ETV Bharat / state

8 साल पहले बेरीनाग PHC को मिला था CHC का दर्जा, सेवाओं के नाम पर कुछ भी नहीं मिला

author img

By

Published : Feb 21, 2022, 2:02 PM IST

प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र
प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र

पिथौरागढ़ जिले के बेरीनाग स्थित प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र को उच्चीकृत कर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र का दर्जा मिले 8 साल से अधिक समय बीत चुका है. इसके बावजूद सुविधाओं के नाम पर यहां कुछ भी नहीं दिया गया है.

पिथौरागढ़: बेरीनाग स्थित प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र को उच्चीकृत कर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र का दर्जा मिले 8 साल से अधिक समय बीत चुका है. इसके बावजूद सुविधाओं के नाम पर यहां कुछ भी नहीं दिया गया है. पचास हजार से अधिक आबादी वाला बेरीनाग क्षेत्र सीएचसी पर निर्भर है.

बता दें कि, 8 साल पहले कांग्रेस की हरीश रावत सरकार ने बेरीनाग प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र को सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र बनाने की घोषणा की थी. घोषणा के बाद स्वास्थ्य विभाग द्वारा 23 जून 2015 को इसकी अधिसूचना भी जारी कर दी गई थी. इसके साथ ही यहां पर डाक्टरों समेत 10 पदों को स्वीकृत दी गई. जिसका आदेश स्वास्थ्य केंद्र को भी कर दिया गया था. स्वास्थ्य विभाग ने अस्पताल के बाहर सामुदायिक स्वास्थ केंद्र का बोर्ड भी लगा दिया. लेकिन विडंबना यह रही कि 8 सालों में सिर्फ बोर्ड के अलावा कुछ भी सीएचसी को नहीं मिल पाया.

स्वास्थ्य सेवा बदहाल

स्वास्थ्य महकमे ने अपने कागजों में प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र को सीएचसी तो बना दिया, लेकिन यहां पर सीएचसी के नाम पर मिलने वाला बजट आज तक नहीं दिया गया है. अस्पताल को पीएचसी का बजट ही मिलता रहा. इस अस्पताल को न तो सुविधा दी गई और न ही यहां पर विशेषज्ञ डॉक्टरों की नियुक्ति हुई. कई बार स्थानीय लोगों ने सीएचसी की सुविधा देने की मांग भी की. लेकिन किसी भी सरकार ने इसे कभी गंभीरता से नहीं लिया.

पढ़ें: पौड़ी अस्पताल की आवासीय कॉलोनी में फिर दिखे गुलदार, लोगों में दहशत

वर्तमान में बेरीनाग विकास खंड के थल, बर्षायत, संगोड़, लोहाथल, कोटमन्या, अराड़ी, चौकोड़ी, कांडेकिरोली, चौड़मुन्या, बोराआगर, बांसपटान के साथ ही गंगोलीहाट, गणाई, कांडा, बागेश्वर, कपकोट, थल क्षेत्र के दर्जनों गांवों के लोग यहां पर स्वास्थ्य परीक्षण के लिए आते हैं. मगर यहां पर सुविधा न होने के कारण मरीजों को जिला चिकित्सालय और हल्द्वानी के अस्पताल में जाना पड़ता है. कई बार तो गंभीर रूप से बीमार मरीज बाहर ले जाने के दौरान ही रास्ते में ही दम तोड़ देते हैं. यहां पर प्रतिदिन 150 से अधिक ओपीडी और इमरजेंसी मरीज आते हैं. साथ ही प्रसूता भी स्वास्थ्य परीक्षण के लिए आती हैं. मगर स्वास्थ्य सेवाओं की बदहाली का खामियाजा प्रसव पीड़िताओं के साथ ही अन्य रोगियों को उठाना पड़ता है. छोटी से छोटी बीमारी में भी लोगों को 100 किमी दूर जिला अस्पताल दौड़ लगानी पड़ रही है.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.