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हल्द्वानी में एक अरब से अधिक का लीसा डंप, नीलामी के इंतजार में वन महकमा

By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Jan 28, 2024, 8:24 AM IST

Updated : Jan 28, 2024, 10:02 AM IST

Haldwani Lisa Depot लीसे की नीलामी नहीं होने से डिपो में करीब 70 हजार कुंटल लीसे का स्टॉक पड़ा है. विभाग लीसे की नीलामी का इंतजार कर रहा है. वहीं व्यापारी नए लीसे की मांग करते हैं, क्योंकि पुराने लीसे के दाम कम मिलते हैं. ऐसे में सवाल उठ रहा है कि विभाग इस लीसे को कैसे खपाता है.

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हल्द्वानी में एक अरब से अधिक का लीसा डंप

हल्द्वानी: उत्तराखंड वन विभाग बड़े पैमाने पर लीसा का उत्पादन करता है. लीसे से सरकार को भी भारी मात्रा में राजस्व की प्राप्ति होती है. लेकिन वन विभाग के गोदाम से नीलामी कम होने से माल गोदाम से नहीं उठ सका. जिसका नतीजा है कि हल्द्वानी के सुल्तान नगरी और काठगोदाम लीसा डिपो में करीब 70 हजार कुंटल लीसे का स्टॉक पड़ा है. जिसकी कीमत एक अरब से अधिक बताई जा रही है.

लीसे जैसे ज्वलनशील पदार्थ सुरक्षा की दृष्टि से बेहद संवेदनशील माना जाता है.लीसे की सुरक्षा को लेकर स्टाफ अलर्ट है. लीसा डिपो की अग्नि सुरक्षा को लेकर भी कई बार सवाल खड़े होते रहे हैं. ऐसे में वन विभाग के अधिकारियों ने लीसा डिपो में अग्नि सुरक्षा की व्यवस्था को लेकर निर्देशित किया है.उत्तराखंड में लीसे के चार सबसे बड़े केंद्र है, जहां हल्द्वानी के सुल्ताननगरी व काठगोदाम के हनुमानगढ़ी,नरेंद्र नगर और टनकपुर में लीसे के डिपो हैं. पहाड़ों पर चीड़ के पेड़ से निकलने वाले तरल पदार्थ यानी लीसा को निकासी के बाद यहां डंप किया जाता है.कुमाऊं में लीसे का बड़ा कारोबार है, इसका इस्तेमाल तारपीन तेल बनाने, कांच, कागज, कपड़ा आदि उद्योगों में भी किया जाता है.
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वर्तमान में सुल्तान नगरी डिपो और हनुमानगढ़ी डिपो में मिलाकर करीब 70 हजार कुंटल लीसा डंप पड़ा है.जिसकी कीमत एक अरब से अधिक की बताई जा रही है. वहीं लीसे की बिक्री की मांग कम होने से गर्मियों में सुरक्षा को लेकर चिंता भी बनी रहती है. लीसा एक अति जलनशील पदार्थ है, वर्तमान समय में ठंड के चलते खतरे की संभावना कम रहती है. लेकिन गर्मियों में हमेशा खतरा बना रहता है. जिसको लेकर लीसा डिपो में अग्नि की सुरक्षा को चाक चौबंद किया जाता है. बताया जाता है कि लीसा खरीदने वाले व्यपाारी फ्रेश माल की डिमांड करते हैं. इसी वजह से पुराने माल की कीमत कम हो जाती है.
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अधिकांश माल दिल्ली सप्लाई होता है .मुख्य वन संरक्षक कुमाऊं पीके पत्रों ने बताया कि विभाग अग्नि सुरक्षा को लेकर पूरी तरह से सतर्क है. फायर व्यवस्था ठीक करने के लिए प्रपोजल तैयार कर शासन को भेजा गया है. लीसे की नीलामी में थोड़ी कमी आई है, लेकिन उम्मीद है कि आगे बिक्री में वृद्धि होगी.

Last Updated :Jan 28, 2024, 10:02 AM IST

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