ETV Bharat / state

'गोल्डन फर्न' से फूलों की घाटी के अस्तित्व को खतरा, उजाड़ देता है हरे-भरे फूलों का संसार

author img

By

Published : Aug 13, 2021, 7:58 PM IST

Updated : Aug 14, 2021, 7:29 PM IST

विश्व धरोहर का दर्जा प्राप्त फूलों की घाटी के अस्तित्व पर खतरा मंडरा रहा है. यह खतरा घाटी की ही एक घास ने पैदा किया है, जिसका नाम गोल्डन फर्न है. गोल्डन फर्न का विस्तार थमने का नाम नहीं ले रहा है. इसे फूलों की घाटी का नया दुश्मन भी कहा जा सकता है.

valley of flowers
valley of flowers

देहरादून: चमोली जिले में खूबसूरत फूलों के संसार को शायद किसी की नजर लग गई है. फूलों की घाटी में पोलिगोनम की समस्या अभी खत्म भी नहीं हुई थी कि गोल्डन फर्न ने वन विभाग के अधिकारियों की चिंता को और भी ज्यादा बढ़ा दिया है. घाटी में दूर-दूर तक गोल्डन फर्न का पौधा फैल गया है. इससे घाटी में दूसरे फूलों के पौधों को खतरा पैदा होने की बात कही जा रही है. हालांकि कुछ विशेषज्ञ इसे प्राकृतिक रूप से सामान्य प्रक्रिया मान रहे हैं.

गोल्डन फर्न बना दुश्मन: विश्व धरोहर के रूप में संजोकर रखी गयी फूलों की घाटी का गोल्डन फर्न दुश्मन बना गया है. गोल्डन फर्न इस सूबसूरत घाटी में फूलों के हरे-भरे संसार को नष्ट कर रहा है. करीब आधा मीटर का यह पौधा (गोल्डन फर्न) अब फूलों की घाटी में तमाम खूबसूरत फूलों के लिए मुसीबत बताया जाने लगा है.

फूलों की घाटी के अस्तित्व को खतरा

पढ़ें- फूलों की घाटी का पर्यटक कर रहे दीदार, सैलानियों के लिए कोरोना निगेटिव रिपोर्ट अनिवार्य

दरअसल, गोल्डन फर्न घाटी में अलग-अलग जगहों पर कई क्षेत्रों में अपने पांव पसार रहा है. यहां पर पिकनिक स्पॉट, पुष्पावती नदी के किनारे के क्षेत्रों, बामण धौड़ और मेरी की कब्र के चारों तरफ भी गोल्डन फर्न ने कब्जा कर लिया है. पिछले साल तक इन सब जगह में खूबसूरत फूल दिखाई देते थे, लेकिन अब यह नजारा बदल गया है.

इसलिए कहा जाता है गोल्डन फर्न: बताया जाता है कि जहां पर यह पौधा होता है, उसके आसपास फूल वाले पौधे नहीं पनप पाते. पिछले साल गोल्डन फर्न की पैदावार इतनी ज्यादा नहीं थी, लेकिन इस साल यह घाटी में दूर-दूर तक नजर आ रहा है. गोल्डन फर्न चौड़ी पत्ती और हल्के पीले रंग का होता है. बड़ी मात्रा में होने की वजह से यह दूर से गोल्डन कलर का नजर आता है और इसीलिए इसे गोल्डन फर्न कहा जाता है.

दुश्मन को खत्म करने लिए हर साल खर्च होते 5 लाख: विशेषज्ञ कहते हैं कि इस आधा मीटर के पौधे की पत्तियों से हल्के और बेहद बारीक बीज हवा के साथ इधर-उधर फैल जाते हैं, जिस कारण इसका धीरे-धीरे सभी जगह पर इसका प्रसार हो रहा है. इससे पहले इस घाटी में पोलिगोनम का भी काफी प्रसार हुआ था, जिस के उन्मूलन के लिए इस संरक्षित क्षेत्र में वन विभाग के अधिकारी काम कर रहे हैं. पोलिगोनम को खत्म करने के लिए हर साल करीब पांच लाख रुपए खर्च किए जा रहे हैं. जबकि अब गोल्डन फर्न के उन्मूलन के लिए भी प्रस्ताव तैयार किया जा रहा है.

पढ़ें- फूलों की घाटी में खिला जापानी 'ब्लू पॉपी', देखने खिंचे चले आते हैं विदेशी सैलानी

फूलों की 500 से ज्यादा प्रजातियां: बता दें कि सीमांत जिले चमोली में समुद्र तल से 13,000 फीट की ऊंचाई पर करीब 87.5 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फूलों की घाटी फैली हुई है. साल 1982 में यूनेस्को ने फूलों की घाटी को विश्व धरोहर के रूप में संरक्षित किया था. फूलों की घाटी में 500 से ज्यादा फूलों की प्रजातियां हैं.

क्या कहते हैं अधिकारी: मुख्य वन संरक्षक मनोज चंद्रन कहते हैं कि फूलों की घाटी को संरक्षित रूप में रखने के चलते इसमें स्थानीय लोगों का अपने मवेशियों के साथ जाना प्रतिबंधित है. उन्होंने बताया कि गोल्डन फर्न बाहर से आई भी कोई प्रजाति नहीं है, लिहाजा इसका बहुत ज्यादा खतरा फूलों की घाटी पर नहीं होगा.

धीरे-धीरे होगी कम: उन्होंने कहा कि पहले स्थानीय लोग अपने मवेशियों के साथ यहां पर पहुंचते थे, जिसके कारण प्राकृतिक रूप से यहां पर घास का दोहन होता था और अपने आप नए फूलों की प्रजाति इसमें विकसित होती थी. अब इस संरक्षित क्षेत्र में पोलिगोनाम और गोल्डन फर्न जैसी प्रजाति ज्यादा तेजी से बढ़ रही है, लेकिन धीरे-धीरे यह अपने आप कम हो जाएगी. यह प्रजाति बेहद सुंदर है और पर्यटकों को उसका भी आनंद लेना चाहिए.

पढ़ें- तस्वीरों में देखें फ्लावर वैली की दिल छू लेने वाले नजारे

कोरोना काल में बंद रही फूलों की घाटी: वैसे आपको बता दें कि कोविड के चलते फूलों की घाटी को बंद कर दिया गया था और इसमें पर्यटकों की आवाजाही भी पूरी तरह से बंद थी, लेकिन मामले कम होने के बाद इसमें एक बार फिर से पर्यटकों को आने की अनुमति दी गई है. इसके बाद बड़ी संख्या में यहां पर पर्यटक पहुंच रहे हैं.

पिछले एक महीने में 2,215 से ज्यादा पर्यटक यहां पर पहुंच चुके हैं. जबकि हर दिन करीब डेढ़ सौ से ज्यादा पर्यटक घाटी में आ रहे हैं. इससे फूलों की घाटी से प्रशासन की अच्छी आमदनी हो रही है. इतना ही नहीं उसके आसपास काम कर रहे हैं व्यवसायियों को भी अच्छा लाभ मिल रहा है.

फिलहाल घाटी में सैकड़ों प्रजातियों के फूल खिले हुए हैं, जिसमें कोबरा चिल्ली, प्रिमुला, प्रोन्टेंतिला, ब्लू पॉपी, मोरिनालेंगीफुलिया और रोज मोस्यारा जैसी प्रजातियां शामिल हैं. फूलों की घाटी में सुंदर घाटी और खूबसूरत फूलों का नजारा देखने के लिए भारतीय पर्यटक को 150 रुपए और विदेशी पर्यटक को 600 शुल्क देना होता है.

Last Updated :Aug 14, 2021, 7:29 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.