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गोवर्धन पूजा और अन्नकूट पर सूर्यग्रहण का प्रभाव, जानिए कब व कैसे होगी पूजा

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Published : Oct 25, 2022, 9:40 AM IST

25 अक्टूबर को सूर्यग्रहण के कारण मंदिरों में पूजा पाठ वर्जित रहेगा और इस दिन लगने वाला 56 भोग भी नहीं लगेगा. इसलिए अब गोवर्धन पूजा 26 अक्टूबर को मनायी जाएगी.

Govardhan Puja Annakoot Puja Date and Muhurt Surya Grahan Effect
गोवर्धन पूजा और सूर्यग्रहण

आमतौर पर परंपरा यही रही है कि दीपावली के अगले दिन भगवान गोवर्धन की पूजा बड़ धूमधाम व रीति रिवाज के साथ की जाती है, लेकिन अबकी बार ऐसा नहीं होने जा रहा है दिवाली 24 अक्‍टूबर को मनायी है. इसके हिसाब से 25 अक्टूबर को गोवर्धन पूजा मनायी जानी चाहिए, लेकिन 25 अक्‍टूबर को सूर्य ग्रहण लगने की वज‍ह से अब गोवर्धन पूजा 26 अक्टूबर को मनायी जाएगी, क्योंकि 25 अक्टूबर को सूर्यग्रहण के कारण मंदिरों में पूजा पाठ वर्जित रहेगा और इस दिन लगने वाला 56 भोग भी नहीं लगेगा.

हमारी धार्मिक मान्यताओं व शास्त्रों के मुताबिक कार्तिक माह में अमावस्या के दूसरे दिन प्रतिपदा को गोवर्धन पूजा का महत्व है और इस देश भर के साथ साथ ब्रजमंडल में गोवर्धन पूजा खास तौर पर मनायी जाती है. लोग गोवर्धन पूजा के दिन गोवर्धन परिक्रम व 56 भोग के प्रसाद का भोग लगाने का भी बड़ा आयोजन करते हैं.

Govardhan Puja Annakoot Puja
गोवर्धन पूजा के दिन 56 भोग

गोवर्धन पूजा को इसे देश के कुछ हिस्सों में अन्नकूट के नाम से भी मनाया जाता है. लेकिन इस साल सूर्यग्रहण के कारण यह त्योहार भी बुधवार को मनाया जाएगा. गोवर्धन पूजा के दिन भगवान कृष्ण, गोवर्धन पर्वत और गायों की पूजा की जाती है. गोवर्धन पूजा के दिन 56 या 108 तरह के पकवानों का श्रीकृष्ण को भोग लगाना शुभ माना जाता है. इन्हीं इन पकवानों को 'अन्नकूट' कहते हैं. यह भोग अब बुधवार को लगेगा.

गोवर्धन पूजा का शुभ मुहूर्त (Govardhan Puja Shubh Muhurat)

पहले आपको बता दें कि कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि पर गोवर्धन पूजा की जाती है. इस साल प्रतिपदा 25 अक्टूबर को शाम 4 बजकर 18 मिनट पर शुरू होने वाली है और 26 अक्टूबर को दोपहर 2 बजकर 42 मिनट तक चलेगी. ऐसी स्थिति में गोवर्धन पूजा के लिए 26 अक्टूबर को पूजा का शुभ मुहूर्त सुबह 6 बजकर 29 मिनट से लेकर सुबह 8 बजकर 43 मिनट तक रहेगा.

Govardhan Puja Annakoot Puja Date and Muhurt
गोवर्धन पूजा

ऐसे करें गोवर्धन पूजा की तैयारी

  • सुबह जल्दी उठकर स्नान करें.
  • पुरुष पूजा सामग्री एकत्रित करके व अन्य तैयारियां करें.
  • महिलाएं घर की रसोई में ताजे पकवान तैयार किए जाते हैं.
  • घर के आंगन में या दरवाजे पर अथवा खेत में गोबर से भगवान गोवर्धन की प्रतिमा तैयार की जाती है.
  • इसके साथ में गाय, भैंस, खेत खलियान, बैल, खेत के औजार, दूध दही एवम घी वाली चीजों को भी सम्मिलित किया जाता है.
  • भगवान के नैवेद्य चढ़ाएं .
  • इसके उपरांत भगवान कृष्ण व गोवर्धन भगवान की कथा सुनाएं.
  • भगवान कृष्ण व गोवर्धन भगवान की आरती करें.
  • पूजन खत्म होने के बाद आसपास में प्रसाद का वितरण करें.
  • इसके पश्चात् पूरे परिवार के साथ प्रसाद ग्रहण करते हुए भोजन करें.
  • गोवर्धन पूजा के जरिये खेती से जुड़ी सभी चीजों एवम प्राकृतिक संसाधनों की पूजा करें.
  • गोवर्धन पूजा के जरिए प्रकृति के महत्व व संरक्षण का संदेश देने की कोशिश करें और लोगों को प्रेरित करें.

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ऐसे होती है गोवर्धन पूजा (Govardhan Puja)
गोवर्धन पूजा के दिन लोग गाय के गोबर से गोवर्धन पर्वत बनाते हैं और उसकी आराधना करते हैं. पूजा करने के अलावा लोग इस दिन 56 या 108 चीजों का भोग भी लगाते हैं. इस दिन बने इस खास भोग को भगवान कृष्ण जी और गोवर्धन पर्वत को अर्पित किया करते हैं. इस दौरान भगवान कृष्ण जी की मूर्ति का अभिषेक करते हैं. फिर उनको दूध-दही से स्नान कराते हैं और उन्हें नए कपड़े अर्पित करके भोग लगाने के लिए आमंत्रित किया जाता है.

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गोवर्धन पर्वत परिक्रमा (Govardhan Parvat Parikrama)
गोवर्धन पूजा का मथुरा, वृंदावन व गोकुल के साथ साथ पूरे ब्रज क्षेत्र के लोगों में गोवर्धन पर्वत की परिक्रमा का क्रेज है. लोग अन्य दिनों के साथ इस दिन खास तौर पर गोवर्धन पर्वत की परिक्रमा करते हैं. हिन्दू धर्म में पूजा के साथ साथ परिक्रमा का बहुत अधिक महत्व है. इसलिए जिसके पास समय होता है वह गोवर्धन पर्वत की परिक्रमा करके आज के दिन की पूजा को संपन्न करते हैं.

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