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मधुमिता शुक्ला हत्याकांड के बाद अर्श से जेल की फर्श तक पहुंचे कद्दावर पूर्व मंत्री अमरमणि, पढ़िए पूरा किस्सा

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Aug 26, 2023, 2:48 PM IST

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उत्तर प्रदेश की राजनीति का एक कद्दावर नेता जो प्यार-सेक्स और मर्डर के भंवर में फंसकर अर्श से जेल की फर्श तक पहुंच गया. नाम है कद्दावर बसपा नेता रहे पूर्व मंत्री अमरमणि त्रिपाठी. इस भंवर में उनके साथ पत्नी मधुमणि त्रिपाठी भी घिर गईं. आइए पढ़ते हैं इस कहानी के हर पहलू.

लखनऊ : यूपी की राजनीति में कई ऐसे किस्से हैं, जिन्होंने खूब सुर्खिया बटोरी थीं. इन्हीं में एक ऐसी कहानी थी जिसमें प्यार-सेक्स और मर्डर तीनों था और इस कहानी ने यूपी समेत पूरे देश में हड़कंप मचा दिया था. इस कहानी के तीन मुख्य किरदार थे. पहला कद्दावर बसपा नेता रहे पूर्व मंत्री अमरमणि त्रिपाठी, कवियत्री मधुमिता शुक्ला और अमरमणि की पत्नी मधुमणि त्रिपाठी. जब भी राज्य में चुनावों की सुगबुगाहट होती है. इस कहानी की चर्चा तेज हो जाती है, एक बार फिर ऐसा ही हुआ है, लेकिन इस बार इस कहानी में एक अध्याय और जुड़ गया है और 20 वर्ष बाद इस कहानी के दो किरदार जेल से बाहर आ रहे हैं जिस पर चर्चा गरम है.

मधुमिता शुक्ला हत्याकांड की कहानी.
मधुमिता शुक्ला हत्याकांड की कहानी.
मधुमिता शुक्ला हत्याकांड की कहानी.
मधुमिता शुक्ला हत्याकांड की कहानी.

एक तारीख ने कद्दावर नेता को अर्श से जेल के फर्श पर ला दिया

कुछ तारीखें इतिहास बनाती है, कुछ इतिहास को दोहराती है और कुछ हमेशा हमेशा के लिए अमर हो जाती है. ऐसी ही एक तारीख थी 9 मई 2003, जिसने यूपी की सियासत को हिला कर रख दिया था. इस तारीख को यूपी की राजधानी लखनऊ में एक ऐसी सनसनीखेज घटना घटी जिसने पूर्वांचल के कद्दावर ब्राह्मण नेता हरिशंकर तिवारी के राजीतिक विरासत के दावेदार तत्कालीन बसपा सरकार में मंत्री अमरमणि त्रिपाठी को अर्श से जेल की फर्श तक पहुंचा दिया. यूपी एक युवा कवियत्री से एक्स्ट्रा मैरिटल अफेयर ने एक ऐसे कद्दावर नेता का राजनीतिक साम्राज्य ध्वस्त कर दिया जो नेता हर दल की सरकार की कैबिनेट का हिस्सा होता था. वो नेता लगातार छह बार विधायक रहा, बीजेपी, सपा और बसपा ने सर आंखों पर बैठा रखा था, लेकिन एक पल में इस नेता की पूरी दुनिया ही बिखर गई.

मधुमिता शुक्ला हत्याकांड की कहानी.
मधुमिता शुक्ला हत्याकांड की कहानी.


चर्चित कहानी के मुख्य किरदार


इस चर्चित कहानी केंद्र में एक किरदार थीं, उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी की रहने वाली मधुमिता शुक्ला. जिन्होंने ने महज 16 साल की उम्र से ही मंच पर वीर रस की कविताओं का पाठ करना शुरू कर दिया था. इस इस युवा कवयित्री का निडर अंदाज ऐसा था कि अपनी कविताओं से पीएम तक को खरी-खोटी सुना देती थी. यही वजह थी कि मधुमिता सफलता के पायदान पर ऊपर चढ़ने लगी थीं. राजधानी में भी मधुमिता कई कार्यक्रम में जाने लगीं, जिस वजह वो लखनऊ रहने आ गईं और यहां निशातगंज स्थित पेपर मिल कॉलोनी में रहने लगीं. बताया जाता है कि मधुमिता शुक्ला की कविताएं सुनने कहानी के दूसरे किरदार कद्दावर नेता अमरमणि त्रिपाठी की मां और उनकी दोनों बेटियां भी जाती थीं. अमरमणि की बेटियों से मधुमिता की दोस्ती हो गई और मधुमिता का अमरमणि के घर आना जाना शुरू हो गया.

मधुमिता हत्याकांड के बाद अर्श से जेल की फर्श तक पहुंचे अमरमणि.
मधुमिता हत्याकांड के बाद अर्श से जेल की फर्श तक पहुंचे अमरमणि.



नवजात का डीएनए जांचने के लिए रास्ते से वापस मंगवाया शव

एक तरह जहां पुलिस अधिकारी हत्याकांड के मामले में लोगों से पूछताछ कर रहे थे, वहीं दूसरी ओर मधुमिता के शव को पोस्टमार्टम करने के लिए भेज दिया गया. 10 मई को पोस्टमार्टम हाउस में तत्कलीनंत्री अमरमणि त्रिपाठी पहुंचे और पोस्टमार्टम होने के बाद अमरमणि ने शव वाहन करवा कर जल्दी से लखीमपुर खीरी भिजवा दिया. हालांकि पुलिस मधुमिता के नवजात का डीएनए टेस्ट करवाना चाहती थी. इसलिए शव को भारी विरोध के बावजूद रास्ते से वापस मंगवाकर दोबारा परीक्षण कराया गया.

मधुमिता हत्याकांड के बाद अर्श से जेल की फर्श तक पहुंचे अमरमणि.
मधुमिता हत्याकांड के बाद अर्श से जेल की फर्श तक पहुंचे अमरमणि.




सीएम ने पहले जांच करने वाले एसपी को निलंबित किया फिर अमरमणि को बर्खास्त

नवजात के डीएनए जांच में सामने आया कि मधुमिता के गर्भ में पल रहा बच्चा अमरमणि त्रिपाठी का था. इसके बाद काफी शोर मचा. इसी बीच तत्कालीन मुख्यमंत्री मायावती ने अमरमणि त्रिपाठी को तलब किया. अमरमणि त्रिपाठी ने सीएम के सामने इस हत्याकांड को लेकर सफाई दी कि तत्कालीन एसएसपी अनिल अग्रवाल और एसपी क्राइम राजेश पांडेय सरकार को बदनाम करने की साजिश रच रहे हैं. इसके बाद एसपी क्राइम राजेश पांडेय का तबादला कर दिया गया और विपक्ष के हंगामे पर अमरमणि त्रिपाठी को भी मंत्रिमंडल से बर्खास्त कर दिया गया.





मधुमिता केस उत्तराखंड हुआ ट्रांसफर


सीबीआई जांच के दौरान कई गवाहों को धमकाया जाने लगा था. ऐसे में मधुमिता की बड़ी बहन निधि शुक्ला ने सुप्रीम कोर्ट में इस केस को दिल्ली या तमिलनाडु ट्रांसफर करने की अपील की थी. हालांकि कोर्ट ने मुकदमा देहरादून की फास्ट ट्रैक कोर्ट स्थानांतरित कर दिया. देहरादून की फास्ट ट्रैक कोर्ट ने 24 अक्टूबर 2007 को अमरमणि, उनकी पत्नी मधुमणि, भतीजा रोहित चतुर्वेदी और शूटर संतोष राय को दोषी करार देते हुए उम्रकैद की सजा सुनाई. जबकि एक अन्य शूटर प्रकाश पांडेय को संदेह का लाभ देते हुए बरी कर दिया. हालांकि, बाद में नैनीताल हाईकोर्ट ने प्रकाश पांडेय को भी दोषी पाते हुए उम्रकैद की सजा सुनाई थी.





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