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पटना डीएम कार्यालय पर 50 हजार का जुर्माना, हाईकोर्ट ने गया के डीडीसी और मोतीपुर के सीओ को किया तलब

By ETV Bharat Bihar Team

Published : Nov 30, 2023, 8:39 PM IST

Patna High Court : पटना हाईकोर्ट में जस्टिस पीबी बजनथ्री की खंडपीठ ने अदालती आदेश की अवमानना से संबंधित मामले पर सुनवाई की है. कोर्ट ने पटना के डीएम कार्यालय पर 50 हजार का अर्थदंड लगाया है. वहीं दो अलग-अलग मामले की कोर्ट ने सुनवाई करते हुए गया के डीडीसी और मुजफ्फरपुर के मोतीपुर सीओ को तलब किया है. पढ़ें पूरी खबर.
पटना हाईकोर्ट
पटना हाईकोर्ट

पटना:पटना हाईकोर्ट ने अदालती आदेश की अवमानना से संबंधित मामले पर सुनवाई की है. पटना हाईकोर्टने पटना के डीएम कार्यालय पर पचास हजार का अर्थदंड लगाया है. जस्टिस पीबी बजनथ्री की खंडपीठ ने पंकज कुमार की आवमानना वाद पर सुनवाई की. वहीं अलग-अलग सुनवाई में पटना हाईकोर्ट ने गया के डीडीसी सह मुख्य कार्यपालक अधिकारी और मुजफ्फरपुर के मोतीपुर सीओ को तलब किया है.

पटना डीएम कार्यालय पर 50 हजार रुपये का जुर्माना: पटना हाईकोर्ट ने पटना डीएम कार्यालय को अर्थदंड की राशि पटना हाईकोर्ट के लीगल सेल में जमा करने का आदेश दिया. याचिकाकर्ता की ओर से कोर्ट को बताया गया कि दिनांक 21.11.2019 को पटना हाई कोर्ट द्वारा पारित आदेश का पिछले चार वर्षों से अनुपालन प्रतिवादियों द्वारा नहीं किया गया. कोर्ट को बताया गया कि प्रतिवादियों द्वारा याचिकाकर्ता की शिकायत पर विचार करने में निष्क्रियता रही है. अदालती आदेश के अनुपालन में देरी पाते हुए हाईकोर्ट ने डीएम कार्यालय पटना पर 50 हजार रुपये का अर्थदंड लगाया.

गया के डीडीसी को किया तलब:वहीं पटना हाईकोर्ट ने गया के डीडीसी सह मुख्य कार्यपालक अधिकारी को तलब किया है. कोर्ट ने गया डिस्ट्रिक्ट बोर्ड का पक्ष रखने के लिए किसी वकील को हाजिर नहीं होने के कारण डीडीसी को हाजिर होने का आदेश दिया. जस्टिस संदीप कुमार ने रंजीत कुमार एवं अन्य की ओर से दायर अर्जी पर सुनवाई के दौरान कोर्ट में किसी वकील को हाजिर नहीं होने के कारण यह आदेश दिया. कोर्ट ने आदेश की प्रति गया डीएम को फैक्स से भेजने का आदेश दिया.

पटना हाईकोर्ट ने मोतीपुर सीओ को किया तलब: पटना हाईकोर्ट ने मुजफ्फरपुर के मोतीपुर सीओ को तलब किया है. कोर्ट ने अगली तारीख पर सीओ को पूरे रिकॉर्ड के साथ उपस्थित रहने का आदेश दिया है. न्यायमूर्ति संदीप कुमार की एकलपीठ ने रामनाथ राय की ओर से दायर अर्जी पर सुनवाई के बाद यह आदेश दिया. आवेदक की ओर से कोर्ट को बताया गया कि बगैर अतिक्रमण वाद चलाये बिहार सार्वजनिक भूमि अतिक्रमण कानून का हवाला देते हुए घर को तोड़ दिया गया. इस कानून के तहत किसी प्रकार का कोई आदेश पारित नहीं किया गया है.

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