिए पशुधन क्षेत्र के लिए आवंटन में 40% से अधिक की वृद्धि की गई है और केंद्रीय क्षेत्र की योजनाओं के लिए आवंटन में 48% से अधिक की वृद्धि पशुधन और डेयरी किसानों के विकास के लिए सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाती है.

इसके साथ साथ पशुधन स्वास्थ्य और रोग नियंत्रण के लिए आवंटन में वृद्धि की गयी है. पिछले वर्ष की तुलना में 2022-23 के लिए पशुधन स्वास्थ्य और रोग नियंत्रण के लिए आवंटन में लगभग 60% की वृद्धि से स्वस्थ पशुधन सुनिश्चित होगा और इसका असर देश के दुग्ध उत्पादन पर भी दिखेगा.

सरकार की मंशा है कि इस क्षेत्र में डिजिटल बैंकिंग को प्रोत्साहित किया जाय. इस क्षेत्र में डिजिटल बैंकिंग, डिजिटल भुगतान और फिनटेक नवाचारों को प्रोत्साहित करने से दूध खरीद के दौरान भुगतान को सुव्यवस्थित करके अधिक पारदर्शिता के माध्यम से पशुधन क्षेत्र में अच्छा प्रभाव दिखेगा. मंत्रालयों द्वारा खरीद के लिए पूरी तरह से पेपरलेस, ई-बिल प्रणाली शुरू किए जाने की भी योजना है.

सरकार के सामने चुनौतियां
देश भले ही उत्पादन में नंबर वन बन गया है, लेकिन निर्यात में भी नंबर वन बनाने के लिए काफी मेहनत करने की जरूरत है, क्योंकि उसमें हमारा देश काफी पीछे है. डेयरी एनालॉग्स, प्लांट-आधारित उत्पाद और मिलावट डेयरी उद्योग के लिए एक बड़ी चुनौती और खतरा बनकर उभरी है. साथ ही हरे चारे के संसाधनों की कमी और पशु रोगों पर अप्रभावी नियंत्रण के लिए आज ध्यान देने की जरूरत है. देश में स्वदेशी नस्लों के लिए क्षेत्रोन्मुख संरक्षण रणनीति का अभाव दिख रहा है और ज्यादा दूध के चक्कर में स्वदेशी नस्लों को बचाना सरकार के लिए बड़ी चुनौती होगी. दुग्ध व्यवसाय व उत्पादन से जुड़े किसानों को नए तकनीकि कौशल और गुणवत्ता वाली बाजार व्यवस्था उपलब्ध कराने पर भी सरकार को ध्यान देने की जरुरत है, जिससे लोगों की आमदनी बढ़े व एक दूसरे को देख अधिक से अधिक लोग इस क्षेत्र से जुड़कर लाभान्वित हों.

इसे भी देखें :ग्रेटर नोएडा में वर्ल्ड डेयरी समिट-2022 का पीएम मोदी ने किया उद्घाटन

भारत को दूध निर्यातक देश बनाना
भारत को भले ही सर्वाधिक दूध पैदा करने वाले देश का दर्जा मिल गया है, लेकिन अभी भी प्रमुख दूध निर्यातक देशों की श्रेणी में शामिल होना हमारे लिए बड़ी चुनौती है. हमारे देश में दूध का जो भी उत्पादन होता है, उसका अधिकांश हिस्सा घरेलू मांगों को पूरा करने में खर्च हो जाता है. हमारी सरकारों को इसके बारे में सोचना व निर्यात की संभावनाओं को विकसित करने पर जोर देना है.

आंकड़े 2021 में दुनिया भर में दूध के प्रमुख निर्यातकों को अरब अमेरिकी डॉलर में दिखाते हैं. अगर 2021 के आंकड़ों के हिसाब से देखें तो न्यूजीलैंड 7.8 बिलियन अमेरिकी डॉलर के निर्यात मूल्य के साथ दुनिया भर में दूध का मुख्य निर्यातक था, इसके बाद जर्मनी 3.2 बिलियन डॉलर मूल्य के दूध के निर्यात के साथ दूसरे स्थान पर था. इस श्रेणी में न्यूजीलैंड : 7.8 बिलियन अमेरिकी डॉलर का निर्यात करता है, जो कुल दूध निर्यात का 23.6% है. जर्मनी 3.2 बिलियन डॉलर का निर्यात करता है, जो कुल निर्यात का 9.6% है. संयुक्त राज्य अमेरिका 2.8 बिलियन अमेरिकी डॉलर के 8.5% निर्यात से तीसरे स्थान पर है. नीदरलैंड 2.4 बिलियन अमेरिकी डॉलर के 7.1% निर्यात से चौथे स्थान पर और फ्रांस 2 बिलियन अमेरिकी डॉलर के 6% निर्यात से पांचवे स्थान पर कायम है. कारोबारियों के संगठन कॉन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) द्वारा दिये गए आंकड़ों के मुताबिक न्यूजीलैंड अपनी घरेलू जरूरत से 14 गुना अधिक डेयरी उत्पादों का उत्पादन करता है और अपने कुल दूध का 93 फीसदी निर्यात करता है.

दूध उत्पादन में नंबर 1

सबसे अधिक दूध उत्पादन वाला राज्य
उत्तर प्रदेश भारत में सबसे बड़ा दूध उत्पादक राज्य है और इस राज्य का भारत में कुल दूध उत्पादन में 17% से ज्यादा हिस्सा है. सबसे बड़ा दूध उत्पादक होने के अलावा, उत्तर प्रदेश में सबसे अधिक संख्या में गायें और भैंस हैं, जो 1.8 करोड़ से अधिक हैं. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि प्रदेश में 8,600 दुग्ध समितियां भी हैं, जिनके जरिए दूध उत्पादन में लगे चार लाख से अधिक सदस्य सक्रिय हैं. जनसंख्या के मामले में उत्तर प्रदेश भारत का सबसे बड़ा राज्य है. यह दूध उत्पादन में भी शीर्ष पर है और कुल उत्पादन में इसका 16 प्रतिशत हिस्सा है. आज उत्तर प्रदेश हर साल 319 लाख टन दूध उत्पादन करता है और दूध उत्पादन में शीर्ष पर है.

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