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बिहार में शराबबंदी को लेकर CNLU का सर्वे, 87 प्रतिशत लोगों ने माना कि आय में हुई बढ़ोतरी

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Published : Aug 29, 2022, 10:51 PM IST

बिहार में शराबबंदी को लेकर CNLU ने प्रदेश के 8 जिलों में सर्वे किया है. इस सर्वे के मुताबिक शराबबंदी के बाद से घरेलू हिंसा में कमी आई है. पढ़ें पूरी खबर.

सीएनएलयू
सीएनएलयू

पटना:बिहार में शराबबंदी (Liquor Ban In Bihar) को लेकर नया सर्वे हुआ है. इसमें पता चला है कि लोग प्रदेश में शराबबंदी लागू रखना चाहते हैं, लेकिन इसमें और कराई भी चाहते हैं. चाणक्या नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी ने बिहार के 8 जिले पटना, गया, बक्सर, किशनगंज, कटिहार, मधुबनी, जमुई, पूर्वी चंपारण के 4,000 घरों में 22,184 लोगों से बातचीत की और उसके आधार पर सर्वे रिपोर्ट तैयार की है. इस सर्वे में 11,886 पुरुष और 10,298 महिलाएं शामिल हैं.

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शराबबंदी को लेकर नया सर्वे: सीएनएलयू के इस रिपोर्ट को देखें तो प्रदेश में 80 प्रतिशत से अधिक लोग शराबबंदी के फैसले को आगे भविष्य के लिए न सिर्फ जारी रखना चाहते हैं. बल्कि, इस कानून को सख्ती से लागू भी कराना चाहते हैं. उत्पाद आयुक्त कार्तिकेय धनजी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर इस बात की जानकारी दी है और उन्होंने बताया है कि शराबबंदी के फैसले को महिलाओं को पूरा समर्थन मिल रहा है.

घरेलू हिंसा में आई कमी: शराबबंदी के कारण घरेलू हिंसा में कमी आई है और महिलाओं के स्वास्थ्य में भी सुधार देखने को मिला है. सर्वे की मानें तो लोगों का कहना है कि शराबबंदी से घरेलू हिंसा में कमी आई है. इसके साथ ही सड़क पर होने वाली छिटपुट छेड़खानी की घटनाओं में भी भारी कमी आई है. सर्वे में 87 प्रतिशत लोगों का कहना है कि शराबबंदी से औसत घरेलू आय बढ़ा है और इस आय को वह बच्चों के शिक्षा में इस्तेमाल कर रहे हैं.

सड़क हादसे में आई कमी: सर्वे के मुताबिक, 74.4 प्रतिशत शराब पीने वाले लोग शराब छोड़कर अब अपने परिवार को पूरा समय देते हैं. वहीं 65 प्रतिशत आदतन शराब पीने वाले लोगों के स्वास्थ्य की स्थिति में सुधार हुआ है. सड़क हादसों में 51.4 प्रतिशत की कमी आई है. शराबबंदी से सड़क सुरक्षा में वृद्धि हुई है. हालांकि, सर्वे में लोगों ने इस बात से नाराजगी जताई है कि शराबबंदी कानून का सख्ती से पालन नहीं हो रहा है.

शराबबंदी को हो चुके हैं 6 साल: बड़े शराब माफिया कानून की पहुंच से बाहर हैं, जो लोगों को अभी भी शराब की लत में डाले रखना चाहते हैं. बताते चलें कि बिहार में शराबबंदी को लागू हुए 6 साल बीत चुके हैं. तब से अब तक प्रदेश के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ही है लेकिन दो बार उनके साझीदार भी बदल चुके हैं. मुख्यमंत्री बेबाकी से कहते हैं कि शराबबंदी से कोई समझौता नहीं हो सकता और शराब पीना गलत है.

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