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मनसा देवी में अवैध निर्माण और रोप-वे संचालन पर HC सख्त, राज्य सरकार से तीन सप्ताह में मांगा जवाब

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Published : Nov 10, 2021, 3:16 PM IST

Updated : Nov 10, 2021, 3:42 PM IST

उत्तराखंड हाई कोर्ट ने हरिद्वार में मनसा देवी के लिए संचालित केबल कार रोप-वे और अवैध निर्माण के खिलाफ दायर जनहित याचिका पर सुनवाई की. मामले की सुनवाई मुख्य न्यायधीश आरएस चौहान व न्यायमूर्ति एनएस धनिक की खण्डपीठ में हुई.

Nainital high court uttarakhand
Nainital high court uttarakhand

नैनीताल: उत्तराखंड हाई कोर्ट में आज हरिद्वार के मनसा देवी के लिए संचालित केबल कार रोप-वे के खिलाफ दायर जनहित याचिका की सुनवाई की. वहीं, इस मामले को सुनने के बाद राज्य सरकार, वन विभाग, नगर निगम हरिद्वार व रोप-वे का संचालन करने वाली कंपनी को कोर्ट ने तीन सप्ताह ने जवाब पेश करने के आदेश दिये हैं. कोर्ट ने कहा कि फोरेस्ट एक्ट में प्रतिबंधित होने के बावजूद भी टाइगर रिजर्व एरिया में रोप-वे का व्यवसायिक कार्य कैसे किया जा रहा है.

बता दें कि आज उत्तराखंड हाई कोर्ट ने हरिद्वार में मनसा देवी के लिए संचालित केबल कार रोप-वे के खिलाफ दायर जनहित याचिका पर सुनवाई की. मामले की सुनवाई मुख्य न्यायधीश आरएस चौहान व न्यायमूर्ति एनएस धनिक की खण्डपीठ में हुई. हरिद्वार निवासी अश्वनी शुक्ला ने जनहित याचिका दायर कर कहा है कि 1983 में उत्तर प्रदेश सरकार ने नगर पालिका परिषद हरिद्वार को पत्र लिखकर कहा था कि मनसा देवी मंदिर के लिए स्वयं एक केबल कार का संचालन करें और किसी अन्य संस्था को इसे चलाने की अनुमति न दें.

केबल कार के संचालन के बाद मनसा देवी मंदिर 1986 में राजाजी नेशनल पार्क के अंदर आ गया फिर 2015 में यह क्षेत्र रिजर्व टाइगर फॉरेस्ट एरिया में आ गया. याचिकाकर्ता का कहना है कि इंडियन फॉरेस्ट एक्ट व कंजर्वेशन ऑफ फॉरेस्ट एक्ट में स्पस्ट रूप से लिखा हुआ है कि इन क्षेत्रों में किसी भी तरह की व्यवसायिक गतिविधियां नहीं की जा सकती है जबकि, नगर निगम ने इस रोप-वे का संचालन स्वयं नहीं किया जा रहा है. इसका संचालन किसी अन्य कम्पनी के द्वारा 3 करोड़ रुपये सालाना पर किया जा रहा है. इसके संचालन हेतु नगर निगम ने सरकार, पर्यावरण मंत्रालय व वाइल्ड लाइफ बोर्ड से अनुमति तक नहीं ली है. इसलिए इस पर तुरंत प्रभाव से रोक लगाई जानी चाहिए.

मनसा देवी मंदिर में अवैध निर्माण पर भी मांगा जवाब

वहीं, उत्तराखण्ड हाइ कोर्ट ने हरिद्वार के मनसा देवी मंदिर में किए गए अवैध निर्माण के खिलाफ दायर जनहित याचिका पर सुनवाई की. इस मामले की सुनवाई के बाद कोर्ट ने अवैध निर्माण को लेकर राज्य सरकार, वन विभाग, नगर निगम हरिद्वार और सचिव निरंजनी अखाड़ा को नोटिस जारी कर चार सप्ताह में जवाब पेश करने को कहा है. मुख्य न्यायधीश आरएस चौहान व न्यायमूर्ति एनएस धनिक की खण्डपीठ में इस मामले की सुनवा हुई.

हरिद्वार निवासी रमेश चन्द्र शर्मा ने हाई कोर्ट में जनहित याचिका दायर की थी. जिसमें कहा गया था कि मनसा देवी मंदिर को 1940 में अंग्रेजों ने जनता के लिए खोल दिया था. उसके बाद इस मंदिर में सरस्वती देवी नाम की महिला रहने लगी. इस महिला ने 82 वर्ष की उम्र में हरिद्वार के कुछ लोगों के नाम वसीयत कर दी जबकि वन विभाग ने इस महिला को कोई पट्टा नहीं दिया था.

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ऐसे में कुछ समय बाद निरंजनी अखाड़ा के सचिव महेंद्र गिरी ने फर्जी दस्तावेज बनाकर इसे ट्रस्ट घोषित कर दिया. फारेस्ट ने जो भूमि मंदिर के लिए दी थी उसपर अखाड़े ने तीस कमरे, गोदाम, दुकान व भंडार गृह बना दिए. इसके अलावा उनके द्वारा रिजर्व फारेस्ट की भूमि पर भी कब्जा कर दुकानें बना दी गई.

याचिककार्ता का कहना है कि मंदिर परिसर में इतना अधिक निर्माण करने से इस क्षेत्र में भूस्खलन की संभावना बढ़ गई है. इसलिए इस क्षेत्र का वैज्ञानिक सर्वे किया जाय. साथ ही यहां हुए अवैध निर्माण को भी ध्वस्त किया जाय. ऐसे में कोर्ट ने राज्य सरकार व अन्य संंबंधित लोगों से चार सप्ताह में जवाब पेश करने के आदेश दिये हैं.

Last Updated :Nov 10, 2021, 3:42 PM IST
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