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टी-स्टेट हत्याकांड के आरोपी को कोर्ट ने माना नाबालिग, जुवेनाइल कोर्ट में होगी पेशी

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Published : Nov 1, 2021, 8:32 PM IST

देहरादून के चाय बगान इलाके में नाबालिग छात्रा की गला रेतकर हत्या करने वाले आरोपी को कोर्ट ने जुवेनाइल माना है. हालांकि अभी किशोर सुद्दोवाला जेल में न्यायिक हिरासत में रहेगा.

minor girl
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देहरादून: प्रेम नगर थाना क्षेत्र के चाय बगान इलाके में बीती 27 अक्टूबर को छात्रा हत्या करने वाला आरोपी नाबालिग निकला. सोमवार को पुलिस ने आरोपी के जन्म प्रमाण पत्र से जुड़े दस्तावेज देहरादून सीजेएम कोर्ट में पेश किए. जिसके आधार पर कोर्ट ने आरोपी को किशोर (जुवेनाइल) माना है. हालांकि उसका अपराध जघन्य (हेनस) श्रेणी में आता है, ऐसे में उसे फिलहाल सुद्दोवाला जेल में न्यायिक हिरासत में रखा जाएगा.

पुलिस ने बताया कि जब तक इस मामले में सेशन कोर्ट में चार्जशीट दाखिल नहीं होती, तबतक आरोपी को सुद्दोवाला जेल में रखा जा सकता हैं. इस केस में विस्तृत जांच के बाद ही पुलिस सेशन कोर्ट में चार्जशीट दाखिल करेगी. इसके बाद ही आरोपी को जुवेनाइल कोर्ट में पेश किया जाएगा. इसके बाद जुवेनाइल कोर्ट उसकी मानसिक और बौद्धिक स्थिति का परीक्षण कर आगे कि कानूनी प्रक्रिया पर कोई निर्णय देगा.

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जुवेनाइल कोर्ट ने अगर माना कि इस जघन्य अपराध में आरोपी की बौद्धिक और मानसिक स्थिति वयस्क जैसी है, तो उसे जेल भी ही भेजा जाएगा और उसके केस का ट्रायल भी सेशन कोर्ट में हो सकता है. कानूनी तौर पर 18 साल से कम उम्र के अपराधी को जुवेनाइल माना जाता है.

भारतीय दंड अधिनियम के मुताबिक किसी भी जुर्म अपराध में नाबालिग आरोपी को जुवेनाइल के तहत कानूनी कार्रवाई के तहत बाल सुधार गृह में रखा जाता है. हालांकि 16 से 18 साल के उम्र के जुवेनाइल ने यदि कोई जघन्य अपराध किया तो कोर्ट उसकी बौद्धिक और मानसिक स्थिति की जांच करता है, उसी के बाद आगे का कानूनी कार्रवाई करता है.

प्रेमनगर थाना प्रभारी कुलदीप पंत के मुताबिक आरोपी ने 27 अक्टूबर को चाय बागान में नाबालिग छात्रा की गला रेतकर निर्मम हत्या की थी. ये अपराध एक जघन्य श्रेणी में आता है. ऐसे में आरोपी को किसी तरह की रियायत मिलने की कोई उम्मीद नहीं है. हालांकि कोर्ट उसे जुवेनाइल मान चुका है. ऐसे में चार्जशीट दाखिल होने के बाद ही आगे की कानूनी प्रक्रिया होगी. किशोर न्याय अधिनियम 2015 के अंतर्गत यह अधिनियम जघन्य अपराधों में संलिप्त 16 से 18 वर्ष की बीच आयु किशोरों पर बालिगों के समान मुकदमा चलाने की अनुमति देता है.

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