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गोरखपुर के बांसगांव विधानसभा सीट की डेमोग्राफिक रिपोर्ट, विकास के साथ विरासत का मुद्दा हावी

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Published : Oct 5, 2021, 5:42 PM IST

विकास के साथ विरासत का मुद्दा हावी
विकास के साथ विरासत का मुद्दा हावी

गोरखपुर जिले की बांसगांव विधानसभा सीट यहां की 9वीं विधानसभा में दूसरी सुरक्षित विधानसभा सीट है. इस सीट पर राम लहर से पहले कांग्रेस का कब्जा रहता था. वहीं 1991 से लेकर अबतक ये सीट बीजेपी और बहुजन समाज पार्टी के खाते में ही गई है.

गोरखपुरः जिले की बांसगांव विधानसभा सीट यहां की 9 विधानसभाओं में दूसरी सुरक्षित सीट है. वर्तमान में इसके विधायक डॉक्टर विमलेश पासवान हैं, जो पेशे से दंत चिकित्सक हैं. हालांकि राजनीति इन्हें पारिवारिक विरासत में मिली है. इनके पिता ओमप्रकाश पासवान विधायक रहे, तो इनकी मां सुभावती देवी पासवान बांसगांव लोकसभा सीट से सांसद रहीं.

वर्तमान में इनके बड़े भाई कमलेश पासवान लगातार तीसरी बार इस क्षेत्र से सांसद हैं. देखा जाए तो यह क्षेत्र विकास के मुद्दे के साथ विरासत के मुद्दे पर भी अपने जनप्रतिनिधियों को चुनता चला आया है. इसीलिए सुरक्षित सीट पर कभी कोई बड़ी बहस नहीं बनती. बिरादरी का जो नेता क्षत्रिय-ब्राह्मण समाज के लोगों की भी पसंद बन जाता है.

इस क्षेत्र ने दलितों के बड़े नेता के रूप में महावीर प्रसाद को विधायक और सांसद बनाने के साथ भारतीय राजनीति में भी मजबूती से स्थापित किया. वह कांग्रेस शासनकाल में केंद्रीय मंत्री रहे, तो उत्तर प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष, हरियाणा के राज्यपाल जैसे पद को उन्होंने सुशोभित किया. कांग्रेस में उन्हें बाबूजी के नाम से जाना जाता था. महावीर प्रसाद के बाद यह सीट तीन बार बसपा के कब्जे में भी थी. सदल प्रसाद, मोलहु प्रसाद यहां से विधायक हुए थे. 2017 के विधानसभा चुनाव में पहली बार बीजेपी से चुनाव लड़ रहे डॉक्टर विमलेश पासवान को कुल 71,966 वोट मिले और उनके प्रतिद्वंदी बहुजन समाज पार्टी के धर्मेंद्र कुमार को 49,093 वोट मिले. उन्होंने अपने निकटतम प्रतिद्वंदी को 22,873 वोटों से हराया.

डॉक्टर विमलेश पासवान, विधायक
डॉक्टर विमलेश पासवान, विधायक

इस विधानसभा क्षेत्र में वोटरों की बात करें तो उनकी कुल संख्या 3,70,474 है. जिसमें पुरुष 1,90,121 हैं. महिलाएं 1 लाख 80 हजार 353 हैं. इस विधानसभा क्षेत्र में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के वोटों की संख्या ज्यादा है. पासवान बिरादरी का वोट जीत में अहम रोल अदा करता है. यह माना जाता है कि सदन में जीतकर वहीं पहुंचेगा जिसे अगड़ी जाति के लोगों का समर्थन मिलेगा. क्षेत्र की बड़ी समस्या में बाढ़ होती है. जब भी यह आती है तो लोगों को तबाही दे जाती है. इस बार भी इस विधानसभा क्षेत्र का 40 से अधिक गांव बाढ़ की चपेट में आया था. बंधों की मरम्मत और नदी का फैलाव क्षेत्र यहां के लोगों के लिए समस्या का कारण बनता है. उद्योग धंधों से दूर यह क्षेत्र सड़कों के जाल की कमी भी झेल रहा है. बहु प्रतीक्षित सहजनवा से दोहरीघाट तक बनने वाली रेलवे लाइन का भी क्षेत्र के लोगों को एक दो नहीं बल्कि चार दशक से इंतजार है. वर्तमान विधायक के रिपोर्ट कार्ड की बात करें तो किंग जॉर्ज मेडिकल कॉलेज लखनऊ से एमडीएस करने के बाद 2,011 में इनकी तैनाती गोरखपुर मेडिकल कॉलेज में बतौर सीनियर लेक्चरर रही.

विकास के साथ विरासत का मुद्दा हावी
विकास के साथ विरासत का मुद्दा हावी

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परिवार में राजनीतिक माहौल था. लिहाजा इनके बड़े भाई ने इन्हें 2015 में चरगांवा ब्लॉक का निर्विरोध ब्लॉक प्रमुख बना दिया. फिर जब 2017 में विधानसभा चुनाव होने लगा, तो सांसद बड़े भाई ने पूरा जोर लगा कर बांसगांव विधानसभा सीट से बीजेपी का टिकट ही नहीं दिलाया, उन्हें जिताकर सदन में भी भेजने का कार्य किया. बाढ़ राहत के दौरान विधायक ने क्षेत्र में काफी मदद पहुंचाने का कार्य किया है. इन्होंने एक निजी हॉस्पिटल भी बनवाया है और इलाज में जो सक्षम नहीं होते हैं, ऐसे परिवार को मदद देने का भी काम करते हैं.

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