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10 का मुर्गा खाओगे तो ऐसी ही रोड पाओगे...

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Published : Aug 3, 2021, 5:12 PM IST

Updated : Aug 3, 2021, 5:21 PM IST

10 का मुर्गा खाओगे तो ऐसी ही रोड पाओगे...,
जर्जर सड़कों के लिए गाया गाना

इंसान की बुनियादी जरूरतों में सड़क का अहम योगदान है. लेकिन कोरबा में सड़क जर्जर हो चुकी है. इससे वहां के रहवासियों को भारी परेशानी का सामाना करना पड़ रहा है. जब सड़क की समस्या पर लोगों की किसी ने नहीं सुनी तो वहां के युवाओं ने हाथों में तख्तियां और गाना गाकर जिला प्रशासन की अनदेखी का विरोध किया.

कोरबा: जर्जर सड़क की मरम्मत नहीं होने से यहां के स्थानीय लोग भारी परेशान हैं. शहर के युवा जिला प्रशासन और सरकार की वादाखिलाफी के खिलाफ मुखर हो गए हैं. जन संगठन के युवा, जर्जर सड़कों पर तख्तियां लेकर प्रदर्शन कर रहे हैं. इस दौरान उन्होंने गाजे-बाजे का भी इंतजाम कर रखा था. आने-जाने वाले लोगों से युवा गाना गाकर कह रहे हैं कि लोकतंत्र के सबसे मजबूत अधिकार 'वोट' को बेचने पर सड़कों का यही हश्र होता है.

जर्जर सड़कों के लिए गाया गाना

पश्चिम क्षेत्र के सड़कों का है अधिक बुरा हाल

जन संगठन के युवा 'महापौर कब बनेगी सड़क', 'कलेक्टर मैडम सड़क बनवा दो', इस तरह का स्लोगन लिखकर प्रदर्शन कर रहे हैं. खास तौर पर जिले के पश्चिम क्षेत्र की आबादी जर्जर सड़कों से बेहद परेशान है. फिर चाहे वह दर्री डेम से लेकर ध्यानचंद चौक की सड़क की बात हो, गेरवा घाट पुल से एप्रोच को जोड़ने वाली 800 मीटर की सड़क, सर्वमंगला मंदिर से लेकर कुसमुंडा तक जाने वाली सड़क की बात हो.
बलगी की सड़कें, बांकीमोंगरा क्षेत्र की सड़कें हो या फिर बालको-जैलगांव से लेकर कटघोरा और पाली तक की सड़कों की खराब हालत हो.

तख्तियां लेकर विरोध जताया

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मानसून के बाद होगी मरम्मत

जिले में खास तौर पर शहर के पश्चिम क्षेत्र की सड़कें बेहद जर्जर हैं. विगत 3 वर्षों से ऐसे ही हालत हैं. मरम्मत करने पर भी कोई खास फायदा नहीं हुआ, सड़कें धुल गई और पैसा पानी में बह गया. कलेक्टर रानू साहू ने मामले में कहा है कि, मानसून में सड़कों की मरम्मत संभव नहीं है. मानसून खत्म होने के बाद सड़कों की मरम्मत कराई जाएगी. कुछ दिन पहले ही दर्री डैम से लेकर ध्यानचंद चौक के सड़क की मरम्मत कराई गई थी. लेकिन बारिश के कारण वह बह गई. जैसे ही बारिश रुकेगी सड़कों की मरम्मत का काम शुरू कराया जाएगा.

तख्तियां लेकर विरोध जताया

10 के मुर्गे का भी जिक्र

विधानसभा चुनाव के दौरान चिकन दुकान के संचालक विशेष सीरियल नंबर वाले 10 रुपये के नोट का इस्तेमाल टोकन की तरह कर रहे थे. यह टोकन उन्हें राजनीतिक दलों ने उपलब्ध कराए थे. जिसे चिकन दुकान पर देने पर एक किलो मुर्गा उन्हें दिया जाता था. ईटीवी भारत ने यह खबर प्रमुखता से दिखाई थी. यह एक बड़ा खुलासा था. जिसके बाद प्रशासन ने एक्शन लिया था.

तख्तियां लेकर विरोध जताया

लेकिन अब यह युवाओं का स्लोगन बन चुका है. इस तरह की शादियों में स्लोगन का भी युवा इस्तेमाल प्रदर्शनों में कर रहे हैं. आने जाने वाले लोगों से भी कह रहे हैं कि जब '10 का मुर्गा खाओगे, तब ऐसे ही रोड पाओगे'

Last Updated :Aug 3, 2021, 5:21 PM IST

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