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उत्तराखंड में 3 महीने के लिए रासुका लागू, हिंसक घटनाओं को रोकने के लिए उठाया कदम

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Published : Oct 4, 2021, 4:24 PM IST

Updated : Oct 4, 2021, 7:15 PM IST

राज्य सरकार ने उत्तराखंड में हिंसक घटनाओं को रोकने के लिए कठोर कदम उठाया है. पूरे राज्य में दिसंबर तक के लिए राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम (रासुका) लागू कर दी है. इसके तहत सभी जिलाधिकारियों के अधिकारों में और बढ़ोत्तरी हो गई है.

National Security Act
National Security Act

देहरादून: प्रदेश में राज्य सरकार ने विभिन्न घटनाओं को देखते हुए रासुका (राष्ट्रीय सुरक्षा कानून) लगाने का फैसला लिया है. इसके मद्देनजर अपर मुख्य सचिव आनंद वर्धन ने आदेश जारी कर दिए हैं. आदेशों के अनुसार 1 अक्टूबर से 3 महीने यानी 31 दिसंबर 2021 तक यह आदेश लागू रहेगा.

सांप्रदायिक सौहार्द बिगड़ने की आशंका: उत्तराखंड में सांप्रदायिक सौहार्द बिगड़ने की आशंका के मद्देनजर रासुका लगाई गई है. प्रदेश के विभिन्न क्षेत्रों में हुई अलग-अलग घटनाओं को देखते हुए राज्य सरकार ने एहतियात बरतते हुए ये फैसला लिया है. खास बात ये है कि पिछले दिनों मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी भी राज्य में एक समुदाय की जनसंख्या को लेकर अपनी बात रखते हुए सामाजिक सौहार्द बिगड़ने की बात कह चुके हैं. मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा था कि राज्य में जनसंख्या को लेकर असंतुलन का मामला उनके संज्ञान में आया है, साथ ही प्रदेश के बाहर से यहां आए असामाजिक तत्वों द्वारा राज्य में भूमि खरीदने और सांप्रदायिक सौहार्द बिगाड़ने की भी खबरें भी जोर-शोर से सामने आ रही थीं.

उत्तराखंड में 3 महीने के लिए रासुका लागू

सीएम ने दिये स्पेशल जांच के आदेश: इसके बाद सीएम धामी और डीजीपी अशोक कुमार ने सख्त चेतावनी देते हुए ऐसे लोगों पर सख्ती करने के निर्देश दिए थे. सीएम ने डीजीपी, डीएम और जिलों के कप्तानों को स्पेशल जांच के आदेश दिए थे. इसके साथ ही निर्देश दिए गए थे कि हर जिल में इस प्रकार के क्षेत्रों का चिन्हीकरण कर वहां रह रहे असामाजिक तत्वों के खिलाफ कठोर कार्रवाई की जाए. जिलेवार ऐसे व्यक्तियों की सूची तैयार करने को कहा गया है जो अन्य राज्यों से आकर यहां रह रहे हैं और उनका अपराधिक इतिहास है. ऐसे लोगों का व्यवसाय और मूल निवास स्थान का सत्यापन करके उनका रिकॉर्ड तैयार करने के निर्देश भी दिए गए हैं.

अवैध खरीद–फरोख्त पर विशेष निगरानी: इसके साथ ही जिलाधिकारियों को कहा गया था कि इन क्षेत्रों में विशेष रूप से भूमि की अवैध खरीद–फरोख्त पर विशेष निगरानी रखी जाए. ये भी देखा जाए कि कोई व्यक्ति किसी के डर या दवाब में अपनी संपत्ति न बेच रहा हो.

क्या कहती है गृह अपर सचिव: गृह अपर सचिव रिद्धिम अग्रवाल का कहना है कि जून से सितंबर तक के लिए इसे बढ़ाया गया था. सितंबर में इसकी 3 महीने की समय सीमा खत्म होने के चलते अभी से 3 महीने के लिए 31 दिसंबर 2021 तक बढ़ाया गया है. अपर सचिव गृह का कहना है कि किसी भी जनपद से रासुका को लेकर किसी तरह के मामले सामने नहीं आए हैं लेकिन आगामी चुनाव के मद्देनजर भी जिलाधिकारियों को यह पावर दी जाती है.

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सीएम ने भी मानी डेमोग्राफिक बदलाव की बात: मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा था कि ये उनके संज्ञान में आया है कि प्रदेश के कुछ विशेष क्षेत्रों में जनसंख्या में अत्यधिक वृद्धि होने से जननांकीय (डेमोग्राफिक) परिवर्तन देखने को मिल रहे हैं जिसका कुप्रभाव 'कतिपय समुदाय के लोगों का उन क्षेत्रों से पलायन' के रूप में सामने आने लगा है. डीजीपी, सभी जिलाधिकारियों व एसएसपी को निर्देश दिए गए थे कि हर जिले में जनपद स्तरीय एक समिति गठित की जाए. समिति इस समस्या के निदान के लिए अपने सुझाव देगी. सरकार की तरफ से खुफिया विभाग को भी जांच करने के लिए कहा गया है जबकि पुलिस विभाग भी अपने स्तर से इस मामले पर जानकारी जुटा रहा है.

चर्च में हुई तोड़फोड़ के बाद अलर्ट हुई सरकार: बीते रोज रुड़की के चर्च में हुई तोड़फोड़ के बाद क्षेत्र में तनाव की स्थिति थी. हालांकि इस मामले पर स्थानीय इंटेलिजेंस और पुलिस ने मिलकर स्थिति को संभाल लिया है, लेकिन बाकी जगहों पर ऐसी घटनाएं न दोहराई जाएं इसके लिए प्रयास किए जा रहे हैं. उधर, टिहरी जिले में भी एक समुदाय के दूसरे समुदाय के साथ तनाव की स्थिति का मामला प्रकाश में आया था.

पढ़ें- रुड़की में धर्मांतरण की सूचना पर चर्च में हंगामा! हिंदू संगठनों पर तोड़फोड़ का आरोप

31 दिसंबर तक रासुका: अब प्रदेश में अब 31 दिसंबर तक रासुका लागू रहेगा. इस दौरान सामाजिक सौहार्द बिगड़ने की आशंका के मद्देनजर भी पुलिस कठोर कार्रवाई कर पाएगी. बता दें कि पुलिस लगातार असामाजिक तत्वों पर नजर बनाए हुए है. रासुका लगने के बाद अब ऐसे लोगों के खिलाफ कठोर कार्रवाई का रास्ता खुल गया है.

सरकार का मानना है कि पिछले दिनों राज्य के कुछ जिलों में हिंसक घटनाएं हुई हैं. इन घटनाओं की प्रतिक्रिया स्वरूप राज्य के अन्य क्षेत्रों में भी ऐसी घटनाएं होने की आशंका है. कुछ समाज विरोधी तत्व राज्य की सुरक्षा से खिलवाड़ करने की कोशिश कर रहे हैं. इसके साथ ही कुछ तत्व राज्य की सेवाओं को बनाए रखने में बाधा डालने का प्रयास कर रहे हैं. ऐसे में लोक व्यवस्था बनाए रखने और लोगों के हित के मद्देनजर तत्काल प्रभाव से पूरे राज्य में रासुका लगाई जाती है.

सरकार ने कहा- इसलिए लगाई रासुका: उत्तराखंड में सांप्रदायिक सौहार्द के बिगड़ने की आशंका को देखते हुए रासुका लगाई गई है. दरअसल माना जा रहा है कि राज्य सरकार को राज्य के विभिन्न क्षेत्रों में असामाजिक तत्वों द्वारा माहौल बिगाड़े जाने की सूचना मिल रही थी. प्रदेश में हाल ही में हुई घटनाओं को लेकर भी एहतियातन राज्य सरकार रासुका लगा चुकी है.

रुड़की की घटना ने बढ़ाया तापमान: आपको बता दें कि रुड़की में चर्च में हुई तोड़फोड़ के बाद क्षेत्र में तनाव की स्थिति थी. हालांकि इस मामले पर स्थानीय इंटेलिजेंस और पुलिस ने मिलकर स्थितियों को संभाल लिया है. बाकी जगह पर ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति ना हो इसके लिए प्रयास किए जा रहे हैं.

टिहरी का अवैध मस्जिद मामला चर्चा में था: उधर टिहरी जिले में भी एक समुदाय के दूसरे समुदाय के साथ तनाव की स्थिति का मामला भी प्रकाश में आया था. दरअसल यहां टिहरी झील से सटी जमीन पर अवैध रूप से मस्जिद बना दी गई थी. इसके खिलाफ लोग लामबंद होने लगे थे. हालांकि मस्जिद को हटाने के बाद मामला शांत हो गया था.

उधर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने राज्य में जनसंख्या को लेकर असंतुलन का मामला संज्ञान में आने की बात कही थी. साथ ही प्रदेश के बाहर के असामाजिक तत्वों के राज्य में भूमि खरीदने और सांप्रदायिक सौहार्द बिगाड़ने की भी खबरें जोर-शोर से सामने आ रही थीं. इसके मद्देनजर सरकार की तरफ से खुफिया विभाग को भी जांच करने के लिए कहा गया है. पुलिस विभाग भी अपने स्तर से इस मामले पर जानकारी जुटा रहा है.

रासुका के दौरान आपको किन बातों का रखना है ख्याल: प्रदेश में 3 महीनों के लिए रासुका लगाई गई है. लिहाजा आम लोगों को भी कुछ बातों का ख्याल रखना होगा. मसलन सांप्रदायिक संदेश सोशल मीडिया में फॉरवर्ड करने से बचना होगा. कोई भी ऐसा संदेश जो समाज में शांति व्यवस्था को बिगाड़ने में दुरुपयोग किया जा सकता है, ऐसे संदेश को भी आम लोग सोशल मीडिया पर इग्नोर करें.

पढ़ें- उत्तराखंड में 19 अक्टूबर तक बढ़ा कोरोना कर्फ्यू, जानें कहां मिली छूट

रासुका के दौरान किन बातों का रखना है ख्याल: रासुका के दौरान आम लोगों को भी कुछ बातों का ख्याल रखना होगा. मसलन सांप्रदायिक संदेश सोशल मीडिया में फॉरवर्ड करने से बचना होगा. कोई भी ऐसा संदेश जो समाज में शांति व्यवस्था को बिगाड़ने में दुरुपयोग किया जा सकता है, ऐसे संदेश को भी आम लोग सोशल मीडिया पर इग्नोर करें.

क्‍या है राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (National security act NSA): जैसा कि इसके नाम से ही स्‍पष्‍ट है कि ये कानून राष्‍ट्रीय सुरक्षा में बाधा डालने वालों पर नकेल डालने का काम करता है. अर्थात राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम-1980, देश की सुरक्षा के लिए सरकार को अधिक शक्ति देने से संबंधित ये एक कानून है. सरकार को यदि लगता कि कोई व्यक्ति कानून-व्यवस्था को सुचारू रूप से चलाने में उसके सामने बाधा खड़ा कर रहा है, तो वह उसे NSA के तहत गिरफ्तार करने का आदेश दे सकती है. साथ ही, अगर सरकार को लगे कि वह व्यक्ति आवश्यक सेवा की आपूर्ति में बाधा बन रहा है, तो उसे एनएसए के तहत गिरफ्तार किया जा सकता है.

1980 में लागू हुआ था NSA: रासुका यानी राष्ट्रीय सुरक्षा कानून NSA 23 सितंबर, 1980 को इंदिरा गांधी की सरकार के कार्यकाल में अस्‍तित्‍व में आया था. ये कानून देश की सुरक्षा मजबूत करने के लिए सरकार को अधिक शक्ति देने से संबंधित है. यह कानून केंद्र और राज्य सरकार को संदिग्ध व्यक्ति को हिरासत में लेने की शक्ति देता है. सीसीपी (Code of Civil Procedure), 1973 के तहत जिस व्यक्ति के खिलाफ आदेश जारी किया जाता है, उसकी गिरफ्तारी भारत में कहीं भी हो सकती है.

NSA में है इतनी सजा: NSA के तहत किसी संदिग्ध व्यक्ति को बिना किसी आरोप के 12 महीने तक जेल में रखा जा सकता है. राज्य सरकार को यह सूचित करने की आवश्यकता है कि NSA के तहत व्यक्ति को हिरासत में लिया गया है.

राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम के तहत हिरासत में लिए गए व्यक्ति को उसके खिलाफ आरोप तय किए बिना 10 दिन के लिए रखा जा सकता है. हिरासत में लिया गया व्यक्ति उच्च न्यायालय के सलाहकार बोर्ड के समक्ष अपील कर सकता है, लेकिन उसे मुकदमे के दौरान वकील की अनुमति नहीं है.

Last Updated :Oct 4, 2021, 7:15 PM IST
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