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Republic Day Parade: उत्तराखंड की झांकी मानसखंड ने रचा इतिहास, गणतंत्र दिवस की परेड में मिला प्रथम स्थान

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Published : Jan 30, 2023, 5:33 PM IST

दिल्ली में कर्तव्य पथ पर 26 जनवरी यानी गणतंत्र दिवस को आयोजित परेड में उत्तराखंड की झांकी मानसखंड को पहला स्थान मिला है. ऐसा पहली बार हुआ है. मानसखंड थीम को खुद मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने सुझाया था.

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देहरादून: गणतंत्र दिवस यानी 26 जनवरी को दिल्ली में कर्तव्य पथ पर आयोजित हुई परेड में उत्तराखंड ने इतिहास रचा है. परेड में शामिल हुई उत्तराखंड की झांकी मानसखंड को देश में प्रथम स्थान मिला है. उत्तराखंड के लिए ये गर्व की बात है. मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह ने इस सम्मान के लिए प्रदेशवासियों को बधाई दी है. साथ ही कहा कि ये उपलब्धि उत्तराखंड के लिए गौरव का पल है.

  • For the first time on the path of duty, the tableau of Uttarakhand in the Republic Day parade, Manaskhand made history by getting first place.

    This achievement is a proud moment for all of us. Manaskhand has been told in Skanda Purana: Uttarakhand CM Pushkar Singh Dhami pic.twitter.com/nmJfyQqutI

    — ANI UP/Uttarakhand (@ANINewsUP) January 30, 2023 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">

मुख्यमंत्री ने कहा कि पुराणों में गढ़वाल का केदारखंड और कुमाऊं का मानसखंड के रूप में वर्णन किया गया है. स्कंदपुराण में मानसखंड के बारे में बताया गया है. जागेश्वर मंदिर की बहुत धार्मिक मान्यता है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हमेशा अपनी सांस्कृतिक विरासत पर गर्व करने की बात कही है. पीएम मोदी के नेतृत्व में सांस्कृतिक नवजागरण में उत्तराखंड सरकार भी काम कर रही है. मानसखंड मंदिर माला मिशन योजना भी इसी दिशा में महत्वपूर्ण पहल है. “मानसखंड” मंदिर माला मिशन के तहत चारधाम की तर्ज पर कुमाऊं क्षेत्र के पौराणिक मंदिरों को भी विकसित किया जा रहा है. बता दें कि इस बार गणतंत्र दिवस की परेड में उत्तराखंड की झांकी का विषय मुख्यमंत्री पुष्कर धामी ने ही सुझाया था.
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सीएम ने दिल्ली जाकर खुद किया था झांकी का निरीक्षण: झांकी निर्माण की गंभीरता का अंदाजा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि जब दिल्ली कैंट में झांकी का निर्माण किया जा रहा था तो मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने झांकी का निरीक्षण करते हुए झांकी को उत्कृष्ट एवं राज्य की संस्कृति के अनुरूप निर्माण के लिये सूचना विभाग के संयुक्त निदेशक/नोडल अधिकारी के एस चौहान को निर्देश दिए थे और झांकी के कलाकारों से मिलकर उनको शुभकामनाएं भी दी थी.

कलाकारों की मेहनत: झांकी के निर्माण में कलाकार दिन रात लगे हुए थे. झांकी को बनाने का काम 31 दिसंबर को शुरू किया गया था. कलाकार सुबह चार बजे से रात 12 बजे तक काम करते थे. साथ ही झांकी में सम्मिलित कलाकारों को टीम लीडर के साथ कड़ाके की सर्दी में कर्तव्य पथ रिहर्सल के लिए 4 बजे जाना पड़ता है.

ऐसे होता है झांकी का अंतिम चयन: सितंबर महीने में भारत सरकार की तरफ से सभी राज्यों, केंद्र शासित प्रदेशों और मंत्रालयों से प्रस्ताव मांगे जाते हैं. अक्टूबर तक राज्य सरकारें विषय का चयन कर प्रस्ताव भारत सरकार को भेजती हैं. उसके बाद भारत सरकार प्रस्तुतीकरण के किये आमंत्रित करती है. पहली बार की मीटिंग में विषय के आधार चार्ट पेपर में डिजाइन तैयार कर प्रस्तुत करना होता है. आवश्यक संशोधन करते हुए तीन बैठकें डिजाइन निर्माण के सन्दर्भ में होती हैं, जिन प्रदेशों के डिजाइन कमेटी को सही नहीं लगते हैं, उनको शार्टलिस्ट कर देती है. उसके बाद झांकी का मॉडल बनाया जाता है. मॉडल के बाद थीम सॉंग 50 सेकंड का जो उस प्रदेश की संस्कृति को प्रदर्शित करता हो तैयार किया जाता है. इस प्रकार जब सभी स्तर से भारत सरकार की विशेषज्ञ समिति संतुष्ट हो जाती है तब झांकी का अंतिम चयन किया जाता है.
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मानसखंड झांकी का खासियत: गढ़वाल की चारधाम यात्रा की भांति सरकार कुमाऊं में मंदिर माला मिशन के अंतर्गत पर्यटन बढ़ाने का प्रयास कर रही है. इसी के दृष्टिगत प्रसिद्ध पौराणिक जागेश्वर धाम को दिखाया गया था. झांकी में उत्तराखंड का प्रसिद्ध कॉर्बेट नेशनल पार्क, बारहसिंगा, उत्तराखंड का राज्य पशु कस्तूरी मृग, गोरल और देश का राष्ट्रीय पक्षी मोर जो उधमसिंह नगर में पाया जाता है शामिल थे. उत्तराखंड के प्रसिद्ध पक्षी घुघुती, तीतर, चकोर, मोनाल आदि और उत्तराखंड की प्रसिद्ध ऐपन कला को प्रदर्शित किया गया था. झांकी के आगे और पीछे उत्तराखंड का नाम भी ऐपन कला से लिखा गया था. जागेश्वर धाम के मंदिर घनघोर देवदार के वृक्षों के बीच में है. इसलिए झांकी में मंदिर के आगे और पीछे घनघोर देवदार के वृक्षों का सीन तैयार किया गया था.

2025 तक उत्तराखंड बनेगा देश का सर्वोच्च राज्य: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि यह दशक उत्तराखंड का है. मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने 2025 तक उत्तराखंड को देश का सर्वश्रेष्ठ राज्य बनाने का लक्ष्य रखा है. इसी दृष्टि से गणतंत्र दिवस परेड में उत्तराखंड की झांकी का देश में प्रथम स्थान पर आना उनके विजन को दर्शाता है.

मंदिर माला मिशन से वाकिफ होंगे देश विदेश के पर्यटक: मानसखंड खंड की झांकी को देश में प्रथम स्थान प्राप्त होने से कुमाऊं क्षेत्र में रोजगार के अवसर बढ़ेंगे, क्योंकि देश विदेश के पर्यटकों को मंदिर माला मिशन की जानकारी होने से वह कुमाऊं की ओर रुख करेंगे. इसलिए गढ़वाल मंडल के साथ अब कुमाऊं मंडल में भी धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा.
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झांकी में इन कलाकारों ने निभाई थी अहम भूमिका: झांकी में उत्तराखंड की कला और संस्कृति को प्रदर्शित करने के लिए उत्तराखंड का प्रसिद्ध छोलिया नृत्य करने में पिथौरागढ़ के भीम राम के दल के 16 कलाकारों का उत्कृष्ट प्रदर्शन रहा. उत्तराखंड को देवभूमि के साथ ही योग भूमि भी कहा जाता है. झांकी के ऊपर बारू सिंह और अनिल सिंह ने योग करते हुए अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई.

झांकी का सांग: झांकी का थीम सांग "जय हो कुमाऊं, जय हो गड़वाला" को पिथौरागढ़ के प्रसिद्ध जनकवि जनार्दन उप्रेती ने लिखा था और उसको सौरभ मैठाणी और साथियों ने सुर दिया था. इस थीम गीत के निर्माता पहाड़ी दगड़िया, देहरादून से हैं. बता दें कि सोशल मीडिया पर भी करोड़ों लोग उत्तराखंड की झांकी मानसखंड को देख चुके हैं.

क्या है मानसखंड मन्दिर माला मिशन: मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की पहल पर केदारनाथ और बदरीनाथ की भांति ही कुमाऊं के प्रमुख पौराणिक महत्व के मंदिर क्षेत्रों में अवस्थापनात्मक विकास के लिए मानसखंड मन्दिर माला मिशन योजना पर काम किया जा रहा है. इन्हें बेहतर सड़कों से जोड़ा जाएगा. इसके साथ ही इस योजना के ज़रिए गढ़वाल और कुमाऊं के बीच सड़क कनेक्टिविटी को भी सुधारा जाएगा, ताकि उत्तराखंड में गढ़वाल और कुमाऊं के बीच यातायात सुगम हो.

मानसखंड कॉरिडोर को लेकर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का कहना है कि सरकार विभिन्न क्षेत्रों में धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए मानसखंड कॉरिडोर पर काम कर रही है. सरकार का प्रयास है कि विभिन्न धार्मिक सर्किटों का विकास किया जाए. उन्होंने कहा कि इसके तहत प्रदेश के विभिन्न क्षेत्रों में आने वाले मुख्य मंदिरों को आपस में जोड़ेंगे एवं सर्किट के रूप में विकसित करके धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा दिया जाएगा.

इन प्रमुख मंदिरों का होगा विकास: मुख्यमंत्री धामी के विजन के अनुसार पहले चरण में 2 दर्जन से अधिक मंदिरों को इसमें शामिल किया गया है. इनमें जागेश्वर महादेव, चितई गोल्ज्यू मंदिर, सूर्यदेव मंदिर, नंदादेवी मंदिर, कसारदेवी मंदिर, झांकर सैम मंदिर पाताल भुवनेश्वर, हाटकालिका मंदिर, मोस्टमाणु मंदिर, बेरीनाग मंदिर, मलेनाथ मंदिर, थालकेदार मंदिर, बागनाथ महादेव, बैजनाथ मंदिर, कोट भ्रामरी मंदिर, पाताल रुद्रेश्वर गुफा, गोल्ज्यू मंदिर, निकट गोरलचौड़ मैदान, पूर्णागिरि मंदिर, वराही देवी मंदिर देवीधुरा, रीठा मीठा साहिब, नैनादेवी मंदिर, गर्जियादेवी मंदिर, कैंचीधाम, चैती (बाल सुंदरी) मंदिर, अटरिया देवी मंदिर व नानकमत्ता साहिब प्रमुख रूप से शामिल किए गए हैं.

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