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डाटा सेंटर पार्क के वितरण लाइसेंस की नियामक आयोग में हुई जनसुनवाई, नहीं निकला कोई नतीजा

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Published : May 24, 2023, 10:33 PM IST

डाटा सेंटर पार्क
डाटा सेंटर पार्क

विद्युत नियामक आयोग ने उत्तर प्रदेश डाटा सेंटर नीति 2021 के तहत डाटा सेंटर पार्क ग्रेटर नोएडा के लिए वितरण लाइसेंस की याचिका पर वीडियो कांफ्रेंसिंग से जन सुनवाई की. सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ताओं ने भाग लिया, वहीं पावर कारपोरेशन की तरफ से इस जनसुनवाई में किसी ने हिस्सा ही नहीं लिया.

लखनऊः विद्युत नियामक आयोग ने उत्तर प्रदेश डाटा सेंटर नीति 2021 के तहत एनआईडीपी डेवलपर्स प्राइवेट लिमिटेड की तरफ से दाखिल डाटा सेंटर पार्क ग्रेटर नोएडा के लिए वितरण लाइसेंस की याचिका पर बुधवार को वीडियो कांफ्रेंसिंग से जन सुनवाई की. एनआईडीपी व नोएडा पावर कंपनी की तरफ से जहां सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ताओं ने भाग लिया, वहीं पावर कारपोरेशन की तरफ से इस जनसुनवाई में किसी ने हिस्सा ही नहीं लिया. प्रदेश के उपभोक्ताओं की तरफ से उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने जनसुनवाई में भाग लिया.

उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने कहा कि उत्तर प्रदेश सरकार ने डाटा सेंटर नीति बनाई है उसमें कई कमियां हैं. इससे उत्तर प्रदेश का विकास नहीं होने वाला, क्योंकि एनआईडीपी कंपनी ने अपना रजिस्ट्रेशन महाराष्ट्र में कराया है और इससे प्राप्त होने वाला जीएसटी कर महाराष्ट्र में जाएगा. इस प्रोजेक्ट के लिए वितरण लाइसेंस की कोई आवश्यकता नहीं थी. डाटा सेंटर पार्क के लिए वितरण का लाइसेंस दिया जाना निजीकरण को बढ़ावा देने वाला कदम है.

उपभोक्ता परिषद अध्यक्ष ने कहा कि एनआईडीपी डेवलपर्स प्राइवेट लिमिटेड ने वितरण लाइसेंस मांगा है. उसकी नेटवर्थ केवल चार करोड 40 लाख है. उसकी सहयोगी प्रमोटर कंपनी निरंजन हीरानंदानी जिसकी कुल नेटवर्थ 4,953 करोड है. उसके आधार पर एनआईडीपी अपनी कुल आवश्यक नेटवर्थ 28.09 करोड़ रुपये के आधार पर वितरण लाइसेंस मांग रही है, जबकि ट्रांसमिशन के वित्तीय पैरामीटर का आकलन किया जाए तो किसी क्षेत्र के लिए लगभग 150 करोड़ की नेटवर्थ का 30 प्रतिशत यानी लगभग 45 करोड़ चाहिए. उनका कहना है कि इनकी प्रमोटर कंपनी निरंजन हीरानंदानी मुंबई के खिलाफ किसी मामले में सीबीआई की जांच चल चुकी है, इसलिए इनका पूरा ब्योरा मंगाया जाना चाहिए. यह याचिका किसी भी रूप में स्वीकार करने योग्य नहीं है, इसे खारिज किया जाना चाहिए.

नोएडा पावर कंपनी की तरफ से वरिष्ठ अधिवक्ता एमजी रामचंद्रन ने अपनी बात रखते हुए वितरण लाइसेंस दिए जाने का विरोध करते हुए अनेकों विधिक तर्क रखे. कहा कि इन्हें वितरण लाइसेंस न देकर फ्रेंचाइजी दिए जाने पर विचार किया जाना चाहिए. निरंजन हीरानंदानी ग्रुप के अधिवक्त साक्या चौधरी ने याचिका को स्वीकार किए जाने का अनुरोध किया. विद्युत नियामक आयोग के चेयरमैन आरपी सिंह ने कहा कि नियमों के तहत ही विद्युत नियामक आयोग इस पूरे मामले पर कोई निर्णय लेगा.

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