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"बंगाल का संदेशखाली केस सनातन के विरुद्ध भाव पैदा करने का विस्फोटक परिणाम": शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद

By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : Feb 29, 2024, 9:48 AM IST

Updated : Feb 29, 2024, 10:25 AM IST

Shankaracharya Swami Nischalananda पुरी पीठ के शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती ने बंगाल के संदेशखाली केस को सनातन के विरुद्ध भाव पैदा करने का विस्फोटक परिणाम बताया है. अपने रायपुर दौरे पर प्रेसवार्ता में स्वामी निश्चलानंद सरस्वती ने राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा, छत्तीसगढ़ में बीजेपी के धर्मांतरण कानून और हिंदू राष्ट्र पर बयान दिया. उन्होंने हिन्दुओं को केवल पेट-परिवार तक सीमित ना रहकर गरीबों को दान करने का संदेश दिया है. उनका मानना है कि ऐसा करने पर धर्मांतरण करने वालों की दाल नहीं गलेगी और धर्मांतरण नहीं होगा. Sandeshkhali Case West Bengal

Shankaracharya Swami Nischalananda
शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद

शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद का बयान

रायपुर: पुरी पीठ के शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती रायपुर दौरे पर हैं. बुधवार को मुरा गांव में स्वामी निश्चलानंद सरस्वती ने प्रेस वार्ता के दौरान मीडिया से बातचीत की. इस दौरान पत्रकारों ने बंगाल के संदेशखाली को लेकर उनसे सवाल पूछा. जिसके जवाब में उन्होंने बंगाल के संदेशखाली केस को सनातन के विरुद्ध भाव पैदा करने का विस्फोटक परिणाम बताया.

बीजेपी के धर्मांतरण कानून बोले शंकराचार्य: बीजेपी सरकार की ओर से धर्मांतरण रोकने के कानून लाये जाने को लेकर शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती ने प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने कहा, "राजनेता गरीबी पालते हैं और क्रिश्चियन तंत्र को लाभ उठाने देते हैं. यदि हिंदू परिवार दान करें, समय दें, तो धर्मांतरण नहीं हो सकता. धर्म परिवर्तन करने वालों की दाल नहीं गलेगी. हिंदू केवल पेट और परिवार तक सीमित ना रहे. वह मंदिर मठो को केंद्र बनाकर शिक्षा, रक्षा, अर्थ और सेवा का कार्य करें. इसके साथ ही अपने क्षेत्र को बचाने के लिए योजनाएं बनाएं, इससे धर्मांतरण नहीं होगा."

आपराधिक तत्व को कोई संरक्षण दे, यह अनुचित है. उसका समर्थन नहीं किया जा सकता. मातृ शक्ति का शील सुरक्षित रहे, यह हम सबका दायित्व है. सनातन की यह विशेषता रही है कि शिक्षा, रक्षा, अर्थ और सेवा के संतुलन, मातृ शक्ति के शील सुरक्षित, बिना गर्भपात, परिवार नियोजन से जनसंख्या भी संतुलित. लेकिन स्वतंत्र भारत में सनातन सिध्दांत के प्रति अनास्था उत्पन्न की गई, ये उसी का यह विस्फोटक परिणाम है. - स्वामी निश्चलानंद सरस्वती, शंकराचार्य, पुरी पीठ

हिंदू राष्ट्र पर शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद का बयान: हिंदू राष्ट्र कब तक बनेगा? इस सवाल के जवाब में शंकराचार्य ने कहा, "हम लड़ाने भिड़ाने की बात नहीं करते, पर सबके पूर्वज सनातनी वैदिक हिंदू थे. यह ऐतिहासिक तथ्य है. पैगंबर मोहम्मद, ईसा मसीह के पूर्वज भी हिंदू थे. सनातन सिद्धांत को मानने पर ही व्यक्ति का उत्थान हो सकता है. जहां वर्ण व्यवस्था नहीं है, उस देश में लाचारी है. एटम बम, रॉकेट और कंप्यूटर मोबाइल की संरचना भी सनातन सिद्धांत द्वारा हुई है. हिंदू राष्ट्र की आवाज गोवर्धन मठ से ही बुलंद हुई है."

"महत्वाकांक्षी होकर धार्मिक जगत में हस्तक्षेप उचित नहीं": राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा का कुछ लोगों द्वारा विरोध किए जाने पर शंकराचार्य ने कहा, "मैं एक संकेतकर्ता हूं. राम यथा स्थान प्रतिष्ठित हुए अच्छी बात है. 500 वर्षों की समस्या का समाधान हुआ है. धार्मिक और आध्यात्मिक क्षेत्र के जो नियम है, उनका पालन करना शासन तंत्र का दायित्व है. महत्वाकांक्षी होकर धार्मिक जगत में हस्तक्षेप करना उचित नहीं."

आज के लोकतंत्र को बताया उन्माद तंत्र: इंडिया गठबंधन को केंद्र सरकार तोड़ने में लगी है. इस सवाल के जवाब पर शंकराचार्य निश्चलानंद ने कहा, "सत्ता लोलुपता और दूरदर्शिता के चपेट से राजनीतिक दल का मुक्त होना कठिन है. चुनाव की प्रक्रिया के तहत यह सब होता है. कांग्रेस भी अगर केंद्र में होती, तो वह भी ऐसा ही करती." शंकराचार्य ने आज के लोकतंत्र को उन्माद तंत्र बताया.

आपको बता दें कि शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती छत्तीसगढ़ के रायपुर पहुंचे हुए हैं. यहां स्वतंत्रता संग्राम सेनानी पंडित लखन लाल मिश्र के गांव मुरा में शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती धर्म सभा करने जा रहे हैं. इसी को लेकर आयोजित प्रेसवार्ता में वे शामिल हुए और पत्रकारों के सवालों का जवाब दिया.

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Last Updated :Feb 29, 2024, 10:25 AM IST

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