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Chhath Mahaparv 2021: पहिले-पहिले हम कईनी छठी मैया बरत तोहार...करिह क्षमा छठी मैया भूल-चूक गलती हमार...

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Published : Nov 9, 2021, 5:05 PM IST

Updated : Nov 9, 2021, 7:49 PM IST

लोक आस्था का महापर्व छठ (chhath festival of folk faith) को लेकर राजधानी के लोगों गजब का उत्साह है. पर्व का नाम सुनते ही लोगों में मानों एक अनोखे ऊर्जा (unique energy) का प्रवाह हो जा रहा है. सूर्योपासना (sun worship) के इस महापर्व में शामिल होने के साथ-साथ व्रत करने की आस्था मानों अपने चरम पर है. श्रद्धालु एक तरफ जहां व्रत धारण किए हुए हैं वहीं छठ घाटों (Chhath Ghat) पर पूजा वेदियों (worship altar) का निर्माण अपने अंतिम दौर में है.

Chhath Mahaparv 2021
Chhath Mahaparv 2021

रायपुरःयूं तो लोक आस्था का महापर्व छठ (chhath festival of faith) बिहार समेत पूरे-देश दुनिया में मनाया जाता है. लगातार बीते कई वर्षों से व्रत करने के साथ-साथ ही कई व्रती ऐसी भी हैं, जो पहली बार छठ व्रत करेंगी. इसको लेकर चहुंओर माहौल भक्तिमय हो गया है. छठ के गीत चारों ओर गूंज रहे हैं.

Chhath Mahaparv 2021

चार दिनों तक चलने वाले इस सबसे कठिन अनुष्ठान में आज खरना है. महिलाएं शाम को गुड़ से बनी खीर और रोटी का सेवन करेंगी. जिसके बाद से ही वह निर्जला व्रत (Nirjala Vrat) रख लेंगी. यह 36 घंटे चलेगा और परसों सुबह सूर्य को अर्घ्य देने के बाद महिलाएं प्रसाद खाकर व्रत खोलेंगी.

छठ का पर्व बहुत ही पवित्र पर्व माना जाता है. बच्चों और पति के लिए महिला है यह व्रत करती हैं. दिवाली के 3 दिन बाद से ही छठ का पर्व शुरू हो जाता है. पहले दिन नहाए खाए की रस्म रहती है. जिस दिन महिलाएं सुबह उठकर स्नान कर साफ-सुथरे कपड़े पहन कर बिना लहसुन-प्याज के लौकी की सब्जी बनाती हैं और रोटी के साथ खाती हैं.

आज से महिलाएं 4 दिन तक चप्पल नहीं पहनती हैं और रात को जमीन पर सोती हैं. छठ के दूसरे दिन खरना रहता है. इस दिन महिलाएं गुड़ की बनी खीर और सूखी रोटी खाती हैं. वहीं छठ के तीसरे दिन महिलाएं घाट पर जाती हैं और छठ मईया (chhath maiya) की पूजा कर डूबते सूर्य को अर्घ्य देती हैं. चौथे दिन छठ महापर्व का समापन होता है. इस दिन उगते सूर्य को अर्घ्य (salute to the sun) दिया जाता है और छठ मैया को विदा किया जाता है. जिसके बाद ही महिलाएं छठ का प्रसाद खा कर निर्जला व्रत खोलती हैं.

छठ पूजा में बांस के बने सूप और दौरी का विशेष महत्व होता है. इसके साथ ही छठ पूजा में इस्तेमाल होने वाले फलों का भी विशेष महत्व होता है. छठ के दौरान डाभ नीबू का इस्तेमाल किया जाता है जो साल के इसी महीने में ज्यादा बाजारों में देखने को मिलता है. ईटीवी भारत ने छठ पूजा के दौरान सूप, दौरी, डाब नीबू का महत्व के बारे में पंडित विनीत शर्मा से बात की. आइए जानते हैं उन्होंने क्या कहा?


पर्व पर बांस के दौरी और सूप का विशेष महत्व
पंडित विनीत शर्मा ने बताया कि छठ बहुत ही पावन पर्व है और इस पर्व को आज पूरे विश्व में बड़े धूमधाम से मनाया जाता है. छठ के समय महिलाएं अपने पति और बच्चों के सुख-समृद्धि के लिए 36 घंटे का निर्जला व्रत रखती हैं और डूबते और उगते सूर्य को अर्घ्य देती हैं. इस दौरान महिलाएं बांस के बने सूप का इस्तेमाल करती हैं. जोकि आस्था का प्रतीक है. बांस विभिन्न गुणों से भरा रहता है. बांस में जो अलग-अलग गांठ होती है, वह रिश्तों को दर्शाता है.

इसके साथ ही बांस तेजी से बढ़ने वाला घास होता है. महिलाएं बास से बना सूप इसलिए इस्तेमाल करती हैं, ताकि बांस की ही तरह उनकी घर की सुख समृद्धि बनी रहे और उनके बच्चे अच्छे से फले-फूलें,आगे बढ़ें. सूप में प्रसाद के तौर पर कई सारे फल रखे जाते हैं. इसमें केला, नारियल डाभ, सेव, नारंगी, अन्नानास, डाभ नीबू जैसे कई फल हैं, छठ पूजा में डाभ नीबू का भी विशेष महत्व है. यह नीबू सिर्फ छठ पूजा के ही दौरान बाजार में देखने को मिलता है.


लाभकारी गुणों से भरा है डाभ नीबू

न्यूट्रीशनिस्ट (nutritionist) सारिका श्रीवास्तव ने बताया कि छठ पूजा बहुत ही पावन पर्व है और इस दौरान तरह तरह के फल पूजा में इस्तेमाल किए जाते हैं. जो कि स्वास्थ्य के लिए भी बहुत अच्छे रहते हैं. इसी दौरान डाब नींबू भी बाजार में देखने को मिलता है. डाभ नीबू, नीबू के ही प्रजाति का फल है लेकिन यह काफी बड़ा होता है. इसमें भरपूर मात्रा में विटामिन सी पाया जाता है जो कि सेहत के लिए बहुत ही फायदेमंद रहता है.

छठ पूजा का दूसरा दिन, खरना की तैयारी में जुटीं व्रती


पिछले साल संक्रमण का था दहशत
पिछले साल कॉविड के वजह से छठ पूजा धूमधाम से नहीं मनाया जा सका था. इस साल प्रदेश में संक्रमित मरीजों की संख्या काफी कम है. इसलिए इस बार छठ पूजा बड़ी धूमधाम से मनाने की तैयारी हो रही है. वहीं बाजारों में भी सूप, दौरी और विभिन्न तरह के फल आ चुके हैं. ईटीवी भारत ने बाजार का भी जायजा लिया और जाना कि क्या बढ़ती महंगाई के साथ इनके भी दाम बढ़े हैं. लोगों की क्या राय है, इस बारे में भी ईटीवी भारत ने कुछ लोगों से बात की. आइए जानते हैं उन्होंने क्या कहा?


महंगाई के बाद भी गजब का उत्साह
दुकानदार ने बताया कि छठ को लेकर इस बार अच्छा-खासा मार्केट सजा हुआ है. पिछले साल कोविड के चलते छठ का पर्व इतनी धूमधाम से नहीं मनाया जा सका था. मार्केट में भीड़-भाड़ भी कम थी लेकिन इस बार अच्छी खासी भीड़ देखने को मिल रही है. बाजार में बांस के बने सूप, दौरी छोटे से लेकर बड़े तक सभी उपलब्ध हैं. साथ ही सभी तरह के फल भी बाजार में है. पिछले साल के मुकाबले इस बार दाम 10 से 15 रुपए सभी चीजों की महंगी है. लोगों ने बताया कि छठ का पर्व बिहारियों का सबसे महत्वपूर्ण पर्व माना जाता है. हर बिहारी इसे बड़े धूमधाम से मनाता है. खरीदारी आज से इसकी शुरू हो चुकी है. बाजार में महंगाई का असर थोड़ा बहुत देखने को मिल रहा है.

Last Updated :Nov 9, 2021, 7:49 PM IST

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