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UPCL के MD अनिल यादव फिर सुर्खियों में, भ्रष्टाचार के आरोपियों को किया बहाल, ऊर्जा मंत्री को भी नहीं लगी भनक

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Published : Dec 28, 2021, 6:59 AM IST

Updated : Dec 28, 2021, 4:46 PM IST

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उत्तराखंड पावर कॉरपोरेशन लिमिटेड में 70 करोड़ की गड़बड़ी के आरोपियों का निलंबन वापस ले लिया गया है. जिससे UPCL के MD अनिल यादव भी चर्चाओं में हैं. MD अनिल यादव के फैसले पर सवाल खड़े हो रहे हैं कि आखिर भ्रष्टाचार के आरोपियों पर इतनी मेहरबानी क्यों? हैरानी की बात ये है कि UPCL के MD अनिल यादव ने इसकी जानकारी ऊर्जा मंत्री हरक सिंह रावत को देने भी जरूर नहीं समझी.

देहरादून: हमेशा चर्चाओं में रहने वाला उत्तराखंड पावर कॉरपोरेशन लिमिटेड (यूपीसीएल) एक बार फिर सुर्खियों में है. इस बार यूपीसीएल के प्रबंध निदेशक बनाए गए अनिल कुमार यादव फिर विवादों में हैं. मामला UPCL ने करीब 70 करोड़ की गड़बड़ी के आरोपियों का निलंबन वापस लेने से जुड़ा है. खास बात यह है कि ऊर्जा निगम ने इस बड़े फैसले की भनक विभागीय मंत्री को भी नहीं लगने दी गई.

उत्तराखंड पावर कॉरपोरेशन लिमिटेड (Uttarakhand Power Corporation Limited) में प्रबंध निदेशक के तौर पर जिस मामले को दो-दो आईएएस अधिकारियों ने छेड़ना उचित नहीं समझा, उस विषय को मौजूदा प्रबंध निदेशक अनिल कुमार यादव ने एक झटके में कर दिया. सवाल उठ रहा है कि आखिरकार एमडी अनिल कुमार यादव ने करीब 70 करोड़ की गड़बड़ी के आरोपियों का निलंबन वापस लेने में इतनी सक्रियता क्यों दिखाई?

PCL के MD अनिल यादव का नया कारनामा

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मामला ऊर्जा निगम में सरप्लस बिजली को खुले बाजार में बेचने के बाद निजी कंपनी द्वारा ऊर्जा निगम को पैसा वापस नहीं करने से जुड़ा है. स्थिति यह हो गई है कि नियंता जिस रकम को 3 दिन के भीतर उक्त निजी कंपनी मित्तल क्रिएटिव कंपनी जमा कर देना चाहिए था, उसे 1 साल से ज्यादा का वक्त बीतने के बाद भी अब तक नहीं लौटाया गया है. वैसे तो करीब 56 करोड़ की बिजली बाजार में बेची गई, लेकिन इस पर बकाए का लेट पेमेंट सरचार्ज मिलाकर यह रकम 70 करोड़ के करीब पहुंच गई है.

हैरानी की बात यह है कि जब तक यह मामला सामने नहीं आया तब तक अधिकारियों ने भी इस पर कोई एक्शन लेने की जहमत नहीं उठाई. इसलिए इस मामले में 6 बड़े अधिकारियों को सस्पेंड किया गया और 3 बड़े अधिकारियों को नोटिस दिया गया. वहीं करीब 12 लोगों को चार्जशीट भी थमाई गई.

हैरानी की बात यह है कि एक तरफ जहां सस्पेंड किए गए तीन अधिकारी रिटायर होकर पेंशन पा रहे हैं तो इतने समय बाद भी अब तक इस मामले की जांच पूरी नहीं की जा सकती है. वहीं जिस पर सबसे ज्यादा सवाल खड़े हो रहे हैं, वो प्रबंध निदेशक अनिल कुमार यादव के आदेशों का है. उन्होंने नियमों का हवाला देकर इनका निलंबन समाप्त तो कर दिया, लेकिन इतने बड़े गड़बड़ी से जुड़े मामले में एक बार भी प्रबंध निदेशक ने विभागीय मंत्री को इससे अवगत कराना उचित नहीं समझा.

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बता दें कि प्रबंध निदेशक अनिल कुमार यादव खुद कई आरोपों में घिरे हुए हैं. इन सब के बावजूद भी ऊर्जा मंत्री हरक सिंह रावत ने ऐसे अधिकारी को प्रबंध निदेशक की जिम्मेदारी दे दी. मंत्री हरक को उम्मीद थी कि अनिल कुमार यादव उर्जा के क्षेत्र में पिछड़ी स्थिति से कुछ सुधार करेंगे, लेकिन उन्होंने जो फैसले लिए उसे देखकर तो ऐसा नहीं लगता है. प्रबंध निदेशक अनिल कुमार यादव के इस फैसले ने तो नए विवाद को जन्म दे दिया.

वहीं जब इस ऊर्जा मंत्री हरक सिंह रावत से इस बारे में सवाल किया गया तो उन्होंने कहा कि ऐसी किसी जानकारी होने से इंकार किया. हरक सिंह रावत ने कहा कि उन्हें कही से ये जानकारी तो मिली थी कि कुछ बहाली की गई है, लेकिन विभागीय स्तर पर कोई जानकारी नहीं दी गई है. लिहाजा वे अधिकारियों से बात करेंगे और ऐसे अधिकारियों के निलंबन को समाप्त करने से जुड़े विषय पर उनसे जानकारी लेंगे.

Last Updated :Dec 28, 2021, 4:46 PM IST
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