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Woman Cab Driver: पिता ने दिया Motivation, तो बेटी ने थामा स्टेयरिंग, छोटी ऑल्टो में पूरे हो रहे इमराना के बड़े सपने

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Published : Apr 26, 2023, 6:21 PM IST

Updated : Apr 27, 2023, 1:15 PM IST

आज की महिलाएं घरों की दहलीज तक सीमित नहीं हैं. आज महिलाएं समाज के बंधनों को तोड़कर नए मुकाम हासिल कर रही हैं. देहरादून की रहने वाली इमराना भी ऐसी ही महिलाओं में से एक हैं. इमराना एक कैब ड्राइवर हैं, जो पिछले तीन-चार सालों से कैब ड्राइव कर रही है. इमराना इससे ही अपने परिवार का भरण पोषण करती हैं.

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छोटी ऑल्टो में पूरे हो रहे इमराना के बड़े सपने

Woman Cab Driver: पिता ने दी Motivation, तो बेटी ने थामा स्टेयरिंग

देहरादून: राजधानी देहरादून और उसके आसपास के इलाकों में अगर आप ओला कैब का इस्तेमाल करते हैं, तो शायद आप सिल्वर कलर की ऑल्टो और इमराना को आसानी से पहचान जाएंगे. इस सिल्वर कलर की छोटी सी ऑल्टो में बड़े सपने लिए इमराना लोगों के लिए मिशाल पेश कर रही हैं. गाड़ी चलाना कभी इमराना का शौक था, जिसे अब उन्होंने पैसे कमाने का जरिया बनाया है. इससे इमराना ने आत्मनिर्भरता की ओर कदम बढ़ाया है. आज इमराना गाड़ी चलाकर अपने परिवार का भरण-पोषण कर रही हैं. पुरुष प्रधान व्यवसाय में बेझिझक काम करते हुए इमराना ने आज महिला सशक्तिकरण की मिसाल पेश की है.

गाड़ी चलाने का था शौक, अब परिवार को कर रहीं सपोर्ट: राजधानी देहरादून के आईएसबीटी क्षेत्र में रहने वाली इमराना चार भाई-बहनों में दूसरे नंबर की बहन हैं. कुछ समय पहले इमराना की शादी हुई. इस वक्त उनका एक छोटा बेटा है. इमराना फिलहाल अपने पिता के घर पर हैं. इमराना टैक्सी सर्विस प्रोवाइडर ओला के लिए शहर में गाड़ी चलाती हैं. इमराना बताती हैं कि उन्हें गाड़ी चलाने का शौक है. भाई को गाड़ी चलाता देख उन्हें गाड़ी चलाने की इच्छा हुई. उनके भाई के पास अलग-अलग तरह की गाड़ियां थी. वह गाड़ियों को देखकर मन ही मन इन्हें चलाने के बारे में सोचा करती थी. उन्होंने बताया गाड़ी सिखाने में उनके पिता का सबसे बड़ा योगदान रहा.
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इमराना बताती हैं कि पिता ने हमेशा उन्हें आगे बढ़ने की प्रेरणा दी. उन्होंने ही सिखाया कोई भी काम छोटा या बड़ा नहीं होता है. उन्होंने बताया जो काम पुरुष कर सकते हैं वह महिलाएं भी कर सकती हैं, जिसके कारण उन्होंने अपने गाड़ी चलाने के शौक को ही अपना रोजगार बनाया. इमराना पिछले 4 साल से टैक्सी चलाने का काम कर रही हैं. वो सुबह 5 बजे घर से निकलती हैं और लगभग दोपहर के 12 बजे घर में दाखिल होती हैं. इसके बाद फिर शाम को 5 बजे से रात को 11 या 12 बजे तक इमराना टैक्सी चलाती हैं.

कई बार महिलाएं ही कैंसिल कर देती हैं बुकिंग: इमराना बताती हैं जब उन्होंने काम शुरू किया तब आसपास के लोगों का रवैया बहुत ही अजीब था. तब लोगों को ये लगता था कि भला यह काम एक महिला कैसे कर सकती है. इसके बाद भी इमराना ने लोगों की परवाह किए बिना बेझिझक ये काम शुरू किया. इमराना बताती हैं जब वो राजधानी देहरादून की सड़कों या दिल्ली-सहारनपुर गाड़ी लेकर जाती हैं तो आसपास सभी ड्राइवर देखने लगते हैं, लेकिन इसके बाद भी उन्होंने कभी खुद को अकेला नहीं समझा. उन्होंने बताया वो आज भी रात के अंधेरे में अपने कस्टमर छोड़ने जाती हैं. इमराना कहती हैं कई बार जब उन्हे ऐसा लगता है कि किसी गलत व्यक्ति ने गाड़ी बुक की है तो वो बुकिंग कैंसिल कर देती हैं.

बातचीत में इमराना ने एक हैरान करने वाली बात बताई. इमराना ने बताया कि, कई बार जब कोई महिला टैक्सी बुक करती है और वो उनके पास पहुंचती हैं तो वो महिला ड्राइवर देख बुकिंग कैंसिल कर देती हैं. उन्हें लगता है एक महिला भला कैसे सही ड्राइव कर सकती है. उन्हें दुर्घटना का डर सताता है, शायद वो इसलिए बुकिंग कैंसिल कर देती हैं.
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भक्तों को करवाएंगी चारधाम यात्रा: इमराना कहती हैं कि ऐसा नहीं है कि उन्हें सिर्फ गाड़ी ही चलाने शौक है. इससे पहले उन्होंने एक बुटीक खोला था, लेकिन वो चल नहीं पाया. अब वह टैक्सी चला रही हैं, जिससे वे काफी खुश हैं. इस काम से न केवल वह अपने परिवार को सपोर्ट कर पा रही हैं बल्कि खुद के लिए भी पैसे जोड़ रही हैं. वह फिलहाल दिल्ली, सहारनपुर, मेरठ, गाजियाबाद, मुरादाबाद, नैनीताल, कोटद्वार, मसूरी, चकराता जैसी जगहों पर सवारियों को छोड़ती और लाती हैं. इमराना ने चारधाम यात्रा पर जाने की भी तमन्ना जाहिर की. उन्होंने कहा उनकी दिली तमन्ना है कि आने वाले समय में वो लोगों को चारधाम यात्रा पर लेकर जाएं. उन्होंने कहा उनको पहाड़ों पर गाड़ी चलाने में कोई दिक्कत नहीं आती. उन्हें खुद पर पूरा भरोसा है. इमराना कहती हैं कि जब वो मसूरी, चकराता, नैनीताल की सड़कों पर गाड़ी दौड़ा सकती हैं तो भला चमोली, रुद्रप्रयाग और उत्तरकाशी में उन्हें क्या समस्या हो सकती है.
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पिता बोले- बेटी पर गर्व है: इमराना के पिता शकील अहमद भी बेटी के काम से काफी खुश हैं. उन्हें लगता ही नहीं कि उनकी बेटी गाड़ी चलाती है. उन्होंने कभी भी दो बेटे और दो बेटियों में फर्क नहीं किया. सभी को एक जैसा सपोर्ट किया है. शकील अहमद ने बताया कि उनके दो बेटे भी बेहतर काम कर रहे हैं. अब बेटी भी अगर इस काम को कर रही है तो इससे खुशी की बात क्या हो सकती है. शकील कहते हैं, हम मुस्लिम समाज से आते हैं, हमारे समाज में आज भी बच्चों को आगे बढ़ने नहीं दिया जाता, लेकिन उनकी सोच कुछ अलग है.

इमराना के बारे में बात करते हुए शकील कहते हैं, मुझे यकीन नहीं होता कि यह वही इमराना है जो कुछ समय पहले साइकिल चलाने में डरती थी, लेकिन आज वो आसानी से गाड़ी चला लेती है. इमराना के पिता शकील ने अपने समाज और आम लोगों को भी संदेश दिया. उन्होंने कहा कि सभी को अपने बच्चों की ख्वाहिशों को पूरा करने के लिए हरसंभव प्रयास करने चाहिएं.

Last Updated :Apr 27, 2023, 1:15 PM IST
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