ETV Bharat / state

गांधी जयंती : मालवीय जी को लिखे पत्र में गांधी जी ने काशी हिंदू विश्वविद्यालय को बताया था तीर्थ

author img

By

Published : Oct 1, 2021, 5:36 PM IST

Updated : Oct 1, 2021, 10:10 PM IST

महात्मा गांधी की 152वीं जयंती : मालवीय जी को लिखे पत्र में गांधी ने काशी हिंदू विश्वविद्यालय को बताया था तीर्थ
महात्मा गांधी की 152वीं जयंती : मालवीय जी को लिखे पत्र में गांधी ने काशी हिंदू विश्वविद्यालय को बताया था तीर्थ

महात्मा गांधी का काशी हिंदू विश्वविद्यालय से इतना लगाव था कि एक बार उन्होंने यह तक कह दिया कि यहां आना उनके लिए एक तीर्थ के समान है. वहीं, मालवीय और गांधी एक दूसरे के प्रति गहरा लगाव रखते थे. जब भी दोनों विभूतियों को किसी प्रकार की समस्या होती, वह एक दूसरे को पत्र लिखकर वार्ता करते थे.

वाराणसी : आज पूरा देश महात्मा गांधी की 152वीं जयंती मनाने की तैयारी कर रहा है. गांधी जी का जन्म 2 अक्टूबर 1861 को गुजरात के पोरबंदर जिले में हुआ था. उनकी जयंती पर बापू के विभिन्न स्मृतियों को पूरा देश याद कर रहा है. ऐसे में ईटीवी भारत आपको बताएगा कि महात्मा गांधी को बनारस से कितना लगाव था. बनारस के काशी हिंदू विश्वविद्यालय में महात्मा गांधी अपने जीवनकाल में कई बाए आए.

महात्मा गांधी की 152वीं जयंती : मालवीय जी को लिखे पत्र में गांधी ने काशी हिंदू विश्वविद्यालय को बताया था तीर्थ

महात्मा गांधी का बनारस से विशेष लगाव था. यही वजह है कि वह कई बार बनारस आए. सबसे पहले 1903 में, दूसरी बार 3 फरवरी 1916 बसंत पंचमी के दिन, तीसरी बार 20 फरवरी 1920 को वाराणसी आए. इसी बार 21 फरवरी 1920 को बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के छात्रों को संबोधित किया. इसी दौरान उन्होंने 30 मई 1920 को हिंदू स्कूल में कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक में भाग लिया. अंतिम बार काशी हिंदू विश्वविद्यालय के रजत समारोह में 21 जनवरी 1942 को महात्मा गांधी शामिल हुए थे.

महात्मा गांधी की 152वीं जयंती : मालवीय जी को लिखे पत्र में गांधी ने काशी हिंदू विश्वविद्यालय को बताया था तीर्थ
महात्मा गांधी की 152वीं जयंती : मालवीय जी को लिखे पत्र में गांधी ने काशी हिंदू विश्वविद्यालय को बताया था तीर्थ

बीएचयू के भारत कला भवन म्यूजियम में महामना पंडित मदन मोहन मालवीय और महात्मा गांधी से जुड़ी बहुत सी वस्तुएं रखीं हैं. स्थापना दिवस की फोटो, गांधी और मालवीय की पुस्तक, उनकी पोशाक, उनका साफा, उनके खड़ाउ और उनका चश्मा आदि भी यहां रखा है. साथ ही महामना को मिला भारत का सर्वोच्च पुरस्कार भारत रत्न भी यहीं रखा हुआ है. इसे देखने के लिए देश ही नहीं विदेशों से भी लोग आते हैं. महात्मा गांधी का गांधी चबूतरा जहां 21 जनवरी 1942 को महात्मा गांधी ने गीता पाठ किया था, आज भी वह संरक्षित और सुरक्षित है.

महात्मा गांधी की 152वीं जयंती : मालवीय जी को लिखे पत्र में गांधी ने काशी हिंदू विश्वविद्यालय को बताया था तीर्थ
महात्मा गांधी की 152वीं जयंती : मालवीय जी को लिखे पत्र में गांधी ने काशी हिंदू विश्वविद्यालय को बताया था तीर्थ

यह भी पढ़ें : महामना के मानस पुत्रों ने आईआईटी बीएचयू को दिया 1.3 मिलियन डॉलर का अनुदान

काशी हिंदू विश्वविद्यालय आना तीर्थ के समान

महात्मा गांधी का काशी हिंदू विश्वविद्यालय से इतना लगाव था कि एक बार उन्होंने यह तक कह दिया कि यहां आना उनके लिए एक तीर्थ के समान है. वहीं, मालवीय और गांधी एक दूसरे के प्रति गहरा लगाव रखते थे. जब भी दोनों विभूतियों को किसी प्रकार की समस्या होती, वह एक दूसरे को पत्र लिखकर वार्ता करते थे. इन्हीं पत्रों से यह भी उजागर हुआ कि गांधी विश्वविद्यालय को तीर्थ मानते थे.

महात्मा गांधी की 152वीं जयंती : मालवीय जी को लिखे पत्र में गांधी ने काशी हिंदू विश्वविद्यालय को बताया था तीर्थ
महात्मा गांधी की 152वीं जयंती : मालवीय जी को लिखे पत्र में गांधी ने काशी हिंदू विश्वविद्यालय को बताया था तीर्थ

प्रो. कौशल किशोर मिश्र बताते हैं कि काशी हिंदू विश्वविद्यालय में महात्मा गांधी ने अपने वक्तव्य में स्वतंत्रता आंदोलन में राष्ट्रीय एकीकरण की बात रखी. सामाजिक एकता पर बल दिया. हिंदुओं के एकीकरण की बात की. उनका कहना है कि स्वतंत्रता के समय यदि पंडित मदन मोहन मालवीय रहते तो भारत का विभाजन न होता. बताया कि गांधी के आदर्श, गांधी के व्यवहारिक पहलू, गांधी की जीवन पद्धति व गांधी के क्रियाकलाप पर महामना का स्पष्ट प्रभाव देखने को मिलता है.

महात्मा गांधी की 152वीं जयंती : मालवीय जी को लिखे पत्र में गांधी ने काशी हिंदू विश्वविद्यालय को बताया था तीर्थ
महात्मा गांधी की 152वीं जयंती : मालवीय जी को लिखे पत्र में गांधी ने काशी हिंदू विश्वविद्यालय को बताया था तीर्थ

प्रो. कौशल किशोर मिश्र बताते हैं कि महात्मा गांधी कई बार काशी हिंदू विश्वविद्यालय आए. सबसे पहले वह 3 फरवरी 1916 को विश्वविद्यालय के स्थापना दिवस पर आए. बड़े-बड़े राजा महाराजाओं और नेताओं ने इस दौरान यहां व्याख्यान दिया. उसमें महामना ने गांधी जी को भी आमंत्रण किया और उन्होंने भी अपना व्याख्यान दिया. गांधी जी ने उस समय देश में विश्वविद्यालयों की क्या भूमिका होनी चाहिए, छात्रों और शिक्षकों की क्या भूमिका हो, इस पर अपनी बात रखी थी.

महात्मा गांधी की 152वीं जयंती : मालवीय जी को लिखे पत्र में गांधी ने काशी हिंदू विश्वविद्यालय को बताया था तीर्थ
महात्मा गांधी की 152वीं जयंती : मालवीय जी को लिखे पत्र में गांधी ने काशी हिंदू विश्वविद्यालय को बताया था तीर्थ

जब गांधी और महामना में हुआ मतभेद

गांधी और महामना एक दूसरे को बहुत ही सम्मान देते थे. बहुत ही स्नेह था दोनों में. हालांकि एक समय ऐसा भी आया जब दोनों में कुछ मतभेद हो गए. असहयोग आंदोलन पूरे देश में चल रहा था. ऐसे में महात्मा गांधी चाहते थे कि काशी हिंदू विश्वविद्यालय के छात्र, शिक्षक, असहयोग आंदोलन में अपनी भूमिका निभाएं. पंडित मदन मोहन मालवीय चाहते थे कि जो विद्यार्थी हैं, वह अपना पढ़ने-लिखने में ध्यान लगाएं ताकि जब अपना देश स्वतंत्र हो तो यहीं के पढ़े छात्र देश का नेतृत्व कर सकें. इसी के बाद महात्मा गांधी ने काशी विद्यापीठ की स्थापना की.

Last Updated :Oct 1, 2021, 10:10 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.