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International Womens Day : छत्तीसगढ़ की पहली महिला सांसद मिनीमाता की कहानी और संघर्ष

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Published : Feb 28, 2023, 6:18 PM IST

छत्तीसगढ़ की पहली महिला सांसद मिनीमाता किसी पहचान की मोहताज नहीं है. अपनी पति की मृत्यु के बाद मिनीमाता ने राजनीति की विरासत को संभाला.इस दौरान उन्होंने पार्टी के साथ साथ समाजसेविका के रुप में भी अपनी पहचान बनाई.

International Womens Day
जानिए मिनीमाता की कहानी और संघर्ष

रायपुर : मिनीमाता अगम दास गुरु का जन्म 15 मार्च 1916 को हुआ था. मिनीमाता भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी की एक भारतीय राजनीतिज्ञ थीं. मिनी माता को छत्तीसगढ़ की पहली महिला सांसद होने का गौरव प्राप्त है.दूसरी, तीसरी, चौथी और पांचवीं लोकसभा में भी मिनीमाता संसद सदस्य थीं.मिनिमाता ने 2 जुलाई 1930 को अगम दास गुरु से शादी की. मिनीमाता को पढ़ाई, बुनाई, कढ़ाई, खाना पकाने और बागवानी का शौक था. सामाजिक और राजनीतिक मामलों पर बहस और चर्चा के रूप में उनके शौक सूचीबद्ध हैं.

मिनिमाता का राजनीतिक करियर :मिनीमाता 1955 में मौजूदा सांसद, उनके पति, गुरु अगमदास की मृत्यु के बाद उपचुनाव में पहली लोकसभा के लिए चुनी गईं. मिनिमाता ने कांग्रेस पार्टी की सदस्यता ली और अपनी पति के निर्वाचन क्षेत्र से चुनाव लड़ा.इस चुनाव में मिनिमाता को जीत हासिल हुई. 1962 में उन्होंने मध्य प्रदेश राज्य में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी के लिए अनुसूचित जाति के आरक्षित निर्वाचन क्षेत्र बलौदा बाजार में चुनाव लड़ा. मिनीमाता ने प्रज्ञा सोशलिस्ट पार्टी के उम्मीदवार को भारी मतों से हराया.उस समय मिनीमाता का वोटिंग प्रतिशत 52 फीसदी से ज्यादा था.

कब कब लड़ा चुनाव : 1967 में, उन्होंने जांजगीर के अनुसूचित जाति आरक्षित निर्वाचन क्षेत्र में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी के लिए चुनाव लड़ा. फिर मध्य प्रदेश राज्य में, 62% से अधिक वोट के साथ जीत हासिल की. मिनीमाता ने 1971 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी के लिए फिर से जांजगीर के उसी निर्वाचन क्षेत्र से चुनाव लड़ा और फिर से चुनाव जीता. 1973 में अपने संसदीय कार्यकाल की समाप्ति से पहले 31 मई 1974 को उनकी मृत्यु हो गई, जिससे उपचुनाव हुए. मिनीमाता की रायपुर से दिल्ली जा रही फ्लाइट में प्लेन क्रैश में मौत हुई थी.पालम हवाई अड्डे में उतरने से पहले ही 31 मई 1974 को मिनीमाता का जहाज क्रैश हो गया था.

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राजनीति के अलावा दूसरे क्षेत्रों में सक्रिय : अपने संसदीय कार्य के अलावा, उन्होंने राज्य कांग्रेस कमेटी के महासचिव के रूप में कार्य किया. गुरु घासीदास सेवा संघ के अध्यक्ष, हरिजन एजुकेशन सोसायटी के अध्यक्ष, उपाध्यक्ष, राज्य दलित वर्ग लीग, सचिव, महिला मंडल, रायपुर की सदस्या थीं. मिनीमाता सतनामी राजनीति से जुड़ी थीं, जो अम्बेडकरवादी दलित आत्म-दावा का एक रूप था.अपने पति की मृत्यु के बाद, उन्होंने समुदाय का नेतृत्व संभाला. वह जातिवाद और अस्पृश्यता के साथ-साथ बाल विवाह और दहेज प्रथा की सख्त विरोधी थीं.

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