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काशी में बिगड़ गए हैं गंगा के हालात, बढ़ रहा है प्रदूषण

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Published : Jun 19, 2019, 10:00 PM IST

काशी में बिगड़ गए हैं गंगा के हालात.

गंगा में तीन नाले सीधे जाकर मिल रहे हैं और गंगा को प्रदूषित कर रहे हैं. मोदी सरकार के मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने भी वाराणसी में अपने निरीक्षण के दौरान इस बात को माना है, कि नालों को रोकने के लिए बनाए गए सीवर ट्रीटमेंट प्लांट से अब तक तीन नाले नहीं जुड़ सके हैं.

वाराणसी: धर्म और अध्यात्म की नगरी काशी जिसको बाबा विश्वनाथ और मां गंगा की वजह से जाना जाता है. विश्व के सबसे पुराने शहर में लंबे वक्त से मां गंगा बह रही हैं और आज भी लोगों के पापों को धोकर उन्हें मुक्ति देने का काम कर रही हैं. गंगा की हालत आज बद से बदतर होती जा रही है. एक तरफ जहां गंगा में तेजी से पानी कम हो रहा है. वही तेजी से गिर रहे नाले सरकारी दावों की हकीकत की पोल खोलते नजर आ रहे हैं, जिनके लिए सरकार अब तक हजारों करोड़ रुपए खर्च कर चुकी हैं.

काशी में बिगड़ गए हैं गंगा के हालात.

ईटीवी भारत की टीम ने गंगा की वर्तमान स्थिति का लिया जायजा
जिले के दौरे पर पहुंचे जनशक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने 2 साल के अंदर गंगा को पूरी तरह से स्वच्छ और निर्मल किए जाने की बात कही है. जिसके बाद जब ईटीवी भारत की टीम ने भी गंगा की वर्तमान स्थिति और निर्मलता की हकीकत जानी तो सच्चाई सामने आ गई. आज भी नगवा इलाके में तेजी से एक नाला सीधे गंगा में आकर मिल रहा है. जिसके बाद गंगा निर्मली करण की सच्चाई यहीं पर खत्म होती दिख रही है. मोदी के मंत्री नवंबर तक बनारस में इन तीन नालों के गंगा में गिराए जाने से रोके जाने की बात कर रहे हैं.


गंगा के जलस्तर में लगातार हो रही कमी
गंगा के जलस्तर में लगातार हो रही कमी के बाद गंगा में बढ़ रहे प्रदूषण का स्तर सरकार के दावों की हकीकत बताने के लिए काफी है. बनारस में लगातार गंगा के जलस्तर में कमी दर्ज हुई है केंद्रीय जल आयोग के आंकड़ों पर गौर करें तो 1 सप्ताह पहले जहां वाराणसी में गंगा का जलस्तर 58.29 रिकॉर्ड हुआ था, वहीं अब यह घटकर 57.97 के लगभग पहुंच चुका है.

वही गंगा में अब जल न ही नहाने योग्य और न ही आचमन योग्य रह गया है. खुद मोदी सरकार के मंत्री भी कह रहे हैं कि हमारा पहला लक्ष्य गंगा के जल को आचमन योग्य बनाना है. वाराणसी में गंगा के जल में पॉल्यूशन लेवल की अगर बात की जाए तो वर्तमान में गंगा में टोटल कॉलीफॉर्म की मात्रा 8400 एमपीएन से ज्यादा है. जो निर्धारित मानक से लगभग 10 गुना से भी ज्यादा है.

लगातार बढ़ रहा है गंगा में प्रदूषण का स्तर
गंगा पर लगातार रिसर्च करने वाली अलग-अलग एजेंसियों के आंकड़ों पर यदि गौर करें तो अपस्ट्रीम के अलावा डाउनस्ट्रीम खिड़कियां नाला और वरुणा के आस-पास कोई भी जलचर गंगा में अब जिंदा रहने की स्थिति में है. इसकी बड़ी वजह यह है कि d.o.b. प्रति लीटर 1, 2 व 0 है. जबकि सामान्य तौर पर या मानक के अनुसार 5 या उससे अधिक होना चाहिए. जिसका नतीजा यह है कि गंगा में प्रदूषण का स्तर बढ़ता ही जा रहा है. तीन नालों का पानी अभी भी सीधे गंगा में गिर रहा है, जो गंगा के प्रदूषण के स्तर को बढ़ाते हुए सरकार के दावों को हवा हवाई बताने के लिए काफी है.

गंगा की निर्मलता उसकी अविरलता पर निर्भर है, लेकिन गंगा में पानी ही नहीं है. जिस वजह से गंगा की स्थिति और बिगड़ रही है और गंगा में पानी कम होने की वजह से प्रदूषण की मात्रा भी गंगा में तेजी से बढ़ रही है.
-प्रोफेसर बीडी त्रिपाठी, नदी वैज्ञानिक

सरकार के मंत्री और अधिकारी झूठ न बोले यदि गंगा में नाले गिरना बंद हो गए होते तो सच में गंगा में वर्तमान स्थिति और भी दयनीय होती. क्योंकि गंगा के 98% पानी को उत्तराखंड में ही बांधों में रोक लिया जा रहा है. 2% पानी जो यहां आ रहा है वह सप्लाई और सिंचाई के लिए दूसरे राज्यों को दिया जा रहा है. गंगा में गंगा का पानी है ही नहीं इन नालों की बदौलत ही गंगा की यह स्थिति काशी में देखने को मिल रही है. इसलिए मोदी सरकार के मंत्री झूठ बोलकर मोदी का नाम न खराब करें.
- गजेंद्र सिंह शेखावत, केंद्रीय जल शक्ति मंत्री

Intro:summary: गंगा में अभी तीन नाले सीधे जाकर मिल रहे हैं और गंगा को प्रदूषित कर रहे हैं खुद मोदी सरकार के मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने भी वाराणसी में अपने निरीक्षण के दौरान इस बात को माना है कि नालों को रोकने के लिए बनाए गए सीवर ट्रीटमेंट प्लांट से अब तक तीन नाले बनारस में नहीं जुड़ सके हैं जिसके बाद गंगा स्वच्छ निर्मल और अविरल कैसे होगी यह सवाल फिर से खड़ा हो रहा है.

वाराणसी: धर्म और अध्यात्म की नगरी काशी जिसको बाबा विश्वनाथ मा गंगा की वजह से जाना जाता है विश्व के सबसे पुराने शहर में लंबे वक्त से मां गंगा बह रही हैं और आज भी लोगों के पापों को धो कर उन्हें मुक्ति देने का काम कर रही हैं लेकिन इन सबके बीच यह बेहद कष्टदायक है कि जो गंगा मुक्ति दायिनी है मोक्ष प्रदायिनी है उस गंगा की हालत आज बद से बदतर होती जा रही है एक तरफ जहां गंगा में तेजी से पानी कम हो रहा है वही तेजी से गिर रहे नाले सरकारी दावों की हकीकत की पोल खोल रहे हैं. जिनके लिए सरकार अब तक हजारों करोड़ रुपए खर्च कर चुकी हैं 2014 में सत्ता में आई मोदी सरकार में मां गंगा के नाम पर राजनीति की और गंगा को स्वच्छ निर्मल करने के लिए एक मंत्रालय भी बना डाला लेकिन इन दावों की हकीकत वाराणसी में आज भी सरकार की कलई खोल रही है. हालात ये हैं कि गंगा में अभी तीन नाले सीधे जाकर मिल रहे हैं और गंगा को प्रदूषित कर रहे हैं खुद मोदी सरकार के मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने भी वाराणसी में अपने निरीक्षण के दौरान इस बात को माना है कि नालों को रोकने के लिए बनाए गए सीवर ट्रीटमेंट प्लांट से अब तक तीन नाले बनारस में नहीं जुड़ सके हैं जिसके बाद गंगा स्वच्छ निर्मल और अविरल कैसे होगी यह सवाल फिर से खड़ा हो रहा है.

ओपनिंग पीटीसी- गोपाल मिश्र


Body:वीओ-01 केंद्र की मोदी सरकार ने बीते 5 सालों में गंगा के लिए क्या किया क्या नहीं किया यह तो अब पुराना हो चुका है लेकिन एक बार फिर से जब सत्ता में मोदी सरकार आई है तो उन्होंने गंगा मंत्रालय को खत्म कर जल शक्ति मंत्रालय का गठन कर दिया है इस मंत्रालय के अधीन ही गंगा के सारे प्रोजेक्ट अब संचालित किए जा रहे हैं और गंगा की वर्तमान स्थिति को सुधारने के लिए मंत्री को 2 साल का वक्त मांग रहे हैं. बनारस दौरे पर पहुंचे जनशक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने 2 साल के अंदर गंगा को पूरी तरह से स्वच्छ और निर्मल किए जाने की बात कही है लेकिन इन सबके बीच उन्होंने बनारस में अब तक तीन नालों के गंगा में सीधे गिराए जाने की बात भी जिसके बाद जब ईटीवी भारत की टीम ने भी गंगा की वर्तमान स्थिति और निर्मलता की हकीकत जानी तो सच्चाई सामने आ गई आज भी नगवा इलाके में तेजी से एक नाला सीधे गंगा में आकर मिल रहा है जिसके बाद गंगा निर्मली करण की सच्चाई यहीं पर खत्म होती दिख रही है यही वजह है कि मोदी के मंत्री नवंबर तक बनारस में इन तीन नालों के गंगा में गिराए जाने से रोके जाने की बात कर रहे हैं लेकिन इन सबके बीच काशी हिंदू विश्वविद्यालय के नदी वैज्ञानिक और गंगा बेसिन अथॉरिटी के सदस्य रह चुके प्रोफेसर बीडी त्रिपाठी का कहना है गंगा की निर्मलता उसकी अविरल ता पर निर्भर है लेकिन गंगा में पानी ही नहीं है जिस वजह से गंगा की स्थिति और बिगड़ रही है और गंगा में पानी कम होने की वजह से प्रदूषण की मात्रा भी गंगा में तेजी से बढ़ रही है. वहीं गंगा महासभा के राष्ट्रीय महामंत्री आचार्य जितेन्द्रानंद सरस्वती का कहना है सरकार के मंत्री और अधिकारी झूठ ना बोले यदि गंगा में नाले गिरना बंद हो गए होते तो सच में गंगा में वर्तमान स्थिति और भी दयनीय होती क्योंकि गंगा के 98% पानी को उत्तराखंड में ही बांधों में रोक लिया जा रहा है 2% पानी जो यहां आ रहा है वह सप्लाई और सिंचाई के लिए दूसरे राज्यों को दिया जा रहा है गंगा में गंगा का पानी है ही नहीं इन नालों की बदौलत ही गंगा की यह स्थिति काशी में देखने को मिल रही है. इसलिए मोदी सरकार के मंत्री झूठ बोलकर मोदी का नाम ना खराब करें.

बाईट- गजेंद्र सिंह शेखावत, केंद्रीय जल शक्ति मंत्री
बाईट- प्रोफेसर बीडी त्रिपाठी, नदी वैज्ञानिक
बाईट- आचार्य जितेन्द्रानंद सरस्वती, महामंत्री गंगा महासभा


Conclusion:वीओ-02 फिलहाल सच तो यह है कि गंगा के जलस्तर में लगातार हो रही कमी के बाद गंगा में बढ़ रहा प्रदूषण का स्तर सरकार के दावों की हकीकत बताने के लिए काफी है बनारस में लगातार गंगा के जलस्तर में कमी दर्ज हुई है केंद्रीय जल आयोग के आंकड़ों पर गौर करें तो 1 सप्ताह पहले जहां वाराणसी में गंगा का जलस्तर 58.29 रिकॉर्ड हुआ था, वहीं अब यह घटकर 57.97 के लगभग पहुंच चुका है. वही गंगा में अब जलना ही नहाने योग्य और ना ही आचमन योग्य रह गया है खुद मोदी सरकार के मंत्री भी कह रहे हैं कि हमारा पहला लक्ष्य गंगा के जल को आचमन योग्य बनाना है वाराणसी में गंगा के जल में पॉल्यूशन लेवल की अगर बात की जाए तो वर्तमान में गंगा में टोटल कॉलीफॉर्म की मात्रा 8400 एमपीएन से ज्यादा है जो निर्धारित मानक से लगभग 10 गुना से भी ज्यादा है. किसी भी नदी में कॉलीफॉर्म की मात्रा से ही उस नदी के जल का नहाने योग्य होना या ना होना माना जाता है वही गंगा पर लगातार रिसर्च करने वाली अलग-अलग एजेंसियों के आंकड़ों पर यदि गौर करें तो अपस्ट्रीम के अलावा डाउनस्ट्रीम खिड़कियां नाला और वरुणा के आसपास कोई भी जलचर गंगा में अब जिंदा रहने की स्थिति में है ही नहीं इसकी बड़ी वजह यह है कि d.o.b. प्रति लीटर 1, 2 व 0 है. जबकि सामान्य तौर पर या मानक के अनुसार 5 या उससे अधिक होना चाहिए कि कल कॉलीफॉर्म की बात करें तो इसके आंकड़े भी काफी ज्यादा है जिसका नतीजा यह है कि गंगा में प्रदूषण का स्तर बढ़ता ही जा रहा है और गंगा में गिरने वाले 33 सालों में से अधिकांश के बंद होने का दावा सरकार कर रही है. और 20 नालों के सीधे अलग-अलग स्टीव से कनेक्ट कर इसका पानी फिल्टर कर गंगा में छोड़े जाने का दावा हो रहा है लेकिन तीन नालों का पानी अभी भी सीधे गंगा में गिर रहा है जो गंगा के प्रदूषण के स्तर को बढ़ाते हुए सरकार के दावों को हवा हवाई बताने के लिए काफी है.

क्लोजिंग पीटीसी- गोपाल मिश्र

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