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National doctor day 2022: कुछ यूं हुआ आजादी के बाद छत्तीसगढ़ में स्वास्थ्य सुविधाओं का विस्तार

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Published : Jun 29, 2022, 8:17 PM IST

National doctor day 2022: नेशनल डॉक्टर्स डे 2022 के मौके पर छत्तीसगढ़ में आजादी के बाद हुए चिकित्सा के विकास और विस्तार (Expansion of health facilities in Chhattisgarh after independence) की जानकारी के लिए पढ़िए पूरी खबर...

National doctor day 2022
नेशनल डॉक्टर्स डे 2022

रायपुर: हमारे देश में डॉक्टर को भगवान का दर्जा दिया गया है. अपनी जान की परवाह किये बगैर डॉक्टर लोगों की जान बचाते हैं. जिस तरह कोरोना महामारी के दौरान विश्वभर के डॉक्टरों ने अपनी जान की परवाह किए बगैर संक्रमित लोगों का इलाज किया और लाखों लोगों की जान बचाई...ये इसका जीता जागता उदाहरण है कि चिकित्सक भगवान का रूप होते हैं. डॉक्टरों के बलिदान और उनके योगदान के सम्मान के लिए दुनिया भर में अलग-अलग दिन डॉक्टर्स डे मनाया जाता है. हमारे देश में 1 जुलाई को नेशनल डॉक्टर्स डे 2022 मनाया (Expansion of health facilities in Chhattisgarh after independence ) जाता है. यह दिवस महान चिकित्सक डॉ. बिधान चंद्र राय की जयंती के दिन मनाया जाता है.

इस नेशनल डॉक्टर्स डे के मौके पर ईटीवी भारत आपको छत्तीसगढ़ की स्वास्थ्य सुविधाओं के बारे में बताने जा रहा है. किस तरह आजादी के बाद से यहां स्वास्थ्य सुविधाओं का विकास (health facility in chhattisgarh) हुआ.

छत्तीसगढ़ मेडिकल काउंसिल के सदस्य डॉ राकेश गुप्ता

ऐसे हुई स्वास्थ्य सुविधाओं की शुरुआत: छत्तीसगढ़ मेडिकल काउंसिल के सदस्य डॉ. राकेश गुप्ता ने बताया, "अविभाजित मध्य प्रदेश में ब्रिटिश शासक द्वारा 1900 से पहले कुछ अस्पताल बनवाए थे, यहां मिशनरी के अस्पताल भी लंबे समय छत्तीसगढ़ के अलग-अलग हिस्सों में काम कर रहे हैं. स्वास्थ्य सुविधाएं थी लेकिन दूरस्थ अंचल में स्वास्थ्य सुविधाओं के नाम पर नाम मात्र के अस्पताल थे. रायपुर में पहले स्त्री रोग विशेषज्ञ अस्पताल था. जिसे अब निर्वाचन कार्यलय के रूप में परिवर्तित किया गया है. 1900 में डॉ. कल्याण सिंह अस्पताल बना, जिसे डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल के तौर पर विकसित किया गया. आजादी के पहले से यह अस्पताल काम कर रहा है. बाद में 1964 में मेडिकल कॉलेज बना. तब वर्तमान में जो आयुर्वेदिक कॉलेज है. वहां मेडिकल कालेज शुरू हुआ, जिसे जिला अस्पताल से सम्बंधित किया गया. धीरे-धीरे सुविधाएं विकसित होती गई. प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र बनते गए. धमतरी में अस्पताल बना, जगदीशपुर में मिशनरी का अस्पताल बना, बैतलपुर में, बिलासपुर में, मिशनरी के अस्पताल थे. लेकिन धीरे-धीरे रायपुर चिकित्सा सेवा का केंद्र बनाता गया. सन 2000 के बाद रायपुर में प्राइवेट अस्पतालों का विकास तेजी से हुआ."

1955 से 1960 के बीच रायपुर में प्राइवेट अस्पताल की शुरुआत हुई: डॉ. राकेश गुप्ता ने बताया, " सन 1955 से 1960 के बीच रायपुर में प्राइवेट अस्पतालों का विकास शुरू हुआ. मेरी जानकारी के अनुसार डॉ. सुब्बाराव ने रायपुर में पहला अस्पताल शुरू किया, जो बस्तर बाड़ा में है. डॉ. सोमनाथ साहू ने 1960 के बाद शहर में अस्पताल शुरू किया. उसके बाद सिविल लाइन में डॉ. सग्गगर ने अस्पताल शुरू किया."

रायपुर का पहला स्पेशयलिस्ट डॉक्टर: डॉ. राकेश गुप्ता ने बताया, "रायपुर के पहले स्पेशयलिस्ट डॉक्टर कमला तिवारी ने सिविल लाइन में अस्पताल शुरू किया. धीरे-धीरे सन 1970 कर बाद कुछ अस्पताल विकसित हुए. लेकिन सन 1985 के बाद प्राइवेट अस्पतालों का दौर शुरू हुआ. आज रायपुर में 300 के करीब अस्पताल हैं."

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रायपुर बन रहा मेडकिल हब: डॉ. राकेश गुप्ता ने बताया, " रायपुर अब कोलकाता और नागुपर के बीच एक बड़ा मेडिकल हब है. यहां सत्यसाई संजीवनी अस्पताल और एम्स आने के बाद, चिकित्सा सुविधाओं में बेहतर विकास हुआ है. रायपुर मेडिकल कॉलेज को भी 60 साल जल्द पूरे हो जाएंगे. स्वास्थ सुविधाओं में जो विस्तारीकरण होना चाहिए था, जो विशेष सुविधाएं आई है.. मुझे लगता है कि आने वाले दिनों में रायपुर एक बड़ा मेडकिल हब बन जाएगा. यहां नए डॉक्टर आए हैं. लेकिन ऐसा कोई क्षेत्र अछूता नहीं रहा, जहां किसी प्रकार की सेवाओं की कमी हो. पहले इलाज के लिए बड़े शहरों की ओर लोगों को रुख करना पड़ता था. लेकिन अब सारी सुविधाएं रायपुर शहर में उपलब्ध है."

प्रदेश में इतने डॉक्टर रजिस्टर: छत्तीसगढ़ में लगातार स्वास्थ सुविधाओं में बढ़ोतरी हो रही है. वर्तमान में छत्तीसगढ़ मेड़किल काउंसिल में एलोपैथिक आधुनिक पद्धति में 15000 डॉक्टर रजिस्टर्ड है. भारतीय चिकित्सा पद्धति की बात की जाए, तो छत्तीसगढ़ में आयुर्वेदिक होम्योपैथिक और यूनानी के कुल 10,000 डॉक्टर है.

ये है डॉक्टरों का रेश्यो: WHO के के अनुसार प्रत्येक 1000 आबादी पर एक डॉक्टर उपलब्ध होना चाहिए. लेकिन छत्तीसगढ़ की जनसंख्या के अनुसार प्रदेश में आधुनिक चिकित्सा पद्धति 15 हजार से 20 हजार डॉक्टरों की जरूरत होगी. अगर भारतीय चिकित्सा पद्धति को भी इसमें शामिल कर लिया जाए, तो लगभग 15,000 डॉक्टर होने से कुछ हद तक यह कमी पूरी हो जाएगी.

इतने पद खाली: स्वास्थ्य विभाग के अनुसार प्रदेश के स्वास्थ्य सेवाओं को मजबूत बनाने के लिए छह मेडिकल कॉलेज में डॉक्टर समेत अन्य स्वास्थ्य कर्मियों के लगभग 8384 पद खाली हैं. राज्य के शासकीय कॉलेजों में 1140 प्रथम श्रेणी के पद रिक्त हैं. द्वितीय श्रेणी के 691 पद रिक्त हैं. तृतीय श्रेणी के 3494 पद रिक्त है. वहीं चतुर्थ श्रेणी के 3055 पद रिक्त हैं. राज्य में करीब 3500 चिकित्सा विशेषज्ञों के पद अभी भी रिक्त हैं. विशेषज्ञ डॉक्टरों की कमी को लेकर स्वास्थ्य मंत्री चिंता जता चुके हैं.

रायपुर एम्स में चिकित्सकों के 347 पद खाली: सेंट्रल हेल्थ एंड फैमिली वेलफेयर मिनिस्ट्री की तरफ से 11 फरवरी को जारी किये गए रिपोर्ट के अनुसार रायपुर एम्स में संकाय और सीनियर रेजिडेंट जूनियर रेजिडेंट समेत कुल 347 चिकित्सकों के पद रिक्त हैं. इनमें संकाय चिकित्सकों के 305 स्वीकृत पदों में 147, सीनियर रेजिडेंट के 377 में से 204 पद खाली पड़े हैं. इसी तरह 3878 गैर संकाय पदों में 1376 पद समेत अस्पताल अधीक्षक का पद भी लंबे समय से खाली पड़ा है. एम्स के डायरेक्टर का कहना है कि भर्ती एक सतत प्रक्रिया है, जो चलती रहती है. जूनियर डॉक्टरों को पद भार दिए हैं. जल्दी ही बाकी पदों को भरा जाएगा.

स्वास्थ्य विभाग में रिक्त पदों की स्थिति:

पद स्वीकृत रिक्त
दंत चिकित्सक 114 44
विशेषज्ञ चिकित्सक 15861276
स्टाफ नर्स 5698 1629
नर्सिंग सिस्टर 274 147
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