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सावन में सड़कों पर नहीं होगी भक्तों की भीड़, श्री काशी विश्वनाथ कॉरिडोर हो रहा तैयार

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Published : Jul 21, 2021, 4:08 PM IST

ऐसा दिखेगा श्री काशी विश्वनाथ कॉरिडोर
ऐसा दिखेगा श्री काशी विश्वनाथ कॉरिडोर

जैसे-जैसे सावन नजदीक आता जा रहा है वैसे-वैसे विश्वनाथ मंदिर में उमड़ने वाली श्रद्धालुओं की भीड़ के लिए तैयारी की जा रही है. इस बार सावन में बाबा भोलेनाथ के मंदिर का भव्य स्वरूप देखने को मिलेगा. पीएम मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट श्री काशी विश्वनाथ कॉरिडोर का काम लगभग 55% से ज्यादा पूर्णं हो चुका है.

वाराणसी: बाबा भोलेनाथ का पवित्र महीना सावन 25 जुलाई से शुरू हो रहा है. इस बार सरकार की तरफ से कांवड़ यात्रा पर रोक लगाए जाने के बाद काशी में केसरिया भक्तों का रेला तो नहीं दिखेगा लेकिन, बाबा श्री काशी विश्वनाथ के दर्शन के लिए द्वार पूरी तरह से खुले रहेंगे. इस सावन में बाबा भोलेनाथ के मंदिर का वह भव्य स्वरूप भी भक्तों को देखने को मिलेगा, जिसे लेकर सरकार भी जबरदस्त तरीके से प्लानिंग कर रही है.

पीएम मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट श्री काशी विश्वनाथ कॉरिडोर का काम लगभग 55% से ज्यादा पूर्णं हो चुका है. इस बार सावन पर मंदिर के उस गुलाबी परिसर की भव्यता भक्तों को देखने को मिलेगी, जिसे लेकर काम जोर-शोर से चल रहा है. इतना ही नहीं इस बार सड़कों पर लगने वाली भक्तों की लंबी-लंबी कतार भी मंदिर परिसर के अंदर ही देखने को मिलेगी, क्योंकि 55,000 स्क्वायर फीट में सामने आया मंदिर परिसर का भव्य रूप इस बार सावन पर सड़कों पर होने वाली भीड़ के लोड को कम करने के लिए बड़ा मददगार साबित होने वाला है. तो चलिए सावन से पहले ईटीवी भारत आपको लेकर चलता है निर्माणाधीन विश्वनाथ कॉरिडोर परिसर के अंदर और दिखाता है कि अब तक कितना काम पूरा हुआ है और विश्वनाथ धाम वर्तमान में किस रूप में दिखाई दे रहा है.

श्री काशी विश्वनाथ कॉरिडोर

55 परसेंट से ज्यादा काम पूर्णं

दरअसल श्री काशी विश्वनाथ कॉरिडोर को लेकर खुद प्रधानमंत्री कार्यालय और मुख्यमंत्री कार्यालय से पैनी नजर है. सीएम योगी महीने में कम से कम 3 बार वाराणसी का दौरा करते हैं और हर बार कॉरिडोर के काम का निरीक्षण करने जरूर जाते हैं. इस बार सावन के दौरान कॉरिडोर की भव्यता को भक्तों के बीच ले जाने के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पहले ही निर्देश दे दिया था. यही वजह है कि अहमदाबाद से तराश कर लाए जा रहे लाल पत्थरों के संकुल का एक रूप कॉरिडोर में दिखाई देने लगा है. मंदिर चौक से लेकर विश्वनाथ मंदिर गर्भ गृह के आसपास लाल रंग के पत्थरों का संकुल तैयार हो चुका है. मंदिर चौक से लेकर गर्भ गृह परिसर में प्रवेश करते ही लाल पत्थरों का भव्य संकुल भक्तों को देखने को मिलेगा. यहां पर तैयार होने वाले 24 भवनों की फिनिशिंग का काम भी अब शुरू हो गया है. मंदिर के मुख्य कार्यपालक अधिकारी सुनील कुमार वर्मा ने बताया कि स्ट्रक्चर का 55% से ज्यादा काम पूरा हो चुका है. अब सभी स्ट्रक्चर के तैयार होने के बाद इनकी फर्निशिंग का काम शुरू हुआ है. जिसे आने वाले 1 महीने के अंदर पूरा कर लिया जाएगा.

मकराना से चमक रही दीवारें और जमीन

अहमदाबाद और गांधीनगर के अलावा मिर्जापुर के लाल पत्थरों से तैयार संकुल की भव्यता एक नए रूप में सामने लाने की तैयारी की गई है. इसके अलावा जमीन पर मकराना मार्बल भी लगाया जा रहा है. यहां तक कि लाल पत्थरों के संकुल की दीवारों को भी मकराना मार्बल से कवर किया जा रहा है. लाल पत्थरों की नक्काशी के साथ इसकी डिजाइन अपने आप में ही मंदिर की भव्यता में चार चांद लगाने के लिए काफी है. सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि कॉरिडोर के निर्माण के दौरान 50 से ज्यादा जो मंदिर सामने आए हैं उनके संरक्षण की कार्रवाई भी अब शुरू हो गई है. मंदिरों को संरक्षित करते हुए इन्हें इस परिसर में दोबारा स्थापित करने की प्लानिंग भी की जा रही है, जो मंदिर क्षतिग्रस्त हुए हैं, उनकी मरम्मत का काम भी शुरू हो चुका है.

नक्काशीदार द्वार तैयार

मंदिर के मुख्य कार्यपालक अधिकारी का कहना है कि सावन पर आने वाले भक्तों को किसी तरह की कोई दिक्कत न हो और उनकी सुरक्षा भी हो इसका ध्यान रखा जा रहा है. जैसे ही गंगा के रास्ते आप मंदिर चौक में प्रवेश करेंगे उस जगह एक भव्य द्वार भी तैयार हो रहा है. मंदिर के गर्भ गृह में प्रवेश करने के लिए भी लाल पत्थरों से निर्मित सुंदर और नक्काशी दार द्वार लगभग तैयार हो चुका है. जिससे होते हुए भक्त सीधे गर्भगृह तक पहुंचेंगे.

2019 में हुआ था शिलान्यास

बता दें कि श्री काशी विश्वनाथ कॉरिडोर का शिलान्यास प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 8 मार्च 2019 को किया था. शिलान्यास के बाद इस कॉरिडोर का काम पहले मार्च 2020 में पूरा होना था लेकिन, कोविड-19 की पहली लहर की वजह से इसको दिसंबर 2020 तक पूरा करने का लक्ष्य था, लेकिन संक्रमण की रफ्तार तेज होने की वजह से काम पूरा नहीं हो सका. जिसके बाद अगस्त 2021 तक इस काम को पूरा करने का लक्ष्य रखा गया था, लेकिन कोविड-19 की दूसरी लहर की वजह से काम की रफ्तार धीमी हुई और कई लेबर संक्रमित होने के बाद काम छोड़कर चले गए. जिसकी वजह से काम धीमी गति से आगे बढ़ता रहा और अब 15 नवंबर 2021 तक इस काम को पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है.

24 भवन संग भक्तों के लिए है बहुत कुछ

700 करोड रुपए की लागत से तैयार होने वाले इस भव्य कॉरिडोर में 350 से ज्यादा भवनों को खरीदा गया है. इनके ध्वस्तीकरण के बाद इस भव्य कॉरिडोर का निर्माण चल रहा है. इतना ही नहीं 24 भवनों में से प्रशासनिक भवन, गेस्ट हाउस, यात्री सुविधा केंद्र, पुलिस चौकी, म्यूजियम, गंगा व्यूइंग गैलरी के अलावा यहां आने वाले भक्तों को कॉरीडोर में मौजूद मंदिरों के संकुल की जानकारी देने के लिए डिजिटल तरीके का प्रयोग भी गूगल के साथ टाइअप करके किया जा रहा है. ललिता घाट, मणिकर्णिका घाट के बीच स्थित जला सेना घाट से इस कॉरिडोर की शुरुआत की जा रही है, ताकि भक्त गंगा में स्नान करने के बाद गंगाजल लेकर सीधे बाबा को अर्पित कर सके. चार चरणों में इस काम को पूरा करने की तैयारी की गई है. गुजरात की कंपनी इस काम को पूरा करने के लिए 24 घंटे 1500 से ज्याद मजदूरों के साथ कार्य कर रही है.

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