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Joshimath Sinking: परिवारों के पुनर्वास के लिए तीन जगहें चयनित, आसान नहीं काम!

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Published : Jan 11, 2023, 5:31 PM IST

Updated : Jan 11, 2023, 7:09 PM IST

Rehabilitation of Joshimath disaster affected families
जोशीमठ आपदा प्रभावित परिवारों के पुनर्वास के रोड मैप तैया

जोशीमठ में प्रभावित परिवारों के पुनर्वास (Rehabilitation of affected families in Joshimath) को लेकर धामी सरकार रोड मैप (road map of joshimath rehabilitation) तैयार करने में जुट गई है. इसके तहत चमोली जिले की ही तीन जगहों पर प्रभावित परिवारों को बसाया जाएगा. इन जगहों पर प्रभावित परिवारों के बसाने से पहले सरकार भूगर्भीय जांच कराएगी. जिसका कार्य जीएसआई को सौंपा गया है.

जोशीमठ में पीड़ित परिवारों के पुनर्वास के लिए तीन जगहें चयनित.

देहरादून: जोशीमठ में लगातार हो रहे भू-धंसाव की घटना (Landslide incident in Joshimath) को लेकर राज्य और केंद्र सरकार गंभीर नजर आ रही है. यही वजह है कि सरकार जोशीमठ शहर में रहने वाले लोगों और शहर के अस्तित्व को बचाने की कवायद में दिन रात जुटी हुई है. अभी तक जोशीमठ के 723 घरों में दरारें (Cracks in 678 houses of Joshimath) आ चुकी हैं. जिसके कारण शहर के परिवारों को अब किसी अन्य जगह स्थाई रूप से पुनर्वास (road map of joshimath rehabilitation) किए जाने को लेकर उत्तराखंड सरकार ने गहन मंथन शुरू कर दिया है.

राज्य में विषम भौगोलिक परिस्थितियों के चलते आपदा जैसे हालात बनना आम बात है. प्रदेश के तमाम गांव ऐसे हैं, जहां संवेदनशील क्षेत्रों में बसावट है. प्रदेश के तमाम ऐसे कस्बे हैं जो लूज रॉक मैटेरियल पर बसे हुए हैं. यही वजह है कि जब प्रदेश के पर्वतीय क्षेत्रों पर कोई हलचल होती है तो उस दौरान संवेदनशील क्षेत्रों या फिर लूज रॉक मटेरियल पर बसे घरों को सीधे नुकसान पहुंचता है. जिसके कारण तमाम घर जमींदोज हो जाते हैं. जिसका जीता जागता उदाहरण इन दिनों प्रदेश के जोशीमठ शहर में दिखाई दे रहा है. लिहाजा अब जोशीमठ शहर के सैकड़ों परिवारों का पुनर्वास (Rehabilitation hundreds families of Joshimath) किए जाने पर कार्य योजना सरकार तैयार कर रही है.

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तीन जगहों पर हो सकता है परिवारों का स्थाई पुनर्वास: जोशीमठ शहर के खतरे की जद में आए परिवारों के पुनर्वास को लेकर राज्य सरकार ने जमीन तलाशनी शुरू कर दी है. फिलहाल, राज्य सरकार ने चमोली जिले के ही तीन जगह पीपलकोटी, गौचर के साथ ही जोशीमठ के उद्यान विभाग की जमीन पर इन परिवारों के पुनर्वास कराए जाने का रोड मैप बना रही है. दरअसल, यह तीनों जगह चमोली जिले में ही हैं. जोशीमठ शहर से पीपलकोटी और गौचर काफी अधिक दूर हैं. बावजूद इसके इन जगहों पर इन परिवारों के पुनर्वास का निर्णय लेने की मुख्य वजह यही है कि इन्हें फिर से कहीं और दोबारा पुनर्वास कराने की नौबत ना आए.

पुनर्वास से पहले भूगर्भीय जांच कराएगी सरकार: जोशीमठ शहर के सैकड़ों परिवारों के पुनर्वास को लेकर उत्तराखंड सरकार ने पीपलकोटी, गौचर और जोशीमठ शहर के ही उद्यान विभाग के जमीन को चिन्हित की है. उससे पहले राज्य सरकार इन जगहों का भूगर्भीय भी जांच कराने जा रही है. इसके लिए जीआईएस को जिम्मेदारी सौंपी गई है. साथ ही इस बात को भी तय किया गया है कि जल्द से जल्द इसकी रिपोर्ट सौंपे. जिससे प्रभावित परिवारों के पुनर्वास की प्रक्रिया शुरू की जा सके. भूगर्भीय जांच करने की मुख्य वजह यही है कि अगर इन परिवारों का पुनर्वास इन क्षेत्रों में कराया जाता है तो इन क्षेत्रों में ऐसी स्थिति उत्पन्न ना हो कि फिर से इन परिवारों का कहीं और पुनर्वास करने की नौबत आए. लिहाजा नई जगह पर बसावट को लेकर राज्य सरकार फूंक- फूंक कर कदम रख रही है.

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सरकार के लिए होगी बड़ी चुनौती: जोशीमठ में हो रहे भू-धंसाव के चलते अभी तक 723 घरों में दरारें पड़ चुकी हैं. यही वजह है कि राज्य सरकार, चिन्हित तीन क्षेत्रों के साथ ही अन्य जगहों पर भी जमीन तलाश रही है. दरअसल, सैकड़ों परिवारों के पुनर्वास की चुनौती इसलिए भी है, क्योंकि वह सरकार के पास इतना लैंड नहीं है जहां इतने परिवारों को पुनर्वासित किया जा सके. जमीन उपलब्ध ना होने की वजह से सैकड़ों परिवारों का पुनर्वास सरकार के लिए बड़ी चुनौती है.

पुनर्वास करने प्रति परिवार आता है लाखों का खर्च: आपदा प्रभावित परिवारों के पुनर्वास के लिए सरकार को जहां जमीन की उपलब्धता देखनी होती है, वहीं बजट को भी ध्यान में रखना होता है. पुनर्वास के लिए प्रति परिवार लाखों रुपए का खर्च आता है. उत्तराखंड सरकार की स्थिति किसी से छिपी नहीं है. उत्तराखंड सीमित संसाधनों में सिमटा हुआ है. वर्तमान समय में लोन लेकर राज्य सरकार न सिर्फ प्रदेश की जरूरतों को पूरी कर रही है, बल्कि लोन का ब्याज भी लोन लेकर राज्य सरकार भर रही है. ऐसे में डर के साए में जीने को मजबूर परिवारों के पुनर्वास के लिए भारी-भरकम बजट खर्च करना राज्य सरकार के लिए एक बड़ी चुनौती है.

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पुनर्वास के बजट को लेकर केंद्र के भरोसे राज्य सरकार: जोशीमठ के सैकड़ों परिवारों के पुनर्वास के लिए राज्य सरकार संसाधनों को जुटाने में जुटी हुई है. ऐसे में अगर इन सैकड़ों परिवारों को पुनर्स्थापित करने का पूरी तरह से राज्य सरकार रोडमैप तैयार करती है तो ऐसे मे सरकार पर हजारों करोड़ों का खर्च आएगा. राज्य सरकार की स्थिति ऐसी नहीं है कि अपने बलबूते इन सैकड़ों परिवारों का पुनर्वास करा सके. लिहाजा अब सरकार इन तमाम परिवारों के पुनर्वास को लेकर केंद्र सरकार से आस लगाए बैठी है, ताकि इन सैकड़ों परिवारों का पुनर्वास किया जा सके.

81 परिवारों को सुरक्षित स्थान पर किया गया विस्थापित: सरकारी आंकड़ों के अनुसार जोशीमठ शहर के 12,398 घरों में से अब तक 723 घरों में दरारें आ चुकी हैं. घरों में आ रही दरारों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही हैं. जिन घरों को प्रशासन की टीम लगातार चिन्हित करने का काम कर रही है. हालांकि, जिन घरों में दरारें आई है उनमें से 81 परिवारों को अन्य जगहों पर विस्थापित किया गया है. इसके साथ ही प्रशासन की टीम लगातार घरों को खाली करने में लगी है.

राज्य में आपदा के दृष्टिगत 1447 परिवारों का हुआ पुनर्वास: उत्तराखंड के संवेदनशील क्षेत्रों में बसे लोगों के पुनर्वास का अभियान समय-समय पर चलता रहता है. जिसके तहत शासन स्तर पर पहले तमाम गांव को चिन्हित किया गया है जो आपदा की जद में हैं. लिहाजा संवेदनशीलता के अनुसार परिवारों का समय समय पर पुनर्वास किया जा रहा है. सरकारी आंकड़ों के अनुसार, उत्तराखंड में ऐसे 400 से अधिक गांव चिह्नित किए गए हैं. इन गांवों को फिर से बसाना सरकार के लिए बड़ी चुनौती है. सरकार पहले चरण में अत्यधिक संवेदनशील गांवों का पुनर्वास कर रही है. साल 2011 में आपदा के बाद प्रभावित गांवों व परिवारों की पुनर्वास नीति के तहत साल 2017 से पहले दो गांवों के 11 परिवारों का पुनर्वास हुआ था. साथ ही 2017 के बाद से 81 गांवों के 1436 परिवारों को पुनर्वासित किया गया.

Last Updated :Jan 11, 2023, 7:09 PM IST
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