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योगी सरकार 2.0 की पहली टीम के 9 अफसरों के साथ CM योगी ने की बैठक, दिए ये निर्देश

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Published : Mar 30, 2022, 2:07 PM IST

Updated : Mar 30, 2022, 3:16 PM IST

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योगी सरकार 2.0 की पहली टीम के 9 अफसरों के साथ मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बैठक की. सीएम ने कोविड-19 सहित अन्य महत्वपूर्ण विषयों पर चर्चा करते हुए अफसरों को दिशा-निर्देश दिए हैं. इस बैठक में उपमुख्यमंत्री व स्वास्थ्य विभाग की जिम्मेदारी संभाल रहे हैं ब्रजेश पाठक भी मौजूद रहे.

लखनऊ: योगी सरकार 2.0 की पहली टीम के 9 अफसरों के साथ मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बैठक की. सीएम ने कोविड-19 सहित अन्य महत्वपूर्ण विषयों पर चर्चा करते हुए अफसरों को दिशा-निर्देश दिए हैं. इस बैठक में उपमुख्यमंत्री व स्वास्थ्य विभाग की जिम्मेदारी संभाल रहे हैं ब्रजेश पाठक भी मौजूद रहे. इस दौरान सीएम ने कहा कि प्रधानमंत्री के मार्गदर्शन में उत्तर प्रदेश में कोरोना संक्रमण पर प्रभावी नियंत्रण बना हुआ है. 29 करोड़ 93 लाख से अधिक कोविड टीके की डोज लगाने और 10 करोड़ 78 लाख से अधिक सैम्पल की जांच करने वाला एक मात्र राज्य उत्तर प्रदेश है. साथ ही 25 करोड़ की आबादी वाले उत्तर प्रदेश में वर्तमान में 354 कोविड मरीज उपचाराधीन हैं. अन्य राज्यों के सापेक्ष उत्तर प्रदेश की स्थिति बहुत संतोषप्रद है.

उन्होंने कहा कि प्रदेश में 18 वर्ष से अधिक उम्र के हर नागरिक को टीका लग चुका है. 83% से अधिक पात्र वयस्क टीके की दोनों डोज ले चुके हैं. 15-17 आयु वर्ग के लगभग 93% किशोरों ने टीका कवर प्राप्त कर लिया है और 24 लाख पात्र लोगों को प्री-कॉशन डोज भी मिल चुकी है. इसके अलावा 12 से 14 आयु वर्ग के बच्चों में से 07 लाख 19 हजार बच्चों को टीकाकवर मिल चुका है. इसे सतत जारी रखा जाए. साथ ही 12-14 आयु वर्ग का टीकाकरण तेज किया जाए.

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इंटीग्रेटेड कमांड सेंटर संचालित रखा जाएः सीएम ने आगे कहा कि विगत 24 घंटों में 1 लाख 30 हजार कोरोना टेस्ट किए गए हैं, जिसमें से मात्र 34 नए कोरोना पॉजिविट पाए गए हैं. इसी अवधि में 49 लोग उपचारित होकर कोरोना मुक्त भी हुए. कोरोना की हार तय है. सभी जिलों में इंटीग्रेटेड कमांड सेंटर संचालित रखा जाए, ताकि किसी भी जरूरत पर लोग सीधा संपर्क कर सकें. कोरोना के बीच देश के कई राज्यों में अस्पतालों में आग लगने की दुखद घटना घटी. यह हमारी चाक-चौबंद व्यवस्थाओं का ही परिणाम था कि प्रदेश में ऐसी दुर्घटना नहीं हुई. एक बार पुनः प्रदेश के सभी मेडिकल कॉलेजों व अस्पतालों में फायर सेफ्टी की व्यवस्था की भौतिक समीक्षा की जाए. जहां कमी व गड़बड़ी हो, वहां तत्काल व्यवस्था ठीक की जाए. यह काम अभियान के रूप में तत्काल किया जाना चाहिए. सीएम ने कहा कि हाल ही में कराए गए सीरो सर्विलांस के परिणाम बताते हैं कि तीसरी लहर के बाद लोगों में एंटीबॉडी की स्थिति पहले से काफी बेहतर हुई है. वैक्सीनेशन काफी उपयोगी सिद्ध हुआ है.यह सुनिश्चित किया जाए कि एक भी प्रदेशवासी कोविड टीकाकवर से वंचित न रहे.

सीएम ने कहा कि एग्रेसिव टेस्टिंग और ट्रेसिंग, त्वरित ट्रीटमेंट और तेज टीकाकरण की नीति के अच्छे परिणाम देखने को मिले हैं. उत्तर प्रदेश के कोविड प्रबंधन की आज विभिन्न वैश्विक संस्थाएं सराहना कर रही है. 2020 मार्च में जब पहला कोविड केस मिला था, तब हमारे पास टेस्टिंग की सुविधा नहीं थी. हमें एनआईवी पुणे में सैम्पल की जांच करानी पड़ी थी. मरीज को दिल्ली भेज कर भर्ती कराना पड़ा था. आज हमारे सभी 75 जिलों में सैंपल की जांच हो रही है. हर जिले में अस्पतालों की सुविधा में अभूतपूर्व सुधार किया गया है. उत्तर प्रदेश में चार संस्थानों में जीनोम सिक्वेंसिंग किया जा रहा है. इंटीग्रेटेड कोविड कमांड सेंटर, वैक्सीनेशन का क्लस्टर मॉडल, निगरानी समिति जैसे हमारे प्रयास आज चहुंओर सराहना प्राप्त कर रहे हैं.

समस्याओं के निस्तारण की जवाबदेही तय होः सीएम ने बैठक में एक और महत्वपूर्ण निर्देश अफसरों को दिया. उन्होंने कहा कि समस्याओं के निस्तारण की जवाबदेही तय हो. लेटलतीफी अथवा एक-दूसरे पर जिम्मेदारी टालने की प्रवृत्ति स्वीकार नहीं की जाएगी. कैबिनेट बैठकों में विभागीय प्रस्तुतियां सम्बंधित मंत्री द्वारा ही किया जाएगा, विभागीय अपर मुख्य सचिव, प्रमुख सचिव केवल सहायतार्थ उपस्थित होंगे. प्रदेश के सभी विभागाध्यक्ष गण अपने अधीनस्थ कार्यालयों का औचक निरीक्षण करें. कार्यालयों में स्वच्छता, निस्तारित होने के लिए लंबित फाइल की स्थिति, जन शिकायतों के निस्तारण की स्थिति, कार्मिकों की उपस्थिति, समयबद्धता आदि की वस्तुस्थिति का परीक्षण किया जाए.

एक भी बच्चा स्कूल से वंचित न रहेः सीएम ने कहा कि कि कोरोना के कारण विगत दो शैक्षिक सत्र प्रभावित रहे हैं. भौतिक पठन-पाठन नहीं हो सका. अतः आगामी सत्र की शुरुआत से पूर्व 'स्कूल चलो अभियान' को वृहद स्वरूप दिया जाना आवश्यक है. विभागीय मंत्री के परामर्श से अभियान के संबंध में विस्तृत कार्ययोजना तैयार कर ली जाए. एक भी बच्चा स्कूल से वंचित न रहे. व्यवस्था की पारदर्शिता और अभिभावक की सुविधा के दृष्टिगत बेसिक शिक्षा परिषद के विद्यालयों में बच्चों के ड्रेस आदि के लिए धनराशि सीधे अभिभावक के बैंक खाते में भेजे जाने की व्यवस्था की गई है. इसके सकारात्मक परिणाम देखने को मिले हैं. यह सुनिश्चित किया जाए कि बच्चे निर्धारित ड्रेस में ही विद्यालय आएं.

पारदर्शिता के साथ गेहूं खरीद होः सीएम ने कहा कि गेहूं खरीद की प्रक्रिया 01 अप्रैल से प्रारंभ हो रही है. यह सुनिश्चित किया जाए कि किसी भी क्रय केंद्र पर किसानों को समस्या न हो, भंडारण गोदाम हो या क्रय केंद्र, हर जगह गेहूं की सुरक्षा के पर्याप्त इंतजाम किए जाएं. प्रत्येक दशा में किसानों को एमएसपी का लाभ मिलना ही चाहिए. सभी क्रय केन्द्रों पर पूरी पारदर्शिता के साथ गेहूं खरीद कराई जाए. किसान को अपनी उपज बेचने में कोई असुविधा न हो। किसानों की उपज का समयबद्ध ढंग से भुगतान कर दिया जाए. उन्होंने कहा कि प्रतिवर्ष आग लगने के कारण गेहूं की फसल जलने की दुःखद घटनाएं होती हैं. इस संबंध में सुरक्षा के आवश्यक उपाय किये जाने चाहिए. फसल बीमा योजना से कवर किसानों के अलावा यदि किसी किसान की फसल बिजली के तार गिरने/आग लगने से जलती है तो उसे भी मंडी समिति के माध्यम से नियमानुसार मुआवजा दिया जाए.

जलापूर्ति की सुविधा का जांच करेंः सीएम ने कहा कि प्रदेश में निवेश कर रहीं औद्योगिक इकाइयों को प्रोत्साहन देने के उद्देश्य से राज्य सरकार द्वारा इंसेंटिव प्रदान किया जा रहा है. ऐसे सभी प्रकरणों की गहन समीक्षा कर यथाशीघ्र यथोचित समाधान किया जाए. उन्होंने कहा कि गर्मी का समय शुरू हो गया है. अतः सभी 75 जिलों में जलापूर्ति की सुविधा का परीक्षण कर लिया जाए. सभी हैंडपंप क्रियाशील रहें. इसके लिए संबंधित विभाग व संस्थाओं द्वारा तत्काल कार्य किया जाए. मुख्यमंत्री ने कहा कि शुद्ध पेयजल की आपूर्ति के लिए संचालित 'हर घर नल योजना' अंतर्गत पाइपलाइन डाली जा रही है. जहां पाइपलाइन डाली जा चुकी है, वहां बरसात से पहले पाइपलाइन के लिए खोदे गए गड्ढों को भर दिया जाए, ताकि लोगों को असुविधा न हो.

इन दो मंत्रियों के सामने है सबसे बड़ी चुनौती: 2024 के लोकसभा चुनाव को देखते हुए केंद्र सरकार की ओर से उत्तर प्रदेश में सबसे बड़ी चुनौती नगर विकास मंत्री एके शर्मा और जल शक्ति मंत्री स्वतंत्र देव सिंह पर है. नगर विकास विभाग स्मार्ट सिटी योजना और जल शक्ति विभाग हर घर नल से जल योजना को संचालित कर रहा है. ऐसे में अगले एक से डेढ़ साल में इन योजनाओं को आगे बढ़ाना दोनों मंत्रियों के लिए बड़ी चुनौती होगी. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 22 नवंबर, 2020 को उत्तर प्रदेश में 'हर घर नल योजना' का शुभारंभ किया था. योगी सरकार ने उत्तर प्रदेश के उन जिलों के लिए यह योजना लांच की है, जहां पानी की समस्या कई सालों से चिंता का कारण बनी हुई थी. फिलहाल इन जिलों में सोनभद्र और मिर्जापुर को शामिल किया गया है. जो कि बढ़ते बढ़ते उत्तर प्रदेश के सभी जिलों में एक लाख गांवों तक पहुंचेगी.

हर घर जल योजना के लिए के इन दो जिलों को विशेष तौर पर शामिल करने के पीछे मुख्य कारण यह है कि इन क्षेत्रों में गंगा,यमुना, घाघरा, और सरयू जैसी कई नदियां होने के बावजूद यहां शुद्ध पेय जल की समस्या लगातार बनी हुई थी. प्रदेश सरकार का दावा है कि हर घर नल योजना से 3212.18 करोड़ रुपये की लागत से मिर्जापुर में 21,87,980 ग्रामीणों को लाभ मिलेगा. वहीं सोनभद्र जिले में 2343.20 करोड़ रुपये की लागत से 19,53,458 लोगों को शुद्ध पेय जल की सुविधा मिलेगी.

स्मार्ट सिटी योजना: स्मार्ट सिटी मिशन के तहत पूरे देश में 100 स्मार्ट सिटी पर काम किया जा रहा है, जबकि पूरे देश में इनकी संख्या बढ़ाकर 4000 स्मार्ट सिटी तक की जानी है. यूपी में बनारस, कानपुर, आगरा लखनऊ सहित 10 स्मार्ट सिटी हैं. मंत्रालय की ओर से दी गई जानकारी के मुताबिक यूपी को सभी राज्यों में अव्वल आने का दर्जा इसलिए मिला है, क्योंकि यूपी ने 10 स्मार्ट सिटी के साथ साथ 7 और स्मार्ट को उनके साथ जोड़कर स्मार्ट सिटी बनाने की दिशा में काम करना शुरू कर दिया है. प्रदेश के सभी 17 नगर निगमों को स्मार्ट सिटी बनाने की योजना है. किसी भी राज्य ने अभी तक यह काम नहीं किया है.

इन नए 7 स्मार्ट सिटी नगर निगम में मेरठ, गाजियाबाद, अयोध्या, फिरोजाबाद, मथुरा, वृंदावन और शाहजहांपुर शामिल हैं. इसके साथ ही यूपी के पहले से तय किए गए स्मार्ट सिटी बनारस, कानुपर आगरा और लखनऊ ने तय किए गए मानकों पर बेहतर काम किया ज्यादा अच्छा काम किया. इसके अलावा उत्तर भारत के राज्यों में उत्तर प्रदेश के लखनऊ और गाजियाबाद शहरों ने पहली बार म्युनिसपल बांड जारी किए थे. इससे यूपी की रैंकिंग सबसे ऊपर मापी गई.

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Last Updated :Mar 30, 2022, 3:16 PM IST
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