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Uttarakhand Self-Employment: सरकारी नौकरी की राह में मुश्किलें अपार, उत्तराखंड के युवाओं की किस्मत चमका रहा स्वरोजगार

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Published : Feb 24, 2023, 3:43 PM IST

Updated : Feb 28, 2023, 8:21 PM IST

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युवाओं की किस्मत चमका रहा स्वरोजगार

उत्तराखंड में सरकारी नौकरी में गड़बड़ी, घोटाले और पेपर लीक की वजह से बेरोजगारों की फौज खड़ी है. जहां एक ओर सरकारी नौकरी की आस में युवाओं का समय बर्बाद हो रहा है. वहीं, प्रदेश के हजारों युवाओं ने स्वरोजगार अपना कर न सिर्फ अपनी किस्मत बदली है, बल्कि दूसरों को भी रोजगार दे रहे हैं. उत्तराखंड में पिछले कुछ सालों में स्टार्टअप और स्वरोजगार के आंकड़े इस बात की पुष्टि कर रहे हैं.

युवाओं की किस्मत चमका रहा स्वरोजगार

देहरादून: उत्तराखंड में जहां एक तरफ सरकारी नौकरियों में घोटाले और बढ़ती बेरोजगारी को लेकर के युवाओं में निराशा है. वहीं, दूसरी तरफ छोटे व्यवसाय और स्वरोजगार के क्षेत्र में उम्मीद की नई किरण देखी जा रही है. स्टार्टअप और छोटे व्यवसायों के जरिए प्रदेश के युवा स्वरोजगार से जुड़ रहे हैं. स्वरोजगार की क्षेत्र में पिछले कुछ सालों में उत्तराखंड ने कई नए आयाम स्थापित किए हैं. इस बात की पुष्टि सरकारी रिकॉर्ड से मिले ये आंकड़े कर रहे हैं.

10 फीसदी को भी नहीं मिली सरकारी नौकरी: हाल ही में ईटीवी भारत ने उत्तराखंड में हर साल बेरोजगार हो रहे युवाओं और सरकारी नौकरियों में भर्ती को लेकर पर खबर प्रकाशित की गई थी. जिसमें बताया गया था कि कैसे हर साल उत्तराखंड में बेरोजगारों की फौज बढ़ती जा रही है? वहीं, उसकी तुलना में कितनी सरकारी नौकरियां युवाओं को मिल पा रही है. सरकारी आंकड़े के अनुसार उत्तराखंड में 8 लाख रजिस्टर्ड शिक्षित बेरोजगार हैं. वहीं, इसकी तुलना में सभी माध्यमों से सरकारी सेक्टर में 10 फीसदी नौकरियां भी नहीं लग पा रही है.

देहरादून में रिकॉर्ड तोड़ बेरोजगारी: सरकारी आंकड़ों के अनुसार सबसे ज्यादा रजिस्टर्ड बेरोजगारों की फौज देहरादून जिले में है. जहां पर 1,13,659 रजिस्टर बेरोजगार है. वहीं, बेरोजगारी की इस दौर में पेपर लीक, नियुक्ति में धांधली, परीक्षा घोटाले जैसे मामले युवाओं के भविष्य को कई साल पीछे ले जा रहा है. जिससे युवाओं का भविष्य अंधकार में नजर आ रहा है. वहीं, इन युवाओं के लिए स्वरोजगार की क्षेत्र में उम्मीद की किरण नजर आ रही है. जो उत्तराखंड में पिछले कुछ सालों के दौरान अपने छोटे व्यवसायों में देखने को मिली है.

Uttarakhand Self-Employment
गढ़वाल मंडल में बेरोजगारी

सरकारी नौकरी की अपेक्षा स्वरोजगार फायदेमंद: पिछले कुछ सालों में उत्तराखंड में छोटे बिजनेसमैन की संख्या में हैरतअंगेज इजाफा हुआ है. इससे साफ स्पष्ट है कि बिजनेस में लोग ज्यादा सफल हो रहे हैं. बजाय इसके कि सरकारी नौकरियों के भरोसे बैठा जाए. उत्तराखंड में उद्योग सेक्टर, एमएसएमई और नैनो बिजनेस के आंकड़े बताते हैं कि कैसे लोगों ने अपने काम धंधे में हाथ आजमाया और मुनाफा पाया है ? सरकारी नौकरियों की जरूरतें असीमित हो सकती है, लेकिन सरकारी नौकरियों के मिलने की संभावनाएं सीमित है. वहीं दूसरी तरफ अपने बिजनेस में संभावनाएं अपार हैं, जो पिछले कुछ सालों में उत्तराखंड में खासतौर से देखने को मिली है.

Uttarakhand Self-Employment
कुमाऊं मंडल में बेरोजगारी
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उत्तराखंड की अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बनी पहचान: उत्तराखंड से शुरू हुए ऐसे कई स्टार्टअप हैं, जो आज पूरे विश्व में अपने आप को स्थापित करने की रेस में काफी आगे हैं. बात चाहे दिगंतरा स्पेस टेक्नोलॉजी की हो या फिर हेल्थ सेक्टर में एक नया रेगुलेशन लाने वाले सनफॉक्स टेक्नोलॉजी, यह सभी ऐसे स्टार्टअप हैं. जिन्होंने उत्तराखंड को अपना लॉन्चिंग पैड बनाया है. जिसकी वजह से आज यह राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बना रहे हैं. यह स्टार्टअप केवल उत्तराखंड को नाम ही नहीं, बल्कि रोजगार के क्षेत्र में कई नए लोगों को अवसर भी दे रहे हैं. वही, इसके अलावा अन्य लोकल सेक्टर में भी कई स्टार्टअप है, जिन्होंने उत्तराखंड के लोकल प्रोडक्ट और यहां के टूरिज्म के अलावा सर्विस सेक्टर में भी अच्छा काम किया है.

बिजनेस से 46 हजार लोगों को मिला रोजगार: उत्तराखंड में उद्योगों के क्षेत्र में लगातार सरकार द्वारा चलाई जा रही योजनाओं से रोजगार पाने वालों की संख्या बढ़ी है. हमने उद्योग विभाग से पिछले कुछ सालों में उद्योगों को लेकर के किस तरह का माहौल देखने को मिल रहा है, इस पर जानकारी ली. जिसमें उद्योग विभाग के निदेशक सुधीर चंद्र नौटियाल ने बताया प्रधानमंत्री स्वरोजगार योजना और मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना के तहत अब तक 10,000 से ज्यादा प्रोजेक्ट स्थापित किए जा चुके हैं. जिनमें 5 करोड़ से ज्यादा का निवेश राज्य में हो चुका है. इन तमाम योजनाओं से मिलने वाले स्वरोजगार के अगर बात करें तो, अब तक कुल 46 हजार से ज्यादा लोगों को इन छोटे व्यवसायों से रोजगार मिला है. स्टार्टअप बिजनेस को लेकर के उद्योग विभाग के अधिकारियों का कहना है कि स्वरोजगार योजनाएं हो या फिर स्टार्टअप योजनाएं हो, उत्तराखंड देश के अग्रिम राज्यों में से एक है, जो अपने निर्धारित लक्ष्यों पर बेहतर रिटर्न दे रहा है.
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4 सालों में बढ़े 2.25 लाख नए टैक्सपेयर: उत्तराखंड में लगातार बढ़ रहे उद्योग धंधों को लेकर के हमने टैक्स विभाग से रिटर्नस के आंकड़े भी जुटाए और जाना की किस तरह से उत्तराखंड में लोगों के व्यापार बढ़ रहे हैं. जिस पर हमें कर विभाग द्वारा जानकारी दी गई कि जीएसटी आने के बाद लगातार नए जीएसटी रजिस्ट्रेशन हो रहे हैं.अपर आयुक्त कर अमित गुप्ता ने पिछले 4 सालों में जीएसटी रजिस्ट्रेशन के आंकड़ों की जानकारी देते हुए बताया कि वर्ष 2018- 19 में उत्तराखंड में 36 हजार जीएसटी के नए रजिस्ट्रेशन हुए. वर्ष 2019-20 में 32 हजार नए रजिस्ट्रेशन. वर्ष 2020-21 में कोविड के दौरान 34 हजार जीएसटी के नए रजिस्ट्रेशन और 2021-22 में भी 30 हजार जीएसटी के नए बिजनेस रजिस्टर किए गए. वहीं, वित्त मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल ने कहा आज सरकारी नौकरियों का क्षेत्र सीमित है और इसमें बहुत कम संभावनाएं हैं, लेकिन व्यापार जगत बहुत बड़ा है और यहां पर अपार संभावनाएं हैं.

उत्तराखंड में स्टार्टअप की स्थिति: स्टार्टअप स्कीम की बात करें तो वर्ष 2014 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मेक इन इंडिया का कॉन्सेप्ट पूरे देश के सामने इंट्रोड्यूस किया था. मेक इन इंडिया के तहत ही स्टार्टअप प्रोग्राम भी पूरे देश में लागू किया गया. साल 2018 में उत्तराखंड में भी स्टार्टअप पॉलिसी के तहत शुरू हुआ. अब तक अब तक उत्तराखंड में 144 स्टार्टअप फर्म को रजिस्टर्ड किया गया है. वही, उत्तराखंड उद्योग विभाग द्वारा 13 इनक्यूबेटर सेंटर भी स्थापित किए गए हैं. जहां पर इन स्टार्टअप बिजनेस को तैयार किया जाता है. उत्तराखंड के कुछ बेहतरीन आइडियाज पर काम करने वाले स्टार्टअप में दिगंतरा स्पेस टेक्नोलॉजी, सनफॉक्स टेक्नोलॉजी, किवी किसान विंडो, एग्रोजॉय, ट्रिप टू टेल हैं, जिन्होंने टेक्नोलॉजी से लेकर एग्रीकल्चर और टूरिज्म सेक्टर में भी नई क्रांति लाई है.

कैसे करें स्टार्टअप बिजनेस: स्टार्टअप में रजिस्टर्ड करने के लिए आपके पास बिजनेस का एक ऐसा प्रॉब्लम सॉल्विंग आइडिया यानी ऐसा कॉन्सेप्ट होना चाहिए, जो आपके आसपास के लोगों की जरूरत हो. यानी आपके बिजनेस आइडिया में कुछ इनोवेशन होना चाहिए. इस कॉन्सेप्ट के साथ आप स्टार्टअप पॉलिसी के तहत किसी भी सर्विस या प्रोडक्ट के बिजनेस प्लान को राज्य सेक्टर की स्टार्टअप योजना के तहत उद्योग विभाग के स्टार्टअप विंग में अप्लाई कर सकते हैं. उद्योग विभाग की गठित समिति आपके आइडिया को देखेंगी और उस पर फैसला लेगी कि आपकी आइडिया को स्टार्टअप योजना के तहत लिया जा सकता है या नहीं.

इसके बाद यदि आपका आइडिया एक बार चयनित हो जाता है तो आपकी कंपनी बनाने से लेकर काउंसलिंग और आपकी कंपनी की इनिशियल ग्रांट के लिए सीड फंडिंग के रूप में 12.5 लाख रुपए तक अधिकतम राज्य सरकार वहन करेगी. वहीं, जब आपकी कंपनी इस्टैबलिश्ड होगी और आपको इन्वेस्टर की जरूरत होगी तो उद्योग विभाग ही आपको इन्वेस्टर ढूंढने और अलग-अलग जगहों पर प्लेटफार्म देने का काम करेगी. राज्य सरकार द्वारा चलाई जा रही स्टार्टअप योजना के तहत उन युवाओं के लिए बड़ा प्लेटफार्म है, जो अपने आइडिया के जरिए कुछ कर गुजरने का जज्बा रखते हैं.

Last Updated :Feb 28, 2023, 8:21 PM IST
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