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गजब: सेंटर से बिना वैक्सीन लिए घर लौटा बुजुर्ग, मैसेज में मिला कोरोना टीकाकरण सर्टिफिकेट

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Published : Jun 25, 2021, 9:24 PM IST

कोरोना टीकाकरण सर्टिफिकेट
कोरोना टीकाकरण सर्टिफिकेट

कोरोना वैक्सीनेशन में किस तरह से फर्जीवाड़ा किया जा रहा है, इसका एक उदाहरण उत्तराखंड की राजधानी देहरादून में देखने के मिला है. यहां एक व्यक्ति को हॉस्पिटल ने ये कहकर घर भेजा दिया कि अभी उनके पास कोरोना का टीका नहीं है, लेकिन व्यक्ति जैसे ही घर पहुंचा तो उसके पास टीकाकरण सर्टिफिकेट आ गया.

देहरादून: कोरोना से जंग (fight against corona) में वैक्सीनेशन को अहम हथियार माना जा रहा है, लेकिन देश-प्रदेश में वैक्सीन की कमी (shortage of vaccine) से अभियान की रफ्तार सुस्त पड़ी हुई है. वहीं, उत्तराखंड स्वास्थ्य विभाग (Uttarakhand Health Department) ने वैक्सीन कमी को दूर करने का बड़ा नयाब तरीका निकाला है, जहां लोगों को वैक्सीनेशन सेंटर (vaccination center) से बैरंग लौटाया जा रहा है, लेकिन घर पहुंचने पर लोगों को वैक्सीन लगने का संदेश मिल रहा है.

जी हां, ऐसा ही चौंकाने वाला मामला राजधानी देहरादून में सामने आया है. जिसके बाद स्वास्थ्य विभाग की वैक्सीनेशन में तकनीकी खामियों (Technical flault in vaccination) का खुलासा हुआ है. पहले भी देहरादून के एक निजी अस्पताल में रजिस्ट्रेशन कराने वाले कि जगह किसी दूसरे को वैक्सीन की डोज (vaccine dose) लगा दी गयी थी. जिसके बाद ये मामला चर्चाओं में आया था, जिसके बाद मैक्स अस्पताल को अपनी गलती माननी पड़ी थी, लेकिन अब एक और चौंकाने वाला मामला सामने आया है. जिसमें वैक्सीन लगाने गए व्यक्ति को वैक्सीनेशन सेंटर से वैक्सीन की कमी बताकर बैरंग लौटा दिया गया, लेकिन जब वह घर पहुंचा तो उसे फोन पर वैक्सीन लगने का मैसेज मिला.

बिना वैक्सीन लगवाए ही मिल वैक्सीनेशन सर्टिफिकेट

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इस घटना के बाद इंदर सिंह नेगी का पूरा परिवार हैरत में है. आखिरकार बिना वैक्सीनेशन के उनके मोबाइल पर कोरोना वैक्सीनेशन सर्टिफिकेट (corona vaccination certificate) का मैसेज कैसे पहुंच गया? यह मामला इसलिए भी चौंकाने वाला है. क्योंकि वैक्सीनेशन सेंटर पर जब वैक्सीन ही उपलब्ध नहीं थी तो आखिरकार कैसे सेंटर में रजिस्ट्रेशन हुआ और वैक्सीनेशन होने का संदेश कैसे व्यक्ति को मिला? हैरानी की बात यह है कि प्रेमनगर निवासी इंदर सिंह नेगी ने जब स्लॉट बुक कराया तो बिना वैक्सीन की उपलब्धता की कैसे क्लेंमनटाउन (clementown) के कैंट अस्पताल (dehradun Cantt Hospital) में स्लॉट बुक हो गया.

बता दें कि इंदर सिंह नेगी को वैक्सीन की दूसरी डोज (second dose of vaccine) लगनी थी, जिसके लिए वह अपनी बेटी के साथ सेंटर पर पहुंचे. इंदर सिंह नेगी की बेटी अनुष्का ने बताया कि जब वह अपने पिता को लेकर सेंटर पर पहुंची तो वहां वैक्सीन नहीं होने की बात कही गई. जबकि हमारा स्लॉट बुक था, उससे भी बड़ी बात यह है कि जब वैक्सीन लगाई ही नहीं गई तो कैसे वैक्सीनेशन का मैसेज आ गया? मैसेज में इंदर सिंह का वैक्सीनेशन सर्टिफिकेट उपलब्ध होने की जानकारी दी गई थी.

यह मामला सामने आने के बाद यह तो जाहिर हो गया है कि देश भर में वैक्सीन को लेकर तकनीकी रूप से कई खामियां देखने को मिल रही है. मामले में शासकीय प्रवक्ता सुबोध उनियाल ने कहा कि यह तकनीकी रूप से गड़बड़ी का मामला है, लेकिन इस तरह की परेशानी लोगों को नहीं आनी चाहिए. इसके लिए वह अधिकारियों को ऐसे मामलों में एहतियात बरतने के निर्देश देंगे.

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