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उत्तराखंड के कई इलाकों में भूकंप के झटके से दहली धरती, रिक्टर स्केल पर तीव्रता 4.5

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Published : Nov 6, 2022, 9:03 AM IST

Updated : Nov 6, 2022, 10:13 AM IST

उत्तराखंड के कई हिस्सों में रविवार सुबह भूकंप के झटके महसूस किए हैं. यह झटके देहरादून, मसूरी से लेकर उत्तरकाशी तक महसूस किए गए हैं. रिक्टर स्केल पर भूकंप की तीव्रता 4.5 रही है.

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उत्तरकाशी: रविवार को उत्तराखंड के कई हिस्सों में भूकंप के झटके महसूस किए गए हैं. भूकंप के झटके देहरादून से लेकर उत्तरकाशी तक महसूस किए गए हैं. इस दौरान लोग घरों से बाहर निकल आए हैं. जिला मुख्यालय उत्तरकाशी सहित डुंडा, भटवाड़ी, बड़कोट और नौगांव क्षेत्र में भूकंप के झटके महसूस किए गए हैं. रिक्टर स्केल पर भूकंप की तीव्रता 4.5 रही है.

बताया जा रहा है कि उत्तरकाशी, बड़कोट और मसूरी में भी भूकंप के झटके महसूस किए गए हैं. बताया गया कि सुबह 8.33 बजे भूकंप के झटके महसूस किए गए. भूकंप के झटके इतने जोरदार थे कि लोग डर के मारे घर से बाहर निकल गए. इसके अलावा मसूरी में भूकंप के झटके महसूस किए गए हैं, जिसके बाद लोगों में दहशत है. वहीं बडकोट के यमुनाघाटी में भूकंप के झटके महसूस हुए. 8.34 बजे एक झटका करीब 5 सेकेंड तक भूकंप महसूस हुआ.

बताया जा रहा है कि उत्तरकाशी में चिन्यालीसौड़ से 35 किलोमीटर दूर जमीन से 5 किलोमीटर नीचे भूकंप का केंद्र था. भूकंप की तीव्रता रिक्टर पैमाने पर 4.7 मैग्नीट्यूड मापी गई. बता दें कि उत्तरकाशी में बीती दो अक्तूबर को भी भूकंप के झटके महसूस किए गए थे. वहीं, टिहरी जिले में भूकूंप की तीव्रता 4.5 थी. जिला आपदा प्रबंधन कार्यालय से बताया गया कि भूकंप से टिहरी जिले में नुकसान की कोई सूचना नहीं है.

पढ़ें: उत्तराखंड के कई इलाकों में भूकंप के झटके से दहली धरती, घरों से बाहर निकले लोग

सेंट्रल सिस्मिक गैप में है उत्तराखंड: उत्तराखंड जिसे सेंट्रल सिस्मिक गैप कहा गया है, उसमें बड़ा भूकंप आ सकता है. इस बात की आशंका वैज्ञानिकों ने जताई है. वैज्ञानिकों का कहना है कि पिछले लंबे समय से हिमालय क्षेत्र के इस हिस्से में कोई बड़ा भूकंप नहीं आया है. इस वजह से उत्तर पश्चिमी हिमालय रीजन में जितनी भूकंपीय ऊर्जा भूगर्भ में इकट्ठी हुई है, उसकी केवल 3 से 5 फीसदी ऊर्जा ही बाहर निकल पायी है. यही वजह है कि वैज्ञानिक इस बात की आशंका जता रहे हैं कि भूकंप आ सकता है.

क्यों आता है भूकंपः हिमालय की टेक्टोनिक प्लेटों में होने वाले बदलावों की वजह से यहां झटके लगते रहते हैं. हिमालय के नीचे लगातार हो रही हलचल से धरती पर दबाव बढ़ता है जो भूकंप की शक्ल लेता है. उत्तराखंड रीजन जिसे सेंट्रल सिस्मिक गैप भी कहा गया है, यहां साल 1991 में उत्तरकाशी में 7.0 तीव्रता जबकि 1999 में चमोली में 6.8 रिक्टर स्केल के भूकंप के बाद कोई बड़ा भूकंप नहीं आया है. ऐसे में वैज्ञानिक इस बात का दावा जरूर कर रहे हैं कि इस क्षेत्र में बड़ा भूकंप आ सकता है, लेकिन कब ये तय नहीं है.

Last Updated :Nov 6, 2022, 10:13 AM IST
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