देहरादूनः हाल ही में संगीत नाटक अकादमी अवॉर्ड से नवाजे गए प्रसिद्ध लोक गायक नरेंद्र सिंह नेगी ने संवाद कार्यक्रम में शिरकत की. कार्यक्रम के तहत नरेंद्र सिंह नेगी ने सरकार से प्रदेश में लोक भाषा अकादमी खोले जाने की मांग उठाई. उन्होंने प्रदेश सरकार से आग्रह किया है कि गढ़वाल-कुमाऊं की लोक भाषाएं जिंदा रहे, उसके लिए प्रदेश में लोक भाषा अकादमी खोला जाना जरूरी है. वहीं, उन्होंने उत्तराखंड में सख्त भू कानून की पैरवी भी की.
उत्तराखंड के लोक गायक, गढ़कवि, संगीतकार और जन सरोकारों के लिए प्रतिबद्ध आवाज नरेंद्र सिंह नेगी ने कहा कि लोक भाषा से जुड़े हुए लोग सरकारों से लगातार यह मांग उठाते आ रहे हैं कि राज्य में लोक भाषा अकादमी खोली जानी चाहिए. लोक भाषाओं को आगे बढ़ाने की जिम्मेदारी सरकार की भी होती है. उन्होंने कहा कि उत्तराखंड की भाषाएं जीवित रहे, यह फूले फले और आगे बढ़े, इसी उद्देश्य से सरकार को सुझाव दिया है कि प्रदेश में लोक भाषा एकेडमी की स्थापना की जाए.
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नरेंद्र सिंह नेगी ने कहा कि गढ़वाली, कुमाऊंनी और जौनसारी भाषा के ऊपर काम होना चाहिए. इसके अलावा लोक भाषा के साहित्य पर काम हो. इन लोक भाषाओं की रचना करने वाले लोगों का सरकार को सम्मान करना चाहिए. ताकि यह लोग निरंतर इस दिशा में काम करते रहें. उन्होंने कहा कि इससे पहले भी सभी सरकारों से यह निवेदन किया गया था कि प्रदेश में लोक भाषा एकेडमी होनी चाहिए.
पंजाबी और उर्दू भाषा एकेडमी खोली गई तो उत्तराखंडी भाषा पर भी ध्यान दें सरकारः नरेंद्र सिंह नेगी ने कहा कि वर्तमान सरकार से भी यही अपेक्षा है कि सरकार जल्दी ही इस ओर ध्यान देगी. यहां पंजाबी भाषा एकेडमी और उर्दू भाषा एकेडमी खोली गई है, जिसका स्वागत है. लेकिन उत्तराखंडी भाषा (Lok Bhasha Academy in Uttarakhand) पर भी ध्यान दिया जाना आवश्यक है.
उत्तराखंड में सशक्त भू कानून की जरूरत, सरकार नहीं दिखा रही रूचिः लोक गायक नरेंद्र सिंह नेगी ने उत्तराखंड में सशक्त कानून की मांग (Narendra Singh Negi demand strong Land law in Uttarakhand) भी की है. उन्होंने कहा कि सरकार इस दिशा में कोई रुचि नहीं दिखा रही है. यहां जितने भी लोग हैं, उनका सम्मान सरकारों को भी करना चाहिए. उत्तराखंड में कठोर भू कानून लागू होना चाहिए.
संस्कृति और परंपराओं को बचाने के लिए भी भू कानून जरूरीः इसकी वजह बताते हुए नरेंद्र सिंह नेगी ने कहा कि राज्य की जमीनें भू माफियाओं के हाथों से बचाई जा सके. यहां की संस्कृति और परंपराएं बच सकें, इसके लिए प्रदेश में सख्त भू कानून की जरूरत है. वहीं, संवाद कार्यक्रम में नरेंद्र सिंह नेगी ने 'धरती हमरा गढ़वाल की' गीत गाकर मौजूद लोगों को मंत्र मुक्त कर दिया.
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बता दें कि पहाड़ की नारी की चिंता, पलायन, बड़े बुजुर्गों के दर्द और लोक जीवन जैसे तमाम अनछुए पहलुओं को अपने गीतों के माध्यम से बयां करने वाले गायक नरेंद्र सिंह नेगी को इसी महीने दिल्ली में संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार से उपराष्ट्रपति ने पुरस्कृत किया. नरेंद्र सिंह नेगी को उत्तराखंड में लोक संगीत के क्षेत्र में विशेष योगदान दिया है. 12 अगस्त 1949 को पौड़ी में जन्मे नरेंद्र सिंह नेगी ने जीवन शैली, संस्कृति, राजनीति को लेकर अनगिनत गीत गाए हैं. नए गायकों के आने के बावजूद उत्तराखंड के लोकगायक नरेंद्र सिंह नेगी के गीतों की चमक बरकरार है.