ETV Bharat / city

तिलाड़ी कांड: 92 साल पहले गोलियों से भून दिए गए थे हक हकूक मांगने वाले, 100 से ज्यादा हुए थे शहीद

author img

By

Published : May 30, 2022, 2:03 PM IST

martyrs of tiladi incident
तिलाड़ी कांड

उत्तराखंड में जंगलों से जुड़े अपने हक हकूकों की रक्षा के लिए 92 साल पहले एक आंदोलन हुआ था. लेकिन उस आंदोलन के दमन को याद कर आज भी सिहरन पैदा हो जाती है. 30 मई 1930 को टिहरी रियासत के अधिकारियों ने तिलाड़ी के मैदान में अपने हक हकूकों को लेकर पंचायत कर रहे सैकड़ों ग्रामीणों को गोलियों से भून डाला था. गोलियों से बचने के लिए भागे कई ग्रामीण यमुना नदी में बह गए थे. तिलाड़ी कांड को रवाईं ढंडक और गढ़वाल का जलियांवाला बाग कांड के नाम से भी जाना जाता है.

देहरादून: ब्रिटिश शासन काल में अंग्रेजी हुकूमत ने वन संपदा के दोहन के अधिकार अपने हाथ में ले लिए थे. इसी क्रम में टिहरी रियासत ने वर्ष 1885 में वन बंदोबस्त की प्रक्रिया शुरू की थी. वर्ष 1927 में रवाईं घाटी में भी वन बंदोबस्त लागू किया गया. इसमें ग्रामीणों के जंगलों से जुड़े हकहकूक समाप्त कर दिए गए थे. वन संपदा के प्रयोग पर टैक्स लगाया गया और पारंपरिक त्योहारों पर रोक लगा दी गई. एक गाय, एक भैंस और एक जोड़ी बैल से अधिक मवेशी रखने पर प्रति पशु एक रुपये वार्षिक टैक्स लगाया गया. इससे स्थानीय लोगों में रोष बढ़ने लगा था.

हक हकूक के लिए किया था राड़ी टॉप का घेराव: मार्च 1930 में टिहरी के तत्कालीन राजा नरेंद्र शाह स्वास्थ्य लाभ के लिए यूरोप गए तो रियासत के अधिकारी निरंकुश हो गए थे. जनाक्रोश को दबाने के लिए 20 मई 1930 को डिप्टी कलेक्टर सुरेंद्र दत्त नौटियाल एवं डीएफओ पदमदत्त रतूड़ी ने चार ग्रामीण नेताओं को गिरफ्तार कर टिहरी जेल भेज दिया. ग्रामीणों ने इन अधिकारियों का राड़ी टॉप के निकट घेराव किया.

100 से ज्यादा ग्रामीण हुए थे शहीद: इससे आग बबूला डीएफओ द्वारा चलाई गई गोलियों से दो ग्रामीण शहीद हो गए. घटना के विरोध में ग्रामीण 30 मई को तिलाड़ी सेरा में शांतिपूर्वक पंचायत कर रहे थे. तभी टिहरी रियासत के दीवान चक्रधर जुयाल के नेतृत्व में राजा की सेना ने ग्रामीणों को चारों ओर से घेर कर अंधाधुंध गोलियां चलानी शुरू कर दीं. इसमें 100 से अधिक ग्रामीण शहीद हो गए.

जेल में भी 16 लोग शहीद हुए थे: 194 घायलों को गिरफ्तार कर इनमें से 70 लोगों पर राजद्रोह का मुकदमा चलाया गया. टिहरी जेल में इनमें से 16 लोग शहीद हो गए थे. इस घटना की जानकारी मिलने पर राजा नरेंद्र शाह ने यूरोप से लौटकर रवाईं क्षेत्र का दौरा किया. कुछ समय बाद राजा ने वन बंदोबस्त के तहत लगे कई टैक्स हटा दिए.
ये भी पढ़ें: हरिद्वार में सोमवती अमावस्या का महास्नान, 17 लाख से ज्यादा श्रद्धालु लगा चुके डुबकी

ये हैं तिलाड़ी कांड के शहीद: इस आंदोलन में अजीत सिंह, जून सिंह, तुलसी, किस्या, गौर सिंह, हीरा, हंसरू, नारायण, भगीरथ, हरिराम, गौरू, गुंदर, ज्वाला सिंह, दिला, मदन सिंह, लुदर सिंह, गुलाब सिंह, शेरजंग, ब्रह्मीदत्त, मीनू, हरक सिंह, नामचंद, जीतू, उदयराम, मोल्या आदि लोग शहीद हुए थे. तभी से क्षेत्र के ग्रामीण हर साल तीस मई को तिलाड़ी शहीद दिवस के रूप में मनाते हैं. इस दिन तिलाड़ी शहीद स्मारक पर एकत्र होकर शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित की जाती है. इस साल भी ग्रामीणों ने तिलाड़ी के शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित की है.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.