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मऊ: बाढ़ पीड़ितों ने फूलन सेना के साथ किया प्रदर्शन, मुआवजा की मांग

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Published : Sep 27, 2019, 5:15 PM IST

बाढ़ पीड़ित ग्रामीणों ने कलेक्ट्रट परिसर में धरना प्रदर्शन किया.

उत्तर प्रदेश के मऊ में फूलन सेना के नेतृत्व में बाढ़ पीड़ित ग्रामीणों ने कलेक्ट्रट परिसर में धरना प्रदर्शन किया. इसके बाद पांच सूत्रीय मांगों को लेकर नगर मजिस्ट्रेट को ज्ञापन भी सौंपा.

मऊ: बाढ़ तटवर्ती क्षेत्रों में बसे गांवों पर कहर बरसा रही है. मधुबन तहसील के टांड़ी, नई बस्ती, धरमपुर बिंटोलिया गांव हर वर्ष बाढ़ की चपेट में आते हैं. घाघरा के कटान में गांव के आसपास की सैकड़ों बीघा भूमि समा जाती है. इसके कारण ग्रामीणों का जीवन अस्त-व्यस्त हो जाता है.

बाढ़ पीड़ित ग्रामीणों ने कलेक्ट्रट परिसर में धरना प्रदर्शन किया.
कलेक्ट्रट परिसर में धरना- प्रदर्शनबाढ़ पीड़ित ग्रामीणों ने फूलन सेना के नेतृत्व में कलेक्ट्रट परिसर में धरना- प्रदर्शन किया. इसके बाद पांच सूत्रीय मांगों को लेकर नगर मजिस्ट्रेट को ज्ञापन सौंपा. फूलन सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष गोपाल निषाद के नेतृत्व में धरमपुर बिंटोलिया गांव के किसान कलेक्ट्रट परिसर पहुंचे और बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में प्रशासन द्वारा कोई सुविधा ना मुहैया कराने को लेकर जमकर विरोध प्रदर्शन करने लगे.

राष्ट्रीय अध्यक्ष ने कहा कि धरमपुर बिंटोलिया गांव घाघरा नदी किनारे बसा है. जो बीते कई दशकों से बाढ़ की विभीषिका झेलता है. वर्तमान में घाघरा नदी की भीषण कटान के चलते ग्रामीणों के सैकड़ों बीघे खेत फसल सहित कटकर नदी में विलीन हो चुके हैं, बचे हुए खेत भी तेजी से कटकर गिर रहे हैं. आरोप लगाया कि प्रशासन और अधिकारी पैसे का गोलमाल कर जाते हैं. लेकिन समस्या से अवगत कराने के बाद भी इसको लेकर कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है.

उन्होंने कहा कि बाढ़ पीड़ित गांव होने के कारण बड़ी संख्या में प्रधानमंत्री आवास मुुहैया कराया जाए. साथ ही कटान से पीड़ित किसानों को मुआवजा दिलाने की मांग की. प्रदर्शन के बाद मांगों को लेकर फूलन सेना ने नगर मजिस्ट्रेट को ज्ञापन सौंपा. साथ ही चेताया कि मांग पूरी ना होने पर फूलन सेना घाघरा नदी के धार में आगामी 3 अक्टूबर से जल-सत्याग्रह शुरू करेगी.


इसे भी पढ़ें-मऊ दुष्कर्म कांड: दुष्कर्म पीड़िता से मिलने पहुंचे कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव

ग्रामीणों और कटान पीड़ितों ने लगाया आरोप

  • सिंचाई विभाग और प्रशासन ने नहीं बनाया ठोकर.
  • स्थिति जानने जनप्रतिनिधि भी कभी नहीं आते.
  • ठोकर के पैसों में भ्रष्टाचार का भी लगाया आरोप.

क्या है प्रमुख मांगें

  • स्थायी ठोकर व्यवस्था हो और रिंग बांध बनाया जाए.
  • कटान में समा गई भूमि का मुआवजा मिले.
  • प्रधानमंत्री आवास योजना से आवास मिले.

हम लोग कई साल से बाढ़ की विभीषिका झेल रहे हैं. बाढ़ की वजह से हमारी फसल खत्म हो जाती है, घर टूट जाता है. ऐसे में खाने को अनाज की समस्या हो जाती है. हमेशा डर लगा रहता है कि हमारे बच्चे नदी में डूब न जाएं. हर साल प्रशासन बाढ़ से बचाव के लिए ठोकर बनाने के दावे करता है, लेकिन वास्तव में ऐसा कोई प्रबंध नहीं हुआ है.
-बृजभावती देवी, बाढ़ पीड़ित

Intro:मऊ। सितम्बर महीना बीतने को है लेकिन अभी तक मानसून अपने रंग में है. वहीं बाढ़ की विभीषिका भी तटवर्ती क्षेत्रों में बसे गांवों पर कहर बरसा रही है. मामला मऊ जनपद का है जहां मधुबन तहसील के टांड़ी, नई बस्ती, धरमपुर बिंटोलिया गांव हर वर्ष बाढ़ की चपेट में आते हैं. घाघरा के कटान में गांव के आसपास की सैकड़ों बीघा भूमि समा जाती है. जिसके साथ ही गांव में बसे गरीबों का जीवनस्तर भी कटान में कटता चला जाता है.

Body:बाढ़ पीड़ित ग्रामीणों ने फूलन सेना के नेतृत्व में कलेक्ट्रट परिसर में धरना- प्रदर्शन किया. इसके बाद पांच सूत्रीय मांगों को लेकर नगर मजिस्ट्रेट को ज्ञापन सौंपा. फूलन सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष गोपाल निषाद के नेतृत्व में धरमपुर बिंटोलिया गांव के किसान कलेक्ट्रट परिसर पहुंचे और बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में प्रशासन द्वारा कोई सुविधा ना मुहैैया कराने को लेकर जमकर विरोध प्रदर्शन करने लगे. राष्ट्रीय अध्यक्ष ने कहा कि धरमपुर बिंटोलिया गांव घाघरा नदी किनारे बसा है. जो बीते कई दशकों से बाढ़ की विभीषिका झेलता है. वर्तमान में घाघरा नदी की भीषण कटान के चलते ग्रामीणों के सैकड़ों बीघे खेत फसल सहित कटकर नदी में विलीन हो चुके हैं, बचे हुए खेत भी तेजी से कटकर गिर रहे हैं. उन्होंने आरोप लगाया कि प्रशासन और अधिकारी पैसे का गोलमाल कर जाते हैं लेकिन समस्या से अवगत कराने के बाद भी इसको लेकर कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है. उन्होंने मांग की है कि बाढ़ पीड़ित गांव होने के कारण बड़ी संख्या में प्रधानमंत्री आवास मुुहैया कराया जाए. साथ ही कटान से पीड़ित किसानों को मुआवजा दिलाने की मांग की. प्रदर्शन के बाद मांगों को लेकर फूलन सेना ने नगर मजिस्ट्रेट को ज्ञापन सौंपा. साथ ही चेताया कि मांग पूरी ना होने पर फूलन सेना घाघरा नदी के धार में आगामी 3 अक्टूबर से जल-सत्याग्रह शुरू करेगी.

ग्रामीणों और कटान पीड़ितों ने लगाया आरोप -
- सिंचाई विभाग और प्रशासन ने नहीं बनाया ठोकर
- स्थिति जानने जनप्रतिनिधि भी कभी नहीं आते
- ठोकर के पैसों को पचा जाते हैं अधिकारी

क्या है प्रमुख मांगें -
- स्थायी ठोकर व्यवस्था हो और रिंग बांध बनाया जाए
- कटान में समा गई भूमि का मुआवजा मिले
- प्रधानमंत्री आवास योजना से आवास मिले
- नये जगह पर बसाया जाए

कटान पीड़ित बृजभावती देवी ने बताया कि हम लोग कई साल से बाढ़ की विभीषिका झेल रहे हैं. बाढ़ की वजह से हमारी फसल खत्म हो जाती है, घर टूट जाता है. ऐसे में खाने को अनाज आदि की समस्या हो जाती है. हमेशा डर लगा रहता है कि हमारे बच्चे नदी में डूब न जाएं. हर साल प्रशासन बाढ़ से बचाव के लिए ठोकर बनाने के दावे करता है लेकिन वास्तव में ऐसा कोई प्रबंध नहीं हुआ है. हम लोग एक-जगह से दूसरी जगह भागकर रह रहे हैं. अब कहीं हमारी जमीन नहीं है, ऐसे में हम कहाँ जाएंगे. वहीं मनभावती देवी ने बताया कि वो लोग तीसरी बार दूसरी जगह पर बस हैं. लेकिन अब यह भूमि भी कटान में समा रही है. प्रशासन ठोकर की व्यवस्था करे और हमें मुआवजा तथा प्रधानमंत्री आवास की सुविधा दे.

बाईट - गोपाल निषाद (राष्ट्रीय अध्यक्ष, फूलन सेना)
बाईट - बृजभावती देवी (बाढ़ पीड़ित)
बाईट - मनभावती देवी (बाढ़ पीड़ित)
बाईट - जेएन सचान (सिटी मजिस्ट्रेट)Conclusion:
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