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भारतीय चिकित्सा परिषद उत्तराखंड का विवादित फैसला, अमान्य कोर्स को दी मान्यता

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Published : Oct 18, 2019, 5:18 PM IST

भारतीय चिकित्सा परिषद उत्तराखंड ने अमान्य कोर्स को मान्यता दे दी है. जिस पर केंद्रीय परिषद ने आपत्ति जताते हुए उत्तराखंड चिकित्सा पार्षद से जवाब मांगा है.

देहरादून

देहरादून: राज्य में भारतीय चिकित्सा परिषद उत्तराखंड का विवादित फैसला सामने आया है. दरअसल, डिप्लोमा इन आयुर्वेद और डिप्लोमा इन यूनानी के पंजीकरण की व्यवस्था को लेकर केंद्रीय परिषद ने आपत्ति दर्ज की है. साथ ही मामले पर उत्तराखंड चिकित्सा पार्षद से जवाब मांगा है.

राज्य में भारतीय चिकित्सा परिषद उत्तराखंड द्वारा राष्ट्रीय स्तर पर अमान्य डिप्लोमा को पंजीकरण किए जाने के निर्णय पर विवाद गहरा गया है. स्थिति ये है कि केंद्रीय परिषद ने उत्तराखंड के चिकित्सा परिषद से इसको लेकर जवाब मांगा है. बता दें, हाल ही में भारतीय चिकित्सा परिषद उत्तराखंड में बैठक कर डिप्लोमा इन आयुर्वेद और डिप्लोमा इन यूनानी को पंजीकृत किए जाने को लेकर व्यवस्था की थी. जिसके बाद इस मामले पर शासन से भी आदेश जारी कर दिए गये.

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हैरानी की बात यह रही कि राष्ट्रीय स्तर पर यह डिप्लोमा अमान्य है, लेकिन उत्तराखंड में इन्हें मान्य कर दिया गया. जबकि यह तय है कि सीसीआईएम द्वारा मान्यता प्राप्त को ही पंजीकरण किया जा सकता है. हालांकि, केंद्रीय परिषद के कड़े पत्र के बाद अब इस मामले पर भारतीय चिकित्सा परिषद उत्तराखंड में हलचल बढ़ गई है. इसके लिए मंथन भी शुरू कर दिया गया है. ऐसे में उम्मीद की जा रही है कि जल्दी इस फैसले को वापस लिया जा सकता है.

Intro:summary- राज्य में भारतीय चिकित्सा परिषद उत्तराखंड का विवादित फैसला सामने आया है..दरअसल डिप्लोमा इन आयुर्वेद और डिप्लोमा इन युनानी के पंजीकरण की व्यवस्था को लेकर केंद्रीय परिषद ने आपत्ति दर्ज की है...साथ ही मामले पर उत्तराखंड चिकित्सा पार्षद से जवाब मांगा है...


Body:राज्य में भारतीय चिकित्सा परिषद उत्तराखंड द्वारा राष्ट्रीय स्तर पर अमान्य डिप्लोमा को पंजीकरण किए जाने के निर्णय पर विवाद गहरा गया है.. स्थिति ये है कि केंद्रीय परिषद ने उत्तराखंड के चिकित्सा परिषद से इसको लेकर जवाब मांगा है.. आपको बता दें कि हाल ही में भारतीय चिकित्सा परिषद उत्तराखंड में बैठक कर डिप्लोमा इन आयुर्वेद और डिप्लोमा इन युनानी को पंजीकृत किए जाने को लेकर व्यवस्था की थी जिसके बाद इस मामले पर शासन से भी आदेश जारी कर दिए गए... हैरानी की बात यह रही कि राष्ट्रीय स्तर पर यह डिप्लोमा अमान्य है लेकिन उत्तराखंड में इन्हें मान्य कर दिया गया।। जबकि यह तय है कि सीसीआईएम द्वारा मान्यता प्राप्त को ही पंजीकरण किया जा सकता है... हालांकि केंद्रीय परिषद के कड़े पत्र के बाद अब इस मामले पर भारतीय चिकित्सा परिषद उत्तराखंड में हलचल बढ़ गई है और इसके लिए मंथन भी शुरू कर दिया गया है।। ऐसे में उम्मीद की जा रही है कि जल्दी इस फैसले को वापस लिया जा सकता है।


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