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जगन्नाथ रथयात्रा 2022: रायपुर की पुरानी बस्ती के प्राचीन जगन्नाथ मंदिर से निकलेगी रथयात्रा

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Published : Jun 30, 2022, 7:27 PM IST

रायपुर की पुरानी बस्ती में 500 साल प्राचीन जगन्नाथ मंदिर है. यहां हर साल भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा निकाली जाती (Raipur Jagannath Rath Yatra 2022) है.

Ancient Jagannath Temple of Raipur
रायपुर का प्राचीन जगन्नाथ मंदिर

रायपुर:आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि से भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा निकाली जाती है. 1 जुलाई को भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा पूरे देश में निकाली जाएगी. इस मौके पर हम आपको रायपुर शहर के सबसे प्राचीन जगन्नाथ मंदिर के बारे में बताने जा रहे है. रायपुर की पुरानी बस्ती स्थित प्राचीन जगन्नाथ मंदिर को साहूकार मंदिर के नाम से जाना जाता था. मंदिर में भगवान जगन्नाथ की प्रतिमा स्थापित होने के बाद भी इसे जगन्नाथ मंदिर के रूप में पहचान नहीं मिली. इस मंदिर का इतिहास लगभग 500 साल पुराना (Raipur Jagannath Rath Yatra 2022) है.

अग्रवाल परिवार ने कराया था निर्माण:इस मंदिर का निर्माण का अग्रवाल परिवार ने कराया था. अंग्रेजों के शासन काल में एक अग्रवाल साहूकार ने इस मंदिर का विस्तार किया और सुंदरीकरण का कार्य करवाया.

जगन्नाथ रथयात्रा 2022

परिसर में और मंदिर मौजूद:इस परिसर में जगन्नाथ स्वामी के अलावा श्री राम दरबार, दो शंकर मंदिर, संतोषी माता मंदिर, गरुड़ और संकट मोचन हनुमान मंदिर भी है.. मंदिर का प्रमुख उत्सव रथयात्रा है.

2 साल बाद मनाया जाएगा पर्व:पिछले 2 सालों से कोरोना संक्रमण के कारण रथयात्रा का पर्व सामान्य तरह से मनाया जा रहा था. हालांकि इस साल कोरोना संक्रमण कम होने के कारण धूमधाम से भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा निकाली जाएगी.

शहर के अलग-अलग इलाकों से होकर निकलेगी रथयात्रा:मंदिर से निकलने वाली रथ यात्रा में शामिल होने और भगवान का रथ खींचने के लिए राजधानी के आसपास से हजारों श्रद्धालु बड़ी संख्या में पहुंचते हैं. कहते हैं कि जिन श्रद्धालुओं को रथ खींचने का मौका मिलता है, वे उन्हें भाग्यशाली समझते हैं. जिन श्रद्धालुओ को रथ खींचने का मौका नहीं मिल पाता, वे रथ की रस्सी को छूने की कोशिश करते हैं.

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दो आषाढ़ आने पर भी नहीं बदली जाती प्रतिमा:जिस साल दो आषाढ़ होते हैं, उस साल मूर्ति बदलने की परंपरा है. लेकिन पुरानी बस्ती के जगन्नाथ मंदिर की मूर्ति को नहीं बदला जाता. क्योंकि यहां श्री मूल मूर्तियां जगन्नाथपुरी से लाई गई है. हर साल जगन्नाथ पुरी से विशेष कलाकार आते हैं और रंग रोगन का कार्य करते हैं.

मंदिर के पुजारी का क्या है कहना:जगन्नाथ मंदिर के पुजारी तिलक दास महाराज ने बताया कि यह मंदिर 500 साल पुराना है. भगवान जगन्नाथ में जो श्रद्धालु पहुंचते हैं, उनकी मनोकामना पूर्ण होती है. आषाढ़ मास की पूर्णिमा को जगन्नाथ भगवान का महास्नान किया गया था. उसके बाद से उन्हें बुखार होने के कारण विश्राम कराया जा रहा है. रोजाना उन्हें जड़ी बूटियों का काढ़ा दिया जा रहा है. आज शाम से ही भगावान जगन्नाथ के साथ, बड़े भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा जी दर्शन देंगे. शुक्रवार सुबह महंत रामसुंदर दास के नेतृत्व में अभिषेक, हवन, पूजन के बाद दोपहर 3 बजे भगवान रथ पर सवार होकर नगर भ्रमण पर निकलेंगे. यह रथयात्रा लोहार चौक अमीनपारा कंकाली तालाब आजाद चौक, आमापारा होते हुए लाखे नगर गुडिचा मंदिर पहुंचेगी.

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