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कांग्रेस से निष्कासित अकील अहमद का ऐलान- देवभूमि में खोलेंगे मुस्लिम यूनिवर्सिटी, 2024 में हरिद्वार से लड़ेंगे चुनाव

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Published : Mar 30, 2022, 6:51 PM IST

Updated : Mar 30, 2022, 7:17 PM IST

उत्तराखंड में मुस्लिम यूनिवर्सिटी के मुद्दे से राजनीति में उथल पुथल मचाने वाले नेता अकील अहमद अपने बयान पर कायम हैं. उनका साफ कहना है कि वो 2024 में हरिद्वार लोकसभा सीट से चुनाव लड़ेंगे. सामने चाहे हरीश रावत ही क्यों ना हो. साथ ही हरिद्वार में मुस्लिम यूनिवर्सिटी बनाने की बात भी कही.

Aqeel Ahmed
अकील अहमद

रुड़कीः उत्तराखंड में मुस्लिम यूनिवर्सिटी का विवाद खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है. कांग्रेस से निष्कासित किए गए पूर्व प्रदेश उपाध्यक्ष अकील अहमद ने ऐलान किया है कि वो 2024 में हरिद्वार से लोकसभा चुनाव लड़ेंगे, चाहे उनके सामने हरीश रावत ही क्यों न हों. साथ ही उन्होंने कहा कि वो देवभूमि में एक मुस्लिम यूनिवर्सिटी जरूर खोलेंगे, इसके लिए वो जगह की तलाश भी कर रहे हैं.

कांग्रेस के पूर्व उपाध्यक्ष अकील अहमद ने ये बयान हरिद्वार जिले के पिरान कलियर में दिया है, जहां वो दरगाह साबिर पाक में चादर पोशी के लिए आए थे. इस दौरान उन्होंने देश में चैन और अमन के लिए दुआ मांगी. इस दौरान उन्होंने साफ कहा कि वो 2024 का चुनाव लड़ेंगे, सामने चाहे कोई भी दिग्गज क्यों न हो.

कांग्रेस से निष्कासित अकील अहमद का बड़ा ऐलान

अकील अहमद ने कहा कि भले ही कांग्रेस पार्टी ने उनको निष्कासित कर दिया हो पर उनके कदम अब डगमगाने वाले नही हैं. वो आगामी 2024 में हरिद्वार लोकसभा सीट से आजाद उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ेंगे. उन्होंने ये भी कहा कि 2024 के बाद वो उत्तराखंड में मुस्लिम यूनिवर्सिटी और एक ऐसे मंदिर का निर्माण भी कराएंगे, जिसमें दलित समाज के लोग आसानी से मंदिर में प्रवेश कर सकें.
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क्या था मुस्लिम यूनिवर्सिटी का मुद्दाः गौर हो कि उत्तराखंड विधानसभा चुनाव 2022 से ठीक पहले कांग्रेस के प्रदेश उपाध्यक्ष अकील अहमद का एक वीडियो वायरल हुआ था. वायरल वीडियो में अकील अहमद ये कहते नजर आए कि उन्होंने सहसपुर विधानसभा सीट से अपना नामांकन वापस ले लिया है. साथ ही कहा था कि पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने उनसे वादा किया है कि अगर उत्तराखंड विधानसभा चुनाव 2022 में कांग्रेस की सरकार बनती है तो मुस्लिम छात्रों के लिए एक विश्वविद्यालय बनाया जाएगा, इसलिए उन्होंने अपना नामांकन वापस लिया. मुस्लिम यूनिवर्सिटी के मुद्दे को बीजेपी ने हथियार के तरह इस्तेमाल किया और इस मामले पर कांग्रेस को जमकर घेरा.

चुनाव में बीजेपी के सभी नेताओं ने मुस्लिम यूनिवर्सिटी मुद्दे को भुनाने की कोशिश की. खुद पीएम मोदी ने भी मुस्लिम यूनिवर्सिटी (Muslim University case in uttarakhand) मामले में कांग्रेस को घेरा था. मुस्लिम यूनिवर्सिटी पर भाजपाइयों का कहना था कि शिक्षा को अगर धर्म के आधार पर जोड़ेंगे तो यह गलत है. क्या यहां और यूनिवर्सिटी नहीं हैं? क्या इन यूनिवर्सिटी में मुस्लिमों के पढ़ने पर प्रतिबंध है? अगर, धर्म के आधार पर शिक्षा को जोड़ेंगे तो निश्चित तौर पर समाज का हनन होगा.

बीजेपी ने मुद्दे को बढ़ाते हुए कहा था कि, कांग्रेस को देवभूमि में इस तरह की बात नहीं करनी चाहिए. यूपी-बंगाल में समझ आता है, उत्तराखंड को पश्चिम बंगाल बनाने की कोशिश कांग्रेस न करे. बता दें कि उत्तराखंड विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को हार का मुंह देखना पड़ा है. कांग्रेस को मात्र 19 सीट ही मिल पाई है. बार का सामना करने के बाद कांग्रेस ने मुस्लिम यूनिवर्सिटी को वजह भी बताया.
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प्रदेश कांग्रेस कमेटी ने अकील अहमद को पार्टी से निकाला बाहरः मुस्लिम यूनिवर्सिटी मामले पर प्रदेश कांग्रेस कमेटी ने पार्टी के प्रदेश उपाध्यक्ष अकील अहमद को अनुशासनहीनता के चलते 6 साल के लिए पार्टी से निष्कासित कर दिया है. अकील अहमद लगातार मीडिया में मुस्लिम यूनिवर्सिटी को लेकर बयानबाजी कर रहे थे, साथ ही अपनी पार्टी के नेताओं पर तंज कस रहे थे. पार्टी ने अकील अहमद को नोटिस भी दिया था, लेकिन अकील अहमद की ओर से कोई जवाब न देने पर उन्हें पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया.

निष्कासन के बाद क्या बोले अकीलः अकील अहमद ने निष्कासन पर सफाई देते हुए कांग्रेस पार्टी पर एक बार फिर निशाना साधा. उन्होंने कहा कि वो मुस्लिम यूनिवर्सिटी बनाकर रहेंगे. इसके अलावा 2024 में हरिद्वार सीट से लोकसभा चुनाव भी लड़ेंगे. उन्होंने कहा कि मुस्लिम यूनिवर्सिटी ही उनका मुद्दा रहेगा.

अकील अहमद ने कांग्रेस पार्टी के तमाम बड़े नेताओं पर कई गंभीर आरोप लगाए. उन्होंने कहा कि, उनका 10 बिंदुओं का मांग पत्र पार्टी के सभी बड़े नेताओं के संज्ञान में था, जिसमें डिग्री कॉलेज, अस्पताल की मांग के साथ ही मुस्लिम यूनिवर्सिटी का भी जिक्र था. ऐसे में केवल उनपर ही हार का ठीकरा क्यों फोड़ा जा रहा है? अकील अहमद का कहना है कि, चुनाव से पहले पर्यवेक्षक मोहन प्रकाश उनके घर आए और उन्होंने उनको 10 सूत्रीय मांगपत्र सौंपते हुए कहा था कि, मुस्लिम यूनिवर्सिटी यदि प्रदेश में खुल जाए तो अच्छा रहेगा. लेकिन तब उनको ये नहीं पता था कि ये बड़ा मुद्दा बन जाएगा. यदि पार्टी के वरिष्ठ नेता चाहते तो उसी समय मुस्लिम यूनिवर्सिटी वाली मांग को मांग पत्र से हटा देते. लेकिन पार्टी के बड़े नेताओं ने ऐसा कुछ नहीं किया. ऐसी सूरत में कांग्रेस प्रदेश प्रभारी देवेंद्र यादव, पर्यवेक्षक मोहन प्रकाश, चुनाव अभियान समिति के अध्यक्ष हरीश रावत को भी निष्कासित किया जाना चाहिए.

अकील अहमद का कहना है कि 2022 के चुनाव में मुस्लिम यूनिवर्सिटी बड़ा मुद्दा बनकर उभरकर आया. उनपर आरोप लगाए जा रहे हैं कि मुस्लिम यूनिवर्सिटी की मांग पर पार्टी हारी है, जबकि पांच राज्यों में इलेक्शन हुए हैं. ऐसे में जब मुस्लिम यूनिवर्सिटी के बयान के बाद कांग्रेस प्रदेश में हारी तो कांग्रेस को बताना चाहिए कि क्यों अन्य राज्यों में पार्टी को हार मिली.

Last Updated :Mar 30, 2022, 7:17 PM IST
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