हल्द्वानी: उत्तराखंड के सरकारी विभागों में कर्मचारियों की कमी लगातार सामने आ रही है. सरकार के कई ऐसे विभाग हैं, जहां कर्मचारियों की भारी कमी है. बात वन विकास निगम की करें तो वन विकास निगम सरकार को भारी भरकम राजस्व कमा कर देता है. लेकिन वन विकास निगम में कर्मचारियों की 50% की कमी है. जिसके चलते सरकार को भी राजस्व कोई नुकसान उठाना पड़ रहा है.
यही नहीं वन विकास निगम में कर्मचारियों के साथ-साथ वन विकास निगम के प्रबंधक और कई डीएलएम (डिविजनल लॉजिंग मैनेजर) के पद खाली हैं.वन विकास निगम के पास गौला,कोसी,नंधौर,शारदा नदी के अलावा कोई अन्य नदियों से खनन निकासी का जिम्मा है. इसके अलावा जंगलों से निकलने वाली लकड़ी कटान और ढुलान साथ-साथ विक्रय का भी जिम्मा है. कुमाऊं मंडल वन विकास निगम हर साल प्रदेश सरकार को करीब 700 करोड़ रुपए का राजस्व देता है. लेकिन कर्मचारियों की कमी के चलते वन विकास निगम के बहुत से कामों में देरी हो रही है.
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जिसके चलते सरकार को भी राजस्व को नुकसान उठाना पड़ रहा है. वन विकास निगम के प्रबंध निदेशक का पद करीब 2 महीने से खाली पड़े हैं.इसके अलावा कुमाऊं मंडल में 11 डीएलएम के पद भी खाली पड़े हैं. जबकि कुमाऊं महाप्रबंधक का पद भी खाली पड़ा है जो प्रभारी के सहारे चल रहा है.विभागीय अधिकारियों की अनुसार वन निगम में करीब 2800 विभिन्न अधिकारियों और कर्मचारियों के पद स्वीकृत हैं, लेकिन उसके सापेक्ष में करीब 14 सौ अधिकारी और कर्मी ही काम कर रहे हैं.
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प्रभारी महाप्रबंधक विकास निगम महेश चंद्र आर्य ने बताया कि विभाग में कर्मचारियों की करीब 50% कमी है. वन विभाग में प्रति नियुक्ति पर अधिकारी और आउटसोर्स के माध्यम से कर्मचारियों को रख कर काम चलाया जा रहा है.कर्मचारियों की कमी को लेकर शासन को अवगत कराया गया है.