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दिल्ली दरबार से खाली हाथ लौटे हरीश रावत, कांग्रेस हाईकमान ने थमाया झुनझुना !

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Published : Dec 24, 2021, 4:48 PM IST

Updated : Dec 24, 2021, 7:21 PM IST

हरीश रावत दिल्ली में कांग्रेस हाईकमान से मिले (Harish Rawat meeting with congress high command). मुलाकात के बाद हरीश रावत की प्रेस कॉन्फ्रेंस हुई. उन्होंने तमाम बातें कीं. लेकिन हाईकमान ने हरीश रावत को खाली झुनझुना पकड़ाकर लौटाया है. हरीश रावत ने कहा कि वो चुनाव कैंपेन कमेटी को हेड करेंगे. इस कमेटी के हेड तो हरीश रावत पहले से ही हैं. न हरीश रावत को टिकट बांटने का अधिकार मिला और न ही सीएम फेस घोषित हुए.

Harish Rawats meeting
हरीश रावत की बैठक

देहरादून: दो दिन तक हरीश रावत का ट्वीट चर्चा में रहा तो आज उनकी कांग्रेस हाईकमान के साथ मीटिंग (Harish Rawat meeting with congress high command) की चर्चा है. हरीश रावत कांग्रेस हाईकमान के साथ मीटिंग से निकलकर भले ही मीडिया को विजेता जैसा दिखा रहे थे, लेकिन ऐसा है नहीं. हरीश रावत दिल्ली से सिर्फ झुनझुना लेकर लौट रहे हैं. हाईकमान ने उनकी एक भी बात नहीं मानी है.

चुनाव कैंपेन कमेटी हेड रहेंगे हरीश रावत: हरीश रावत ने मीडिया से कहा कि वो चुनाव कैंपेन कमेटी को हेड (harish rawat congress election committee head) करते रहेंगे. दरअसल हरीश रावत चुनाव कैंपेन कमेटी के पहले से ही अध्यक्ष हैं. इस पद पर उनको किसी ने चुनौती नहीं दी थी. इसकी प्रेस कॉन्फ्रेंस में घोषणा करना समझ से परे है.

कांग्रेस हाईकमान से हुई हरीश रावत की बैठक

क्या है चुनाव कैंपेन कमेटी का काम: चुनाव कैंपेन कमेटी जिसके हरीश रावत अध्यक्ष हैं उसका काम चुनाव का प्रचार कार्य देखना है. चुनाव प्रचार का काम देखने वाले अध्यक्ष का टिकट के दावेदारों के चयन में कोई दखल नहीं होता है. हरीश रावत टिकट बंटवारे में दखल चाहते थे. वो कांग्रेस हाईकमान ने उन्हें नहीं दिया. इस तरह हरीश रावत सिर्फ झुनझुना लेकर लौटे.

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सीएम फेस भी घोषित नहीं किया: हरीश रावत पिछले एक साल से खुद को मुख्यमंत्री का चेहरा घोषित करने की मांग करते आ रहे हैं. कांग्रेस हाईकमान हर बार उनकी मांग को ठुकरा चुका है. इस बार का उनका ट्वीट इसके दर्द को लेकर भी था. हाईकमान ने हरीश रावत को दिल्ली तो बुलाया लेकिन एक बार फिर सीएम फेस घोषित नहीं किया. हरीश रावत खाली हाथ ही लौटे.

विधानमंडल दल की बैठक में घोषित होगा सीएम फेस: इस बार लगता है कांग्रेस हाईकमान ने हरीश रावत को कायदे से समझा दिया है कि वो किसी को भी सीएम फेस घोषित नहीं करेगा. चाहे वो हरीश रावत ही क्यों न हों. शायद हाईकमान द्वारा बैठक में सख्ती से कही गई इस बात का ही असर था कि हरीश रावत मीडिया से बात करते समय इस बात पर जोर दे रहे थे कि कांग्रेस की संस्कृति इस तरह की है. चुनाव के बाद अगर जीते तो विधानमंडल दल सीएम के लिए एक नाम तय करेगा और फिर पार्टी हाईकमान उस पर मुहर लगाएगा.

सब मिलकर लड़ेंगे चुनाव: दरअसल उत्तराखंड कांग्रेस में गुटबाजी इस चरम तक है कि वो एक-दूसरे को फूटी आंख तक नहीं सुहाते. हरीश रावत ने जब हाईकमान और राज्य संगठन को निशाना साधते हुए ट्वीट किया तो बहुत कम कांग्रेस लीडर उनके समर्थन में सामने आए.

इन गुटों में बंटी है कांग्रेस: मूल रूप से उत्तराखंड कांग्रेस तीन गुटों में बंटी है. हरीश रावत गुट में गणेश गोदियाल, प्रदीप टम्टा, यशपाल आर्य, सुरेंद्र अग्रवाल और गोविंद सिंह कुंजवाल आते हैं. कभी हरीश रावत के बहुत खास रहे रणजीत रावत सरकार जाने के बाद पाला बदल चुके हैं.

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प्रीतम सिंह गुट: प्रीतम गुट में रणजीत रावत, निजामुद्दीन और मनीष खंडूड़ी आते हैं. पिछले दिनों तीनों ने नैनीताल जिले में एक साथ कई रैलियां भी की थीं. इसके अलावा किशोर उपाध्याय एकला चलो वाले नेता हैं. इसलिए उनकी उत्तराखंड की राजनीति में ज्यादा चर्चा नहीं होती.

हरीश रावत चाहते थे अपर हैंड: हरीश रावत हमेशा से पार्टी को लीड करना चाहते रहे हैं. वो चाहे सरकार बनने के बाद मुख्यमंत्री बनना हो या फिर विपक्ष में रहते हुए पार्टी से संबंधित निर्णय लेने हों. लेकिन इस बार ऐसा समीकरण बना है कि हरीश रावत खुद को लाचार महसूस कर रहे हैं. उनका ट्वीट उनकी उसी लाचारी को दिखा रहा था.

सब मिलकर करेंगे चुनाव का काम: कांग्रेस हाईकमान ने साफ संदेश दिया कि पार्टी के सभी नेता मिलकर चुनाव जीतने के लिए काम करें. हरीश रावत को ये बात मीडिया के सामने बोलनी पड़ी. हालांकि हाईकमान के साथ इस मुलाकात के बाद उन्होंने राजनीति से संन्यास का इरादा तो छोड़ दिया.

अविनाश पांडे ले रहे हैं टिकट के दावेदारों के इंटरव्यू: दरअसल इस बार राहुल गांधी के निर्देश पर स्क्रीनिंग कमेटी के हेड अविनाश पांडे टिकट के दावेदारों के इंटरव्यू ले रहे हैं. ऐसे में हरीश रावत और उनके जैसे और दिग्गज कांग्रेसी नेताओं की टिकट बंटवारे में नहीं चल पा रही है. अविनाश पांडे टिकट के दावेदारों के इंटरव्यू लेकर पूरी रिपोर्ट हाईकमान को सौंपेंगे. दूसरी तरफ कांग्रेस के उत्तराखंड प्रभारी देवेंद्र यादव भी थोड़ा सख्त नजर आ रहे हैं. इसीलिए हरीश रावत के ट्वीट के बाद अचानक उनके कई समर्थकों ने देवेंद्र यादव पर तमाम आरोप लगा दिए थे. ऊपर से नेता प्रतिपक्ष प्रीतम सिंह की देवेंद्र यादव के साथ अच्छी ट्यूनिंग बन पड़ी है. ये सब हरीश रावत को रास नहीं आ रहा.

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कुल मिलाकर दिल्ली से हरीश रावत खाली हाथ ही लौट रहे हैं. न तो उन्हें टिकट बंटवारे में कोई पावर मिली. न उन्हें सीएम फेस घोषित किया गया. लगता है आने वाले समय में हरीश रावत फिर कोई राजनीतिक बवाल करेंगे. क्योंकि ये हरीश रावत भी जानते हैं कि वो कांग्रेस के दिल्ली दरबार से खाली हाथ लौट रहे हैं और हरीश रावत खाली हाथ रहने वाले नेता हरगिज नहीं हैं.

Last Updated :Dec 24, 2021, 7:21 PM IST
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