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जंगल में बढ़ रही दो ताकतवर जानवरों की जंग, आपसी संघर्ष में गंवा रहे अपनी जान

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Published : Apr 19, 2023, 7:31 PM IST

Updated : Apr 20, 2023, 9:40 AM IST

घने जंगलों के बीच दो ऐसे ताकतवर और खूंखार वन्यजीव भी हैं, जो वर्चस्व के चलते आपसी संघर्ष में अपनी जान तक गवां देते हैं. इन दो ताकतवर जानवरों में बाघ और हाथी शामिल हैं. इन दो जानवरों की लड़ाई एक बड़ी चिंता का सबब बनी हुई है. लिहाजा, हाथियों और बाघों को बचाने के लिए प्रोजेक्ट टाइगर और प्रोजेक्ट एलिफेंट चलाया जा रहा है. जानिए क्यों भिड़ रहे हाथी और बाघ...

Tiger And Elephant Conflict
दो ताकतवर जानवरों की जंग

जंगल में बढ़ रही दो ताकतवर जानवरों की जंग

देहरादूनः जंगल में हमेशा ही मौत और जिंदगी का खेल चलता रहता है. यहां ताकतवर तो जिंदगी की जंग जीत जाते हैं, लेकिन कमजोर अपनी जान गवां देते हैं. सबसे ताकतवर जानवरों में बाघ का नाम शामिल है. जब बाघ एक राजा की तरह जंगल में शिकार पर निकलता है तो बाकी वन्यजीव दुबकने पर मजबूर हो जाते हैं, लेकिन इसी जंगल में एक और ताकतवर जानवर रहता है, जिससे भिड़ने के लिए बाघ भी सौ बार सोचता है. यह जानवर है विशालकाय हाथी. इन दोनों का संघर्ष जंगल में बेहद दुर्लभ माना जाता है, लेकिन कॉर्बेट नेशनल पार्क में बाघ और हाथियों की बढ़ती संख्या के चलते इनके बीच के संघर्ष की संभावना बढ़ रही है. इतना ही नहीं इससे पहले हुए एक अध्ययन में संघर्ष की घटनाएं में बढ़ोत्तरी रिकॉर्ड की गई है.

एक बड़ी चिंता बाघ और हाथियों के बीच के संघर्ष को लेकर भी है. खास बात ये है कि यह दो वन्यजीव मानव के साथ संघर्ष को लेकर भी काफी ज्यादा आक्रामक दिखाई दिए हैं. हालांकि, इसके लिए वन विभाग तमाम कार्यक्रमों के जरिए संघर्ष को कम करने की कोशिश करता रहा है, लेकिन जंगल के अंदर वन्यजीवों के आपसी संघर्ष को कैसे रोका जाए? इसका उपाय निकालना बेहद मुश्किल है. पिछले दिनों राजाजी नेशनल पार्क में ही दो हाथियों की लड़ाई में दोनों ने ही अपनी जान गवां दी थी.

इसी तरह कॉर्बेट नेशनल पार्क में भी बाघों और हाथियों की आपसी लड़ाई के भी कई मामले सुनने को मिलते हैं, लेकिन अब नई चिंता हाथी और बाघों के बीच संघर्ष को लेकर दिखाई दे रही है. खास कर कॉर्बेट नेशनल पार्क में इसकी संभावना सबसे ज्यादा नजर आ रही है. हाथी और बाघों के बीच के संघर्ष को लेकर चिंताजनक आशंकाएं लगाने की पीछे भी बड़ी वजह हैं.

हाथी और बाघों के बीच क्यों हो रहा संघर्षः कॉर्बेट नेशनल पार्क में हाथी और बाघों की बढ़ती संख्या से आपसी संघर्ष की संभावना बढ़ी है. अकेले कॉर्बेट में 1200 से ज्यादा हाथी और करीब 250 बाघों की मौजूदगी है. पूर्व में हुए अध्ययन के दौरान हाथी और बाघों के बीच संघर्ष के चलते कई हाथियों की मौत रिकॉर्ड की गई. छोटे हाथियों में ज्यादा भोजन और कम मेहनत के कारण बाघ उन्हें निवाला बनाते हैं. अचानक आमने-सामने आने के कारण भी हाथी और बाघ के बीच संघर्ष बढ़ जाता है.

वैसे तो हाथियों पर बाघ आसानी से हमला नहीं करते. इसकी वजह ये है कि हाथी झुंड में चलते हैं और वो अपने बच्चों को बीच में रखते हैं, जिससे उनके बच्चे सुरक्षित रहते हैं. ऐसे में बाघों का छोटे हाथियों पर हमला कर पाना करीब नामुमकिन होता है, लेकिन छोटे हाथियों का झुंड से अलग हो जाने की स्थिति में उनका आसान शिकार बाघ कर देते हैं. वैसे तो बाघ अकेले ही शिकार करता है, लेकिन बाघ कई बार दो या तीन के झुंड में शिकार करते हैं. इस दौरान छोटे हाथी पर भी वो हमला कर देते हैं.
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पूर्व में हुए एक अध्ययन के दौरान कॉर्बेट नेशनल पार्क में 5 साल के दौरान 21 हाथियों की मौत का कारण बाघ माने गए थे. गौर करने वाली बात ये है कि मरने वाले हाथियों में ज्यादातर हाथी कम उम्र और छोटे थे. हाथियों और बाघ के बीच संघर्ष के दौरान न केवल हाथी अपनी जान गवां देते हैं. बल्कि, कई बार तो बाघ को भी इसमें घायल होना पड़ता है.

आईएफएस अधिकारी और पूर्व में कॉर्बेट नेशनल पार्क के निदेशक रहे संजीव चतुर्वेदी कहते हैं कि जब उन्होंने इसको लेकर अध्ययन किया, तब उन्होंने पाया कि अचानक हाथियों की मौत की संख्या बढ़ रही है. इसमें बाघों की ओर से गए हाथियों की संख्या बढ़ी है. लिहाजा, फील्ड के कर्मचारियों से बातचीत और डेड बॉडी पर निशान के आधार पर इनकी मौत की वजह को जाना गया. जिसके बाद बेहद चौंकाने वाले तथ्य और आंकड़े सामने आए.

आंकड़ों से पता चला कि बड़ी संख्या में बाघ हाथियों को मार रहे हैं. हालांकि, इस अध्ययन को आगे बढ़ाना काफी जरूरी था और इसके प्रयास भी किए गए, लेकिन उससे पहले ही संजीव चतुर्वेदी का कॉर्बेट नेशनल पार्क से तबादला कर दिया गया. वैसे जंगल में इन दोनों वन्यजीवों की मौत के पीछे एक बड़ी वजह उनके आपसी संघर्ष का होना भी है.

कॉर्बेट नेशनल पार्क में बाघों और हाथियों की स्थितिः उत्तराखंड में बाघों की संख्या इस समय 442 है. जिसमें कॉर्बेट में अकेले 252 बाघ हैं. जबकि, हाथियों की संख्या 2026 है. जिसमें अकेले कॉर्बेट नेशनल पार्क में ही 1224 हाथी मौजूद हैं. कॉर्बेट नेशनल पार्क का कुल क्षेत्रफल 1288 वर्ग किलोमीटर का है. जिसमें बहुतायत संख्या में वन्य जीव मौजूद हैं. उत्तराखंड में पिछले 20 सालों में आपसी संघर्ष के दौरान 84 हाथियों की मौत हुई. जबकि, 476 हाथी विभिन्न कारणों से मारे गए.

बाघों की मौत का आपसी संघर्ष में आंकड़ा 31 रहा. उधर, विभिन्न कारणों से 166 बाघ 20 सालों में मारे गए. उत्तराखंड सरकार हाथियों और बाघों को बचाने के लिए प्रोजेक्ट टाइगर और प्रोजेक्ट एलिफेंट चला रही है. प्रोजेक्ट टाइगर में 1344 लाख तो प्रोजेक्ट एलीफेंट में 292 लाख रुपए 2022 में अवमुक्त किए गए. साल 2016 से 2022 के बीच अकेले कॉर्बेट में 8 बाघ और 16 हाथी आपसी संघर्ष में मारे गए.
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हाथी और बाघों के बीच बढ़ते संघर्ष को लेकर अध्ययन में तो चौंकाने वाली स्थिति दिखाई दी, लेकिन वन विभाग के अधिकारी इसे चिंताजनक नहीं मान रहे. चीफ वाइल्ड लाइफ वार्डन समीर सिन्हा कहते हैं कि बाघ और हाथियों के बीच संघर्ष की घटनाएं सामान्य बात है. इन दोनों वन्य जीवों में संघर्ष के कारण कोई चिंता नहीं की जानी चाहिए. न ही ऐसा कोई रिकॉर्ड आया है, जिससे इस पर कोई विशेष ध्यान दिया जाए.

कॉर्बेट में हाथियों और बाघों की बेहद ज्यादा संख्या को लेकर कॉर्बेट नेशनल पार्क के मौजूदा निदेशक धीरज पांडे से भी ईटीवी भारत ने बात की. निदेशक धीरज पांडे ने कहा कि कॉर्बेट प्रशासन लगातार मानव वन्यजीव संघर्ष जो चिंताजनक बात है, उसके लिए काम कर रहा है. भविष्य में यह चुनौतियां और भी ज्यादा बढ़ने वाली है. जहां तक बाद हाथी और बाघों के आपसी संघर्ष की है तो पिछले एक साल में ऐसी कोई अधिकतम घटनाएं सामने नहीं आई है. हालांकि उन्होंने इसको लेकर अब अलग से रिकॉर्ड तैयार करने की भी बात कही.

Last Updated :Apr 20, 2023, 9:40 AM IST
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