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उत्तरकाशी के गांवों में दिख रही सांस्कृतिक विरासत की झलक, बुग्यालों से फूल लाते हैं ग्रामीण

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Published : Jul 20, 2023, 3:14 PM IST

Updated : Jul 20, 2023, 3:30 PM IST

अगर आपको उत्तराखंड की संस्कृति और परंपरा को करीब से जानना है तो उत्तरकाशी के गंगा घाटी चले आइए. यहां इन दिनों विभिन्न गांवों में मेलों-थौलों की धूम है. जहां सांस्कृति विरासत का ऐसा नजारा देखने को मिलेगा, जो शायद ही आपने कहीं देखा हो. जी हां, इन दिनों गांवों में फुल्यारी या फूल्यार की धूम है. जिसके तहत फुल्यार बुग्यालों से फूल चुनकर लाते हैं. इस दौरान पश्वा नंगे पांव तेज धारदार डांगरियों पर चलकर ग्रामीणों को आशीर्वाद देते हैं.

Villagers Bring flowers from Bugyals
फुल्यारी मेलों की धूम

उत्तरौं गांव देव डोलियों का नृत्य.

उत्तरकाशीः गंगा घाटी में इन दिनों फुल्यारी मेलों की धूम है. मेले में ग्रामीण बुग्यालों से अपने आराध्य देवता के लिए फूल चुनकर लाते हैं. इन फूलों से देवता की विशेष पूजा अर्चना की जाती है. इसके बाद मेले में देव डोलियों के नृत्य के साथ देवता पश्वा पर अवतरित होकर डांगरियों पर नंगे पांव चलकर ग्रामीणों को आशीर्वाद देते हैं.

उत्तरौं गांव में पहाड़ की संस्कृति का अनूठा संगम दिखाई दिया. गांव का पंचायत चौक बुग्यालों में खिलने वाले रंग-बिरंगी फूलों से महक रहा था तो वहीं ग्रामीण ढोल दमाऊ की थाप पर आराध्य देवी देवताओं की डोली के साथ रासो नृत्य में लीन दिखे. मेले में पहली बार उत्तरौं गांव में नौगांव और सेकू की देव डोलियों का मिलन हुआ. जिसका नजारा देखते ही बन रहा था.

Villagers Bring flowers from Bugyals
बुग्याल से फूल लेकर लौटते ग्रामीण

थौलू के तीन दिन पहले गांव के इष्ट देवता ने फुल्यारों (ग्रामीण) का चयन कर उन्हें बुग्यालों की ओर भेजा. इसके बाद ग्रामीण रंग बिरंगे फूल लेकर गांव पहुंचे. यहां ग्रामीणों ने उनका भव्य स्वागत किया. इसके बाद पंचायत चौक पर विधिवत पूजा-अर्चना के बाद आराध्य नाग देवता, समेश्वर देवता के साथ ही सेकू और नौगांव के विराज नाग देवता को फूल चढ़ाए गए.
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पूजा अर्चना के बाद पंचायत चौक पर गांव की महिलाओं ने देव डोली के साथ रासो नृत्य किया. इस बीच बाजगियों ने समेश्वर देवता को प्रसन्न करने के लिए देव मंत्र कफुआ लगाया. जिस पर देवता पश्वा पर अवरित हुआ और पश्वा सौ मीटर दूर से तेज धार वाले डांगरी (छोटी कुल्हाड़ी) पर चलकर ग्रामीणों सुफल यानी आशीर्वाद दिया.

Villagers Bring flowers from Bugyals
नंगे पांव डांगरियों पर चलते पश्वा

प्रधान संगठन के प्रदेश महामंत्री प्रताप रावत ने बताया कि पहले गांव के बुजुर्ग बुग्यालों में अपनी छानियों में रहते थे. वहां पर जब उनके मवेशी स्वस्थ रहते थे और अच्छा दूध देते थे तो यह लोग बुग्यालों से अपने आराध्य देवता के लिए वहां से फूल लाते थे. धीरे-धीरे यह परंपरा मेले के रूप में परिवर्तित हुई.
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वहीं, अब जिस गांव में मेला होता है. वहां से आराध्य समेश्वर देवता, कंडार देवता गांव के 20 लोगों को चुनते हैं, जो मेले से एक दिन पहले बुग्यालों से फूल लेकर गांव पहुंचते हैं. उसके बाद उन्हें मंदिर प्रांगण में बिछाकर उसके ऊपर देवता की विशेष पूजा अर्चना होती है. मेले में देव डोली नृत्य देखने को मिलता है. जो अपने आप में खास होता है.

Last Updated :Jul 20, 2023, 3:30 PM IST
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