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उत्तराखंड पुलिस की तैयारी, अब पेशेवर अपराधियों को आसानी से नहीं मिलेगी जमानत

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Published : Jun 14, 2021, 5:34 PM IST

Updated : Jun 15, 2021, 4:25 PM IST

उत्तराखंड में पेशेवर अपराधियों को CCTNS के तहत पुलिस शिकंजा कसने की तैयारी कर रही है. CCTNS के तहत राज्य के सभी 160 थानों की कार्रवाई ऑनलाइन जोड़कर अपराधों की सीधी मॉनिटरिंग कर उनकी रिपोर्ट तैयार की जाएगी.

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देहरादून

देहरादूनः उत्तराखंड में कई तरह के मामलों में बार-बार अपराध कर और फिर हर बार जमानत पर रिहा होने वाले क्रिमिनल्स पर अब CCTNS (क्राइम एंड क्रिमिनल ट्रैकिंग नेटवर्क एंड सिस्टम) के तहत पुलिस मुख्यालय प्रभावी शिकंजा कसने की तैयारी कर रहा है. पुलिस CCTNS के तहत राज्य के सभी 160 थानों की कार्रवाई ऑनलाइन जोड़कर अपराधों की सीधी मॉनिटरिंग कर उनकी रिपोर्ट तैयार करेगी. इस दौरान समीक्षा कर ये देखा जाएगा कि पेशेवर क्रिमिनल्स पर शिकंजा कसने की क्या-क्या कार्रवाई संबंधित थाना इन्वेस्टिगेशन ऑफिसर द्वारा की गई है.

ऐसा देखा गया है कि अपराधी अपराध के बार कोर्ट से जमानत पर आसानी से रिहा हो जाता है. इसके बाद फिर से उसी अपराध को समाज में जाकर दोहराता है. ऐसी स्थिति में यह सामने आया है कि संबंधित थाने के इन्वेस्टिगेशन ऑफिसर अपराधी के पुराने बार-बार होने वाले अपराधों का लेखा-जोखा कोर्ट के सामने नहीं रखता. जिसके चलते अपराधी हर बार जमानत पा जाता है.

CCTNS से अपराध और अपराधियों पर रहेगी नजर

तैयार की जाएगी क्राइम हिस्ट्री

लेकिन अब ऐसे मामलों में उत्तराखंड पुलिस मुख्यालय सीसीटीएनएस के तहत मॉनिटरिंग कर सभी इन्वेस्टिगेशन ऑफिसर को पेशेवर अपराधियों की पूर्व क्राइम हिस्ट्री (आपराधिक इतिहास) का लेखा-जोखा तैयार कर कोर्ट के समक्ष मजबूत पैरवी करेगी. ताकि जमानत रद्द होने के साथ ही उन्हें पुराने मामलों में सजा होने और उसके साथ ही उनपर गैंगस्टर और कुर्की जैसे कार्रवाई हो सके.

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अपराधियों को मिलता है फायदा

पेशेवर अपराधियों पर प्रभावी शिकंजा कसने के मामले पर अपराध व कानून व्यवस्था की जिम्मेदारी निभाने वाले डीआईजी नीलेश आनंद भरणे ने भी माना कि अधिकांश मामलों में संबंधित इन्वेस्टिगेशन ऑफिसर की कुछ महत्वपूर्ण कमियों के कारण बार-बार अपराध करने के बावजूद अपराधी कोर्ट से जमानत पर रिहा हो जाते हैं.

जबकि हर बार जमानत की सख्त प्रक्रिया में आरोपी द्वारा जमानती बांड भरने के दौरान भविष्य में फिर उस अपराध को न दोहराने की प्रक्रिया लिखित में की जाती है. लेकिन इन्वेस्टिगेशन ऑफिसर द्वारा अपराधियों की क्रिमिनल हिस्ट्री कोर्ट में पेश नहीं की जाती. जिसके चलते उन्हें उसका फायदा हर बार मिल जाता है.

जांच अधिकारी की होगी जिम्मेदारी

डीआईजी निलेश भरणे के मुताबिक अभी मामले पर सीसीटीएनएस के तहत न सिर्फ पुलिस मुख्यालय इसकी मॉनिटरिंग कर प्रभावी कार्रवाई को धरातल पर उतारने का प्रयास करेगा. बल्कि जिलेवार अधिकारियों को जिम्मेदारी तय कर इन्वेस्टिगेशन ऑफिसर को इस बात के लिए बाध्य करेगा कि वह बार-बार अपराध करने वाले उस क्रिमिनल का पूरा इतिहास कोर्ट के समस्त रखें. ताकि उस अपराधी पर प्रभावी अंकुश लगाया जा सके.

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साइबर क्राइम में इजाफा

उत्तराखंड पुलिस मुख्यालय के मुताबिक कोरोना काल में लॉकडाउन के दौरान पिछले डेढ़ सालों में भले ही हत्या, लूट, डकैती, अपहरण जैसे कई गंभीर अपराध में कमी आई हो. लेकिन तेजी से उभरता हुआ. साइबर क्राइम के अलावा सेक्स रैकेट, ऑनलाइन सट्टा, नशा तस्करी, चाइल्ड ट्रैफिकिंग जैसे कई अपराधों में बढ़ोतरी हुई है. इन घटनाओं के खुलासे के दौरान गिरफ्तार होने के वाले अपराधियों द्वारा बार-बार उसी अपराध को घटित करने की जानकारी भी सामने आई है. इसी के मद्देनजर अब उनके पुराने क्राइम हिस्ट्री को तैयार कर कोर्ट के समक्ष रखा जाएगा. ताकि उन पर शिकंजा कसा जा सके.

2009 में लाया गया CCTNS

बता दें कि भारत सरकार द्वारा साल 2009 में सीसीटीएनएस 'क्राइम एंड क्रिमिनल ट्रैकिंग नेटवर्क एंड सिस्टम' प्रोजेक्ट लाया गया था. इस योजना का मुख्य मकसद पुलिस कार्रवाई की कमियों को दूर करना है. वहीं हाइटेक आधुनिक पुलिस व्यवस्था को बढ़ावा देना भी मुख्य कार्य है. CCTNS प्रोजेक्ट में ऑनलाइन हर तरह के अपराध का पूरा डिजिटल डाटा लेखा-जोखा रखा जाता है. ताकि एक क्लिक पर किसी भी अपराधी का पूरा आपराधिक इतिहास देखा जा सके.

Last Updated : Jun 15, 2021, 4:25 PM IST
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