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विश्व कैंसर दिवस विशेष : इलाज से ज्यादा महत्वपूर्ण है जागरूकता

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Published : Feb 4, 2021, 7:20 AM IST

हर साल विश्व भर में चार फरवरी को विश्व कैंसर दिवस मनाया जाता है. कैंसर से बचाव और उसके प्रति जागरूकता पैदा करने के उद्देश्य से विश्व कैंसर दिवस मनाने की शुरुआत सन 1933 में हुई थी. इस साल विश्व कैंसर दिवस की थीम है 'मैं हूं और मैं रहूंगा'. ये थीम साल 2019 से 2021 तक यानि तीन साल के लिए रखी गयी है जो इस साल भी कायम है.
विश्व कैंसर दिवस विशेष
विश्व कैंसर दिवस विशेष

वाराणसी: कैंसर जैसी घातक बीमारी कभी भी किसी भी व्यक्ति को हो सकती है. खासकर यदि हम महिलाओं की बात कर ले तो महिलाओं में स्तन कैंसर, बच्चेदानी के मुंह के कैंसर, सर्वाइकल कैंसर,कोलोरेक्टल कैंसर इत्यादि पाए जाते हैं. ज्यादातर महिलाओं में स्तन कैंसर, बच्चेदानी के मुंह के कैंसर की शिकायत सामने आती है. इसको लेकर के ईटीवी भारत की टीम ने कैंसर विशेषज्ञ से बातचीत की और जाना कि किस प्रकार से महिलाएं इस घातक बीमारी से खुद को सुरक्षित रख सकती हैं.

जानकारी देते कैंसर विशेषज्ञ
किसी भी उम्र में हो सकती है ये बीमारी
काशी हिंदू विश्वविद्यालय के कैंसर रोग विशेषज्ञ डॉ तरुण बत्रा ने बताया कि महिलाओं में गर्भाशय कैंसर या स्तन कैंसर की बीमारी किसी भी उम्र में हो सकती है. इस बीमारी की यदि समय पर पहचान हो जाए और सही इलाज हो तो इससे मुक्ति पाई जा सकती है. उन्होंने कहा कि इन बीमारियों की कोई खास उम्र नहीं होती हैं. समय-समय पर चेकअप कराते रहने से इस बीमारी से बचा जा सकता है. अक्सर देखा गया है कि स्तन कैंसर हो या फिर बच्चेदानी के मुंह के कैंसर के लक्षणों को महिलाएं नजरअंदाज करती रहती हैं और यही कारण है कि यह बीमारी उनके लिए और अधिक घातक हो जाती है. उन्होंने बताया कि स्तन कैंसर या फिर बच्चेदानी के मुंह के कैंसर के छह से 8% मामले अनुवांशिक होते हैं. जीवन शैली से जुड़े कारणों में मोटापा धूम्रपान और शराब का सेवन भी शामिल है. उन्होंने बताया कि ब्रेस्ट कैंसर शहरी महिलाओं में ज्यादा पाया जाता है, जबकि ग्रामीण महिलाओं में सामान्य तौर पर बच्चेदानी के मुंह का कैंसर पाया जाता है.
अनुवांशिक कारण से भी हो सकता है कैंसर
डॉ. तरुण बत्रा ने बताया कि आंकड़ों के मुताबिक हर साल 70 महिलाओं में से एक को गर्भाशय कैंसर होता है. इस बीमारी के होने का प्रमुख कारण समय पर बीमारी का पता न चल पाना और जानकारी होने के बाद समय पर बीमारी का सही इलाज ना हो पाना है. उन्होंने बताया कि सबसे मुख्य बात यह है कि जब तक यह बीमारी तीसरे स्टेज पर नहीं आ जाती तब तक क्या पकड़ में नहीं आती है. प्रत्येक पांच महिलाओं में से एक महिला को गर्भाशय कैंसर अनुवांशिक रूप से देखने को मिलता है. उन्होंने बताया कि यदि किसी महिला के रिश्तेदार को स्तन या गर्भाशय का कैंसर पूर्व में हो चुका है तो परिवार की अन्य महिला सदस्यों को भी इस बीमारी के होने की संभावना बढ़ जाती है. ऐसी अवस्था में महिलाओं को समय-समय पर अपनी जांच कराते रहना चाहिए और यदि कोई इस प्रकार का लक्षण आता है तो उन्हें तुरंत उसका उपचार भी शुरू कर देना चाहिए.
कैंसर के प्रकार


माना जाता है कि कैंसर 100 प्रकार के होते हैं. इनमें ब्लड कैंसर, मुंह का कैंसर, गले का कैंसर, स्तन कैंसर, गर्भाशय कैंसर, अंडाशय कैंसर, सर्वाइकल कैंसर, फेफड़ों का कैंसर, प्रोस्टेट (पौरुष ग्रंथि) कैंसर, मूत्राशय का कैंसर, मस्तिष्क का कैंसर, लिवर (यकृत) कैंसर, बोन कैंसर, पेट का कैंसर, आदि प्रमुख हैं. दुनिया में सबसे ज्यादा लोग कैंसर के इन्हीं प्रकारों से ग्रसित होते हैं.

क्या हैं लक्षण

• अत्यधिक थकान और चिड़चिड़ापन
• दूध जैसा सफेद पदार्थ या खून आना
• स्तन की त्वचा पर नारंगी रंग का सपोर्ट दिखाई देना
•कोई गांठ अग्रभाग का धसा हुआ होना
•आकार में बदला
• वजन घटना
• पेट में सूजन होना
• पेट में दर्द का महसूस होना
• खाने पीने में कठिनाई होना या भूख ना लगना
• तेजी से पेशाब बार बार आना
• मासिक धर्म में अनियमितता
• सांस की तकलीफ
• पीठ के निचले हिस्से और पैरों में दर्द
• कब्ज या दस्त

कैंसर के कारण क्या हैं

तंबाकू या उससे बने उत्पाद, जैसे- सिगरेट आदि का लंबे समय तक सेवन मुंह और फेफड़ों के कैंसर का कारण बन सकता है.

लंबे समय तक अल्कोहल का सेवन लिवर (यकृत) कैंसर समेत शरीर के कई अंगों में कैंसर के खतरे को बढ़ा देता है.

आनुवंशिक दोष या उत्परिवर्तन भी कैंसर के खतरे को काफी हद तक बढ़ा सकता है. इसमें स्तन कैंसर का खतरा सबसे ज्यादा होता है.

लंबे समय तक पराबैंगनी किरणों के संपर्क में रहने से कैंसर का खतरा बढ़ सकता है.

कभी-कभी मोटापा भी कैंसर के खतरे को बढ़ा देता है.

डॉ बत्रा ने बताया कि महिलाओं में ब्रेस्ट कैंसर या बच्चेदानी के मुंह के कैंसर की बात करें तो उनमें ऐसे लक्षण पाए जाते हैं. यदि किसी महिला को ये लक्षण महसूस होते हैं तो उन्हें तुरंत चेकअप करवाकर इलाज़ शुरू कर देना चाहिए. क्योंकि सही समय पर उपचार शुरू होने कारण इस बीमारी से वह ठीक हो सकती हैं


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