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दून की महिलाएं हो रहीं आत्मनिर्भर, गेहूं और मंडुवे के बिस्कुट कर रहीं तैयार

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Published : Feb 5, 2021, 2:46 PM IST

देहरादून की ग्रामीण महिलाएं बेकरी चलाकर आत्मनिर्भर बन रही हैं. इनकी बेकरी शॉप में आपको गेहूं से लेकर मंडुवे के बिस्कुट मिल जाएंगे.

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देहरादूनः राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत राजधानी के रायपुर ब्लॉक की स्वयं सहायता समूह से जुड़ी ग्रामीण महिलाएं इन दिनों तरह-तरह के बेकरी प्रोडक्ट्स तैयार कर आत्मनिर्भर बन रही हैं. इन महिलाओं की ओर से जो बेकरी प्रोडक्ट तैयार किए जा रहे हैं, वह बाजारों में मिलने वाले बेकरी प्रोडक्ट से काफी अलग हैं. इसमें जिन बेकरी आइटम्स की डिमांड सबसे ज्यादा है, उसमें मल्टीग्रेन बिस्कुट, गेहूं का बिस्कुट और उत्तराखंड के पहाड़ों में होने वाले मंडुवे के बिस्कुट शामिल हैं.

दून की महिलाएं हो रही आत्मनिर्भर

स्वयं सहायता समूह की महिलाओं की ओर से तैयार किए जा रहे इन बेकरी प्रोडक्ट्स को ग्राहकों तक पहुंचाने के लिए मुख्य विकास अधिकारी की ओर से राजधानी के सर्वे चौक में एक बेकरी उपलब्ध कराई गई है. जहां इन महिलाओं द्वारा जो भी बेकरी आइटम तैयार किए जाते हैं, उन्हें लाकर बेचा जाता है.

ईटीवी भारत से बात करते हुए थानो न्याय पंचायत की अध्यक्ष ममता कोटियाल ने बताया कि नवंबर माह में मुख्य विकास अधिकारी निकिता खंडेलवाल के सहयोग से स्वयं सहायता समूह की महिलाओं ने बेकरी आइटम्स बनाना शुरू किया. इसमें कई ऐसे घरों की महिलाएं भी उनके साथ जुड़ी हुई हैं, जो आर्थिक रूप से काफी कमजोर परिवारों से आती हैं. लेकिन बेकरी आइटम्स तैयार कर जहां एक तरफ ये महिलाएं आत्मनिर्भर बन चुकी हैं, वहीं उन्हें एक आय का साधन भी मिल चुका है.

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बता दें कि रायपुर ब्लॉक की स्वयं सहायता समूह की महिलाओं की ओर से कई तरह के बेकरी आइटम्स तैयार किए जा रहे हैं. इसमें लोगों के स्वास्थ्य को ध्यान में रखकर गेहूं के बिस्कुट, शुगर फ्री बिस्कुट और मंडुवे के साथ ही मल्टी ग्रेन बिस्किट शामिल हैं. स्वयं सहायता समूह की सदस्य सुनीता मेहर बताती हैं कि इस समूह की महिलाओं की ओर से तैयार किए जा रहे बेकरी प्रोडक्ट्स लोगों को काफी पसंद आ रहे हैं. जिससे प्रतिमाह अच्छी-खासी आय हो रही है और आय का पूरा हिस्सा महिलाओं में बंट रहा है. इस तरह जो महिलाएं आर्थिक रूप से कमजोर परिवारों से आती थीं, वह आत्मनिर्भर हो रही हैं.

ईटीवी भारत से बात करते हुए होटल मैनेजमेंट की छात्रा वाणी बताती हैं कि वह तीन महीने की इंटर्नशिप के लिए स्वयं सहायता समूह की महिलाओं के साथ जुड़ी हैं. यहां वह बेकरी प्रोडक्ट बनाना सीख रही है, जो निकट भविष्य में उनके काफी काम आएगा. इन बेकरी आइटम्स को बनाना सीख कर आगे वह अपने खुद के प्रोडक्ट की बिक्री भी शुरू कर सकती हैं.

कुल मिलाकर यह कहा जा सकता है कि यह एक काबिल-ए-तारीफ पहल है. महिलाएं बेकरी प्रोडक्ट तैयार कर न सिर्फ आर्थिक रूप से मजबूत हो रही हैं, बल्कि उनका भविष्य भी सुरक्षित होता नजर आ रहा है. स्वयं सहायता समूह की महिलाओं के मुताबिक, अब तक उन्हें बेकरी प्रोडक्ट के बारे में कोई जानकारी नहीं हुआ करती थी. लेकिन अब वह खुद इन बेकरी आइटम्स को बना रही हैं. जिससे वह आगे चलकर अपने खुद के प्रोडक्ट की बिक्री शुरू कर सकती हैं और इससे वह अपने परिवार को आर्थिक सहायता दे सकेंगी.

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