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'सच' सामने लाना चाहते हैं पूर्व सीएम त्रिवेंद्र, बिना डरे डटकर दे रहे बयान

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Published : Sep 5, 2022, 5:56 PM IST

Updated : Sep 5, 2022, 8:57 PM IST

Former CM Trivendra Singh Rawat
त्रिवेंद्र सिंह रावत

उत्तराखंड में यूकेएसएसएससी पेपर लीक (UKSSSC Paper Leak) और विधानसभा बैकडोर भर्ती घोटाला (Assembly Recruitment Scam) सुर्खियों में हैं. साथ ही नियुक्तियों में धांधली और भाई भतीजावाद की वजह से सरकार भी सवालों के घेरे में है. इन सबके इतर त्रिवेंद्र सिंह रावत ने लगातार बयान दे रहे हैं. अपने इन बयानों से उन्होंने अपनी ही पार्टी को कटघरे में खड़ा किया है.

देहरादूनः उत्तराखंड में बीजेपी सरकार यूकेएसएसएससी पेपर लीक, विधानसभा बैकडोर भर्ती घोटाला के अलावा वन दरोगा समेत अन्य मामलों की वजह से विपक्ष के निशाने पर है. सबसे ज्यादा सुर्खियों में विधानसभा में बैक डोर भर्ती घोटाला है. प्रेमचंद अग्रवाल के विधानसभा अध्यक्ष रहने के दौरान कई भर्तियां हुईं. लेकिन जो भर्तियां हुई, उसमें भी भाई-भतीजावाद देखा गया. हालांकि, सीएम धामी ने अब विधानसभा अध्यक्ष को पत्र लिखकर कार्रवाई करने का आग्रह किया है. वहीं, विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खंडूड़ी ने भी इस पूरे मामले पर जांच बैठा दी है.

जब उत्तराखंड में भर्ती घोटाला उजागर हुआ तो बीजेपी के तमाम बड़े नेता और प्रवक्ता इस मामले से बचते रहे. यूं कहें कि उनके पास कहने के लिए कुछ नहीं था, लेकिन बीजेपी के वरिष्ठ नेता और पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत लगातार अपने बयानों से सरकार को असहज करने का काम करते रहे. ऐसे में साफ होता है कि त्रिवेंद्र सिंह रावत वही बोल रहे हैं, जो हकीकत है. सूबे में एक के बाद एक घोटालों ने सरकार को कठघरे में खड़ा किया है, लेकिन त्रिवेंद्र रावत के अलावा कोई नेता खुलकर नहीं बोल रहा है.

'सच' सामने लाना चाहते हैं पूर्व सीएम त्रिवेंद्र.
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हाकम सिंह रावत से लेकर विधानसभा भर्ती मामले में जिस तरह से त्रिवेंद्र सिंह रावत का रुख देखने को मिल रहा है. उससे कहीं न कहीं यह बात स्पष्ट हो रही है कि बीजेपी के तमाम नेता भले ही इस मामले पर ज्यादा कुछ न बोलें, लेकिन पुष्कर धामी से पहले सीएम रहे त्रिवेंद्र सिंह रावत कुछ न कुछ तो ऐसा बोल रहे हैं, जो हकीकत है. हालांकि, यह पहला मामला नहीं है, जब त्रिवेंद्र सिंह रावत किसी मुद्दे पर खुलकर बोले हों, इससे पहले भी उनके कुछ काम भले ही विवादों में रहे हो, लेकिन वो उस पर अंत कायम रहे.

सरकार व संगठन से अलग और काफी हद तक सच बोल रहे त्रिवेंद्रः त्रिवेंद्र सिंह रावत भले ही मौजूदा समय में सरकार में कुछ न हो, लेकिन UKSSSC पेपर लीक (UKSSSC Paper Leak) से लेकर विधानसभा बैकडोर भर्ती मामले (Uttarakhand Assembly Recruitment Scam) में वो खुल कर बात कर रहे हैं. ये सिलसिला तब शुरू हुआ जब उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग (Uttarakhand Subordinate Service Selection Commission) का खुलासा हुआ और हाकम की गिरफ्तारी हुई. हाकम सिंह चूंकि बीजेपी का कार्यकर्ता था तो विपक्ष ने इस पेपर लीक मामले में बीजेपी के बड़े नेताओं से जोड़ दिया.

इसी बीच हाकम सिंह रावत की फोटो वायरल होने लगी और इस लिस्ट में त्रिवेंद्र सिंह रावत भी थे. तमाम प्रवक्ता भी हाकम के नाम से बच रहे थे, लेकिन तभी त्रिवेंद्र सिंह रावत ने एक बयान देकर प्रवक्ता समेत सरकार को धीरे से झटका दिया. त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि इसमें कोई छुपाने वाली बात नहीं है. हाकम हमारा कार्यकर्ता है और जरूरी नहीं कि हर कार्यकर्ता सही हो. कुछ ऐसे भी निकल जाते हैं, इसलिए हमे ये बात बोलने से गुरेज नहीं करना चाहिए.
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उन्होंने ये भी कहा था कि मुझे भी ये स्वीकार करने में कोई गुरेज नहीं है. त्रिवेंद्र रावत के ये बयान 'UKSSSC पेपर लीक केस में त्रिवेंद्र ने कहा, हाकम सिंह बीजेपी नेता, लेकिन इसमें पार्टी का कोई दोष नहीं' अगले दिन अखबार की सुर्खियों में रहे और पार्टी को भी इस पर बयान देना पड़ा. इतना ही नहीं इस बात से त्रिवेंद्र भी बेरोजगार युवाओ के निशाने पर आए कई लोगों ने उन्हें भी सोशल मीडिया पर खूब बुरा भला कहा.

त्रिवेंद्र के निशाने पर प्रेमचंद्रः अभी ये मामले चल ही रहा था कि अचानक विधानसभा भर्ती घोटाला सामने आ गया. जब त्रिवेंद्र सिंह रावत से इस मामले में कुछ पूछा गया तो उन्होंने सीधे तौर पर पूर्व में रहे विधानसभा अध्यक्षों का विरोध किया. इतना ही नहीं हाल ही में प्रेमचंद्र अग्रवाल और त्रिवेंद्र सिंह रावत दोनों आपने सामने आ गए. त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि जिस वक्त वो सीएम थे तो उन्होंने बकायदा इस बात पर फोकस रखते हुए कहा था कि विधानसभा में जो अब तक होता आया है वो न हो.
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त्रिवेंद्र कहा था कि कोई भी भर्ती नियमानुसार और आयोग के माध्यम से हो. इसके बाद प्रेमचंद्र अग्रवाल (Finance Minister Premchand Agrawal)ने भी बयान देकर जवाब दिया था कि जो भी काम हुआ है, वो नियम अनुसार ही हुआ है. इस बात को भी प्रेमचंद्र को स्वीकार करना पड़ा था कि हां उनके भी कुछ लोग विधानसभा में नौकरी पर रखे गए हैं. लिहाजा, तत्कालीन विधानसभा अध्यक्ष प्रेमचंद अग्रवाल पर अपने चहेतों को नौकरी पर रखने के आरोप लगे हैं. जिस पर वो नियमावली का हवाला दे रहे हैं.

त्रिवेंद्र ने नेताओं को सुनाई खरी खोटीः मामला यहीं तक रहता तो शायद कोई बात नहीं थी. अगले ही दिन हरिद्वार पहुंचे त्रिवेंद्र रावत ने एक बार फिर विपक्ष की उस मांग को जायज बता दिया, जिसमें विपक्ष इस मामले की सीबीआई जांच करने की मांग कर रहा था. त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि वैसे तो इस मामले में एसटीएफ जांच कर रही है, लेकिन अगर सीबीआई जांच भी होती है तो कुछ और भी निकल कर आ सकता है.
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इतना ही नहीं त्रिवेंद्र सिंह रावत ने अपने उस वक्त के विधानसभा अध्यक्ष और सरकार को ये कह कर असहज कर दिया था कि उत्तराखंड के बच्चे कहां जाएंगे. जब नेताओं के ही लोग ऐसे भर्ती होंगे. त्रिवेंद्र सिंह रावत ने नेताओं को खरी खरी सुनाते हुए कहा था कि जो पूर्व की सरकारों में हुआ है, अगर वही हम करेंगे तो फिर अंतर क्या रह जाएगा?

सुर्खियों में रहे पूर्व सीएम त्रिवेंद्र रावत के ये फैसले: बता दें कि, इससे पहले भी त्रिवेंद्र सिंह रावत (Former CM Trivendra Singh Rawat) अपने कुछ फैसलों की वजह से सुखियों में रहे. उन्होंने उत्तराखंड चारधाम देवस्थानम प्रबंधन बोर्ड (Uttarakhand Chardham Devasthanam Management Board) का गठन कर दिया, जिसका खासकर तीर्थ पुरोहितों और हक हकूकधारियों ने तीखा विरोध किया.

वहीं, जब संतों ने कहा था कि महाकुंभ भव्य होना चाहिए. कोरोना से इसका कुछ नहीं होगा. तब त्रिवेंद्र रावत ने न केवल तमाम विरोध के बीच देवस्थानम बोर्ड गठित कर दिया, बल्कि कुंभ को भी सीमित करने का फैसला लिया. बताया तो ये भी जाता है कि उनके इस फैसले के कारण ही उनकी कुर्सी भी चली गई थी. अब देखना होगा कि त्रिवेंद्र के ये बयान यूं ही चलेंगे या फिर उनको भी तमाम प्रवक्ता और नेताओं की तरह खामोश होने का इशारा कर दिया जाएगा?
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Last Updated :Sep 5, 2022, 8:57 PM IST
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