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कांग्रेस ने बनाई पहाड़ी जिलों को साधने की रणनीति, 2017 और 22 के चुनाव में मैदानी जिलों से बची थी लाज

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Published : Apr 26, 2022, 3:42 PM IST

Updated : Apr 26, 2022, 8:00 PM IST

2017 और 2022 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को सबसे ज्यादा पहाड़ी जिलों की विधानसभा सीटों पर हार का सामना करना पड़ा. यही कारण है कि अब नए प्रदेश अध्यक्ष करन माहरा पहाड़ी जिलों को साधने की कोशिश कर रहे हैं. वह 28 अप्रैल से मसूरी से दौरा शुरू करने जा रहे हैं.

Congress state president Karan Mahra
कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष करन माहरा

देहरादूनः उत्तराखंड में चुनाव परिणाम यह जाहिर कर चुके हैं कि कांग्रेस का पहाड़ों पर जनाधार (Congress lost in the hills seats) कम हो रहा है. इसकी सबसे बड़ी वजह कांग्रेस का पहाड़ों से दूरी बनाना है. ऐसा इसलिए कहा जा सकता है क्योंकि पार्टी संगठन की तरफ से प्रदेश में पहाड़ी जिलों पर बड़े आयोजनों को लेकर हमेशा कंजूसी की जाती रही है. इसका खामियाजा कांग्रेस को राजनीतिक रूप से दिखाई भी दे रहा है.

प्रदेश कांग्रेस (uttarakhand congress) विपक्ष की भूमिका में बड़े आयोजनों के लिहाज से सिर्फ मैदानी जिलों में ही दिखाई देती रही है. पिछले कुछ सालों में कांग्रेस ने अपना फोकस मैदानी जिलों की तरफ ही रखा है. उधर संगठन स्तर पर कांग्रेस के नेता पहाड़ों पर बड़े आयोजनों को लेकर कुछ खास करते नहीं दिखाई दे रहे हैं. पार्टी के बड़े विरोध कार्यक्रम या संवाद का आयोजन केवल देहरादून, हरिद्वार, हल्द्वानी और उधम सिंह नगर तक ही सिमट गए हैं. नतीजतन पहाड़ों से विधानसभा सीटों को लेकर भी कांग्रेस सिमटती हुई दिखाई दे रही है. हालांकि, पार्टी के कुछ नेताओं ने पहाड़ों पर दौरे जरूर किए, लेकिन उनका असर नहीं हुआ.

कांग्रेस ने बनाई पहाड़ी जिलों को साधने की रणनीति.
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2017 चुनाव का आकंड़ाः पहाड़ों पर कांग्रेस की राजनीतिक कार्यक्रमों के लिहाज से कम दिलचस्पी का ही नतीजा है कि विधानसभा चुनाव 2017 और 2022 दोनों ही चुनावों में पार्टी को सबसे ज्यादा झटका पहाड़ी जिलों से लगा है. 2017 के विधानसभा चुनाव में देखा जाए तो गढ़वाल मंडल की पहाड़ी जिलों की 20 विधानसभा सीटों में से केवल 2 सीटें (केदारनाथ और पुरोला) ही कांग्रेस जीत पाई थी. उधर, कुमाऊं मंडल के 4 पहाड़ी जिलों की 14 विधानसभा सीटों में केवल 3 विधानसभा सीटें (धारचूला, रानीखेत, जागेश्वर) ही कांग्रेस जीत पाई थी. बाकी 6 सीटें दोनों मंडल की मैदानी सीटों से जीती थी.

2022 चुनाव का आकंड़ाः विधानसभा चुनाव 2022 की स्थिति देखें तो गढ़वाल मंडल के 5 पर्वतीय जिलों में 20 विधानसभा सीटों पर केवल 2 विधानसभा सीटें (बदरीनाथ, प्रतापनगर) कांग्रेस ने जीती. उधर, कुमाऊं मंडल के 4 पर्वतीय जिलों के 14 विधानसभा सीटों में से 5 विधानसभा सीटें (धारचूला, लोहाघाट, पिथौरागढ़, द्वाराहाट, अल्मोड़ा) कांग्रेस ने जीती. बाकी की 12 सीटें दोनों मंडल के मैदानी जिलों में जीती है.
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कांग्रेस की पहाड़ को साधने की रणनीतिः इन स्थितियों को देखकर समझा जा सकता है कि पहाड़ी क्षेत्र में कांग्रेस को चुनाव के दौरान सबसे ज्यादा नुकसान हुआ है. हालांकि, इसके बावजूद भी पर्वतीय क्षेत्रों में बड़े कार्यक्रमों को लेकर कांग्रेस की कोई रणनीति नहीं दिखाई देती. लेकिन नए प्रदेश अध्यक्ष करन माहरा (Congress state president Karan Mahra) इसी महीने से अपने दौरे शुरू करने जा रहे हैं. जिसकी शुरुआत पर्वतीय क्षेत्रों से करते हुए वे एक संदेश देना चाहते हैं.

Congress state president Karan Mahra
कांग्रेस का कार्यक्रम.

28 अप्रैल से 9 मई तक दौराः करन माहरा 28 अप्रैल से अपना दौरा मसूरी से शुरू करेंगे और यह दौरा 9 मई को हरिद्वार गंगा आरती के साथ समाप्त होगा. इस दौरान केदारनाथ के कपाट खुलने के दौरान वे यहां मौजूद रहेंगे. इसी तरह बदरीनाथ के कपाट खुलने के दौरान भी वे बदरीनाथ में मौजूद रहेंगे. करन माहरा अपने इस दौरे के दौरान पार्टी कार्यकर्ताओं के घर पर ही रात्रि विश्राम करेंगे और उनसे संवाद करेंगे.

Last Updated :Apr 26, 2022, 8:00 PM IST
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