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कार बेचने वालों को टारगेट बना रहे साइबर अपराधी, ऊंचे दाम का झांसा देकर खाली कर रहे अकाउंट

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Oct 16, 2023, 1:52 PM IST

साइबर अपराधी कार बेचने वालों को टारगेट बना रहे (Cyber ​​criminals targeting car sellers) हैं. साइबर सेल प्रभारी सतीश चन्द्र साहू ने कहा कि लोगों को अधिक जागरूक होने की आवश्यकता है.

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Etv Bharat Lucknow fraud any desk application mobile download कार बेचने वालों को टारगेट बना रहे साइबर अपराधी साइबर अपराधी कार बेचने वालों को टारगेट बना रहे साइबर सेल प्रभारी सतीश चन्द्र साहू Cyber ​​cell in charge Satish Chandra Sahu how to stay away from hacking

लखनऊ: सर मैं कार बाजार से बोल रहा हूं, क्या आप अपनी कार बेचना चाहते है. मैं आपको आपकी डिमांड से भी ज्यादा दिलवा सकता हूं. मध्य प्रदेश घूमने गए लखनऊ के रहने वाले विकास तिवारी ने जैसे ही कॉल करने वाले से ये सुना, तो वो खुशी से फूले नहीं समाए. इसके बाद कॉलर जो कहता गया, वो करते गए. फिर क्या था, 30 मिनट में ही उनके अकाउंट से 53 हजार रुपए उड़ गए. यह किस्सा सिर्फ विकास का नहीं लखनऊ के ही राहुल शर्मा और दिलीप का भी है. आइए जानते हैं कि साइबर ठग के इस नए तरीके के विषय में जो लोगों को ठगने के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है.

साइबर सेल प्रभारी सतीश चन्द्र साहू ने किया लोगों को आगाह
साइबर सेल प्रभारी सतीश चन्द्र साहू ने किया लोगों को आगाह
ऊंचे दाम पर गाड़ी बेचने का सपना पड़ा भारी: मध्य प्रदेश के उज्जैन में महाकाल मंदिर गए राजधानी के विकास तिवारी के पास कॉल आई और कॉलर ने कहा कि वो कानपुर कार बाजार से बोल रहा है. वह उनकी कार के अच्छे दाम दिलवा सकता है. विकास अपनी कार बेचना ही चाहते थे. ऐसे में उन्होंने कॉलर की बात पर भरोसा कर लिया. कॉलर ने विकास से कहा कि आप एनी डेस्क एप्लीकेशन डाउनलोड कर लीजिए. उसमें आपको अपनी कार और आरसी की फोटो, अपने बैंक अकाउंट का नंबर और UPI बारकोड देना होगा. विकास ने कॉलर की बात पर भरोसा कर एप्लीकेशन डाउनलोड कर लिया. थोड़ी ही देर में महंगे दाम पर कार बेचने का सपना देख रहे विकास के अकाउंट से 53000 रुपए निकल गए. दो दिन बाद मध्य प्रदेश से वापस आने के बाद विकास ने साइबर सेल से शिकायत की है. अनजान व्यक्ति के कहने पर डाउनलोड की ऐप, फिर हुई ठगी: लखनऊ के आलमबाग में रहने वाले राहुल शर्मा व निशातगंज के दिलीप के पास भी विकास जैसे ही कॉल आईं. कॉलर ने दोनों लोगों को उनकी डिमांड से भी अधिक दाम पर गाड़ी बिकवाने का जाल फेंका. इसमें दोनों ही लोग आसानी से फंस गए. राहुल व दिलीप ने भी विकास को ही तरह एनी डेस्क एप्लीकेशन डाउनलोड कर कॉलर के बताए हुए तरीकों को फॉलो किया और अपनी जमा पूंजी गंवा बैठे. दोनों ही ने लखनऊ साइबर सेल में शिकायत की.बार बार जागरूक करने पर भी लोग नहीं दे रहे ध्यान: साइबर सेल प्रभारी सतीश चन्द्र साहू (Cyber ​​cell in-charge Satish Chandra Sahu) बताते हैं कि साइबर जालसाजों का सबसे बड़ा हथियार अपने शिकार को अपनी बातों में फंसा कर उनके मोबाइल में एनी डेस्क, टीम व्यूअर जैसे एप्लीकेशन इंस्टाल कराना है. इनेस वो मोबाइल के सॉफ्टवेयर को अपने कब्जे में लेकर उनके बैंक अकाउंट, UPI के जरिए पैसे ट्रांसफर कर लेते हैं. साइबर सेल लोगों से बार-बार यह कहती हैं कि कभी भी किसी के कहने पर कोई अभी एप्लीकेशन डाउनलोड न करें. बावजूद इसके लोग जालसाजों के झांसे में आते है और अपने पैसे गंवाते है. इन तीनों पीड़ितों के मामले में भी ठीक इसी तरह ठगी हुई है.क्या है एनी डेस्क एप्लीकेशन: एनीडेस्क एक ऐसी एप्लीकेशन है, जिसके माध्यम से हम अपने कंप्यूटर या मोबाइल से किसी दूसरे व्यक्ति के कंप्यूटर या मोबाइल का रिमोट एक्सेस ले सकते है और फिर उसे कंट्रोल भी कर सकते हैं. यानी की सैकड़ों किलोमीटर दूर बैठ कर इस एप्लिकेशन के जरिए, हम किसी का भी मोबाइल इस्तमाल कर सकते है. एनीडेस्क एप्लीकेशन का कोड शेयर न करें: एनीडेस्क एप्लीकेशन के माध्यम से किसी के मोबाइल पर कब्जा पाने के लिए एक कोड जरूरी होता है. यह कोड, उस व्यक्ति के पास उसकी एप्लीकेशन में होता है, जिसका मोबाइल को कंट्रोल करना होता है. मोबाइल में एनी डेस्क डाउनलोड करने पर मोबाइल या कंप्यूटर में कोड दिखता है. यह कोड किसी अनजान के पास गया, तो वह दूर बैठ कर ही आपके मोबाइल को कंट्रोल कर लेगा. ऐसे में किसी भी हाल में यह या इसकी जैसी कोई भी एप्लीकेशन डाउनलोड न करें. डाउनलोड कर लिया है, तो कोड तो बिलकुल शेयर न करें. अंजान व्यक्ति के किसी भी झांसे (how to stay away from hacking ) में न आएं. (Crime News UP)

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